महंगे फलो में सुमार एवोकाडो को भारत में ऊगा रहा ये सख्स, जानिये कैसे होती है इसकी फार्मिंग?

भारत एक कृषि प्रधान देश है, यंहा खेती-किसानी की इतनी अपार सम्भवनाये है कि यदि सही तरीके से खेती की जाए तो लाखों में कमाई की जा सकती है। दुनियाभर में ऐसी कई सारी खेती है, जो एक बड़े मुनाफे का सौदा होती है। इसी तरह की खेती है एवोकाडो की फार्मिंग। जी हां वही एवोकाडो जो विदेशो में हर घर की प्लेट में आपको दिख जायेगा, लेकिन भारत आते आते ये इतना महंगा हो जाता है कि आम आदमी खाना तो दूर सोच कर ही घबरा जाता है।
तो जरा सोचिये, अगर ऐसे फलो की खेती भारत में होने लग जाए तो किसानो के लिए कितना मुनाफे का सौदा होगा। और ऐसा ही मुनाफा कमाने की जुगत में लगे हुए है मध्यप्रदेश के 26 वर्षीय हर्षित गोधा। जो इस बक्त अपने पांच एकड़ खेत में तक़रीबन 1800 एवोकाडो के पौधे उगाए हुए है। तो चलिए आज एवोकाडो फार्मिंग और इसमें अपना करियर बना रहे हर्षित के बारे में जानते है।
UK से ली डिग्री और भोपाल में शुरू की एवोकाडो की नर्सरी!
आपने कई तरह की फार्मिंग के बारे में सुना होगा, लेकिन एवोकाडो की फार्मिंग के बारे में कम ही जानते होंगे। एवोकाडो को हम बटर-फ्रूट के नाम से भी जानते हैं। यह सेहत के साथ-साथ कमाई में भी चार-चांद लगाता है। और जब मध्यप्रदेश के 26 वर्षीय हर्षित गोधा साल 2013 में BBA की पढ़ाई के लिए यूके गए थे, तब उन्हें भी इसे खाने का मौका मिला।

हर्षित अपने हेल्थ और फिटनेस पर पूरा ध्यान रखते हैं, इसीलिए उनकी हेल्दी प्लेट में हर दिन एवोकाडो होता ही था। ऐसे ही एक दिन उनकी नजर इसके पैकेट पर पड़ी, जिस पर लिखा था:- " इंपोर्टेड फ्रॉम इजराइल" इसका साफ़ मतलब था कि इस फल को इजराइल से इम्पोर्ट करके यूके में बेचा जा रहा था।
इसके बाद हर्षित को इसके बारे में और जानने की इच्छा हुई, तो दिमाग में आया कि जब इजराइल जैसी गर्म जगहों पर इसकी खेती हो सकती है, तो फिर इंडिया में क्यों नहीं? बस इसी आईडिया को लेकर हर्षित इजराइल गए और वहां के किसानों से बात की। साथ ही उनकी पूरी फार्मिंग प्रोसेस को जाना। और बापिस इंडिया लौट आये। इस बारे में हर्षित कहते है कि:-
“एवोकाडो एक सुपरफ़ूड है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन भारत में तो यह इतने महंगें मिलते हैं कि आम आदमी इसे खरीद भी नहीं पाते। यहां इसे ज्यादा लोग जानते भी नहीं और न ही इसकी खेती होती है।”
भोपाल में शुरू की एवोकाडो की नर्सरी
खैर हर्षित ने भारत आकर अपने परिवारवालों को अपने आइडिया के बारे में बताया। उनके पास भोपाल में पारिवारिक ज़मीन भी है, इसलिए उन्हें परिवारवालों का पूरा सहयोग मिला। लेकिन बीच में महामारी की वजह से देरी होती चली गई। जुलाई 2021 में हर्षित ने इजराइल से एवोकाडो के पौधे इंपोर्ट किए हैं। अभी ये पौधा नर्सरी में है।
एवोकाडो के के लिए पौधे और मिट्टी तैयार कैसे करें
हर्षित के पास ज़मीन तो थी, और एवोकाडो के पौधे उन्होंने इजराइल से इम्पोर्ट करा लिए। इन पौधों को करीब एक साल तक एक संतुलित वातावरण में रखना होता है, जिसके बाद बह खेत में लगाने के लिए तैयार हो पाते है। इतने समय में इसमें फ्रूटिंग होने लगती है। वंही इसकी खेती के लिए उन्होंने पांच एकड़ खेत को ड्रिप इरिगेशन के साथ तैयार किया है।

हर्षित के मुताबिक, इजराइली एवोकाडो को इंपोर्ट करने में ही बहुत बजट लगता है। क्यूंकि साड़ी लागत मिलाकर एक पौधा लगभग कीमत 3 हजार रुपए पड़ती है। वंही एक एकड़ में 170 पौधे तक लगाए जा सकते हैं। और हर्षित फ़िलहाल 5 एकड़ में नर्सरी से पौधे लगाने जा रहे हैं। जिस पर हर्षित ने अनुमानित 40 लाख रुपये खर्च किए है।
देशभर के किसानों पौधों की डिमांड!
आपको बता दे, हर्षित अपनी एवोकाडो फार्मिंग से जुडी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते है। जंहा से देशभर के किसान उनसे संपर्क कर लेते है। हर्षित के मुताबिक इजराइल से फिर से करीब 4000 पौधे मंगवाए हैं, जो मैं देशभर के किसानों को बेचने वाला हूँ। वो कहते हैं- अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, पंजाब, साउथ के कुछ राज्य और नागालैंड समेत कई राज्यों से इसके प्लांट की प्री बुकिंग हो चुकी है।

इससे देश में अच्छी पैदावार होगी और किसानों को फायदा होगा। हम इंपोर्टेड एवोकाडो खाने के बदले स्वदेशी इजराइली ब्रीड का एवोकाडो खा सकेंगे। वंही आने वाले समय में हर्षित अपने फार्म में लगे मदर प्लांट्स से भारत में ही नए पौधे बनाने वाले हैं, जिससे वह दूसरे किसानों को कम दाम में पौधे दे सकेंगे।