तुलसी की खेती बदल रही जिंदगी, कम लागत में लाखों रुपए कमा रहे किसान...जानिए कैसे?

भारत एक कृषि प्रधान देश है, ऐसे में यंहा धान, गेहूं जैसी परंपरागत फैसले काफी मात्रा में उगाई तो जाती है लेकिन मुनाफा नहीं मिलता। यानी किसान आमदनी के लिए जंहा से शुरुआत करता है, बापिस वंही लौट आता है। ऐसे में अब ज्यादातर किसान जैबिक और औषधीय फसलों की तरफ रुख कर रहे है... जिससे उन्हें तगड़ा मुनाफा भी हो रहा है। कुछ ऐसी ही औषधीय खेती है तुलसी की।
जी हां, देशभर में तुलसी के पौधे की घर-घर पूजा होती है। विज्ञान भी मानाता कि तुलसी का पौधा हमें निरोग रखने में बहुत हद तक सहायता करता है। लेकिन, अब तुलसी का पौधा कमाई का भी एक जरिया बनता जा रहा है। देश में कई किसान तुलसी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे ही पीलीभीत जिले में रहने वाले किसान नदीम खान। जोकि तुलसी की खेती करके लाखो का मुनाफा कमाते है। तो क्या है तुलसी खेती का चलन और इसे किसान किस तरह कर सकते है? आइये जानते है।
तुलसी की खेती ने बदल दी किसान की जिंदगी!
यूपी के जिला पीलीभीत मुख्यालय से लगभग 55 किमी. दूर पुरनपुर ब्लॉक के शेरपुर कलां गाँव में रहते है नदीम खान। जो पहले आम किसानो की तरह खेती-बाड़ी करते थे। लेकिन फसलों के पकने के बाद मुनाफा ना के बराबर। ऐसे में नदीम खान कृषि में नये-नये शोध करने वाले जयेन्द्र सिंह के संपर्क में आये, जंहा से उन्हें तुलसी खेती करने की प्रेरणा मिली।

नदीम बताते है कि जयेन्द्र सिंह से मिलने के बाद उन्होंने खेतो में तुलसी की बीज डाल दिए। कुछ हफ्तों की सिंचाई के बाद ही पौधे तैयार हो गए। बाद में इसे बाजार में अच्छे दामों पर बेच दिया, यह सिलसिला अब बदस्तूर जारी हैं। जानकारी के मुताबिक मौजूदी समय में नदीम सलाना तुलसी की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। आपको बता दे, नदीम जैसे बहुत से किसान तुलसी खेती कर लाखो में मुनाफा कमा रहे है।
जानिए, कैसे होती है तुलसी खेती?
गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट अनुसार, एक एकड़ खेत में तुलसी की खेती करने के लिए लगभग 600 ग्राम बीज की जरूरत पड़ जाती है। इसके बाद, बीज को खेतो में दबा दिया जाता है और लगभग 15-20 दिन में पौध तैयार हो जाती है। बता दे, लेमन तुलसी की पौध तैयार करने का उचित समय अप्रैल माह का पहला सप्ताह है, जबकि मानसूनी तुलसी की पौध जून-जुलाई में तैयार की जाती है।

एकबार जब पौध तैयार हो जाए तो नर्सरी से निकालकर लाइनों में खुरपी से रोप दी जाती है। ध्यान रखने बाली बात ये है कि पौध रोपते बक्त दो पौधों के बीच कम से कम 12-15 इंच व लाइन से लाइन की दूरी 15-18 इंच रखी जाती है। जिससे पौध जब बड़े तो उसको फलने-फूलने का पूरा स्पेस मिल सके। और फसल अच्छी तैयार हो।
बात करे पौध सिंचाई की तो तुलसी की फसल में महीने में दो से तीन सिंचाई पर्याप्त हैं। यंहा भी ध्यान देने योग्य बात ये है कि तुलसी खेती एक औषधीय फसल है और बह स्वयं में एक औषधीय है तो बीमारी या कीड़ों का प्रकोप नहीं होता इसलिए खाद प्रयोग से बचे। अगर फसल और अच्छी चाहिए तो गोबर खाद का उपयोग कर सकते है।

तुलसी की फसल पौध रोपाई से 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसको काटकर सुखा लिया जाता है। जब तुलसी की पत्तियां सूख जाती हैं तो इन्हें इकठ्ठा कर लिया जाता है। उपज के रूप में एक एकड़ खेत में पांच से छह कुंटल सूखी पत्ती प्राप्त होती हैं।
कौन खरीदता है तुलसी?

बता दें, डाबर, पतंजलि व हमदर्द जैसी बड़ी औषधि कंपनियां 7000 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से तुलसी खरीदती हैं, जबकि तुलसी की फसल में लागत न के बराबर आती है। कुल मिलाकर अब तुलसी की खेती किसान की कमाई का विकल्प हो सकता है। आयुर्वेद से लेकर होम्योपैथी तक इसकी खूब मांग है।