सड़क पर झाड़ू लगाई, 'मैला साफ' किया, आज उसी 'नगर निगम' की डिप्टी मेयर बन गई!

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chinta devi

बिहार नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election) में गया के मतदाताओं ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते 40 वर्षों तक गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाने वाली महिला को डिप्टी मेयर (Gaya Deputy Mayor) की कुर्सी पर बैठा दिया। जी हां, कभी सड़क पर मैला ढोती थी, आज डिप्टी मेयर बन गई है। क्या है पूरी कहानी? चलिए हम आपको बताते है। 

कभी सड़क पर मैला ढोती थी, आज डिप्टी मेयर बनीं!

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गया नगर निगम के चुनाव में इस बार डिप्टी मेयर के उम्मीदवार के रूप में चिंता देवी के अलावा 10 और उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  लेकिन चिंता देवी रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करते हुए डिप्टी मेयर का पद संभालेगी। चिंता देवी की बात करें तो वह पिछले 40 सालों से नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में कचरा उठाने और झाडू लगाने का काम करती थी। 

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Image Source: ABP News

लेकिन इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने के कारण चिंता देवी चुनावी मैदान में ताल ठोका और जनता का भरपूर समर्थन के साथ रिकॉर्ड मतों से विजय प्राप्त की। आपको बता दे, पूरे गया में स्वच्छता का संदेश देने वाली चिंता देवी (Chinta Devi) अपने सिर पर मैला ढ़ोने का भी कार्य किया है। 

चिंता देवी भले पढ़ी लिखी नहीं हों, लेकिन पूरे क्षेत्र को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि लोग उनके मुरीद हो गए। उन्हें पढ़ना-लिखना भी नहीं आता है, लेकिन लोगो के दिलो की बात और दर्द को समझना बखूबी आता है। सायद इसीलिए जनता ने भी दिल खोलकर इसबार उनपर अपना प्यार लुटाया। 

2020 में रिटायर हुई थीं चिंता देवी!

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Image Source: Bhaskar

आपको बता दे, चिंता देवी के पति का स्वर्गवास हो चुका है, लेकिन शहर को स्वच्छ रखने का अपना कार्य कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन किया और लोगों के दिलों में अपना स्थान बना लिया। वर्ष 2020 तक चिंता देवी झाडू लगाती रहीं, उसके बाद जब वे सेवानिवृत्त हुईं तो सब्जी बेचने लगीं, लेकिन स्वच्छता को लेकर वे सजग रही। इसी का नतीजा रहा कि चिंता देवी को नगर निगम के कर्मचारी तथा सफाई कर्मी के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। 

संविधान और लोकतंत्र की ताकत!

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Image Source: Bhaskar

शुक्रवार की रात आए इस परिणाम ने ये भी बता दिया कि लोकतंत्र में अवसर सबके लिए हैं। बस शर्त बस इतनी है कि वे जनता का विश्वास जीत ले और चिंता ने यही किया। तभी तो लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया। 60 वर्ष की उम्र तक उन्होंने शहर की जो सेवा की, उसका पुरस्कार उन्होंने डिप्टी मेयर बनाकर दी।

पैदल दफ्तर जाऊंगी तो लोगों से मिलती रहूंगी!

चुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी। जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगी। चिंता देवी का कहना है कि मैं पैदल ही दफ्तर जाऊंगी। ऐसे में लोगों से मिलती रहूंगी तो उनके दुख दर्द को समझती रहूंगी।