पति ने पकड़ा विस्तर तो पत्नी बन गई इलेक्ट्रीशियन, अब इसी कमाई से पति का इलाज करा रही!

गरीबी और मजबूरी ऐसी दो चीजें हैं जिसके आगे इंसान कुछ भी करने को तैयार होता है। लेकिन सच ये भी है कि बुरा वक़्त भले ही तकलीफें लेकर आता है, लेकिन साथ ही बहुत कुछ सिखा भी जाता है और कभी-कभी वही सीख हमें काबिल भी बना देती है। बिहार के गया जिले से एक ऐसी ही कहानी सामने आई है। जो लाखों लोगों को प्रेरित करेगी।
जिले की रहने वाली सीता देवी के पति बीमार हुए तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बिना पढ़े ही कड़ी मेहनत के बल पर सफल इलेक्ट्रीशियन बन गईं। और अब बह 15 साल से बिजली का सारा काम कर रही हैं, साथ ही बीमार पति का इलाज करा रही हैं। क्या है सीता देवी की कहानी? चलिए हम आपको बताते है।
कैसे एक आम गृहिणी बनी इलेक्ट्रीशियन?
अपने बारे में बताते हुए सीता देवी ने कहा कि वह अनपढ़ हैं। उनके पति दुकान चलाया करते थे, और उस वक्त कई मजदूर भी काम किया करते थे। और बह घर पर रहकर बच्चों का ध्यान रखती थीं। समय खराब हुआ तो मेरे पति के लिवर में सूजन की दिक्कत हो गई, और कुछ दिन बाद उनकी हालत काम करने लायक नहीं रही। जिसके बाद उनका धंधा धीरे-धीरे चौपट होने लगा। मजदूर पैसे मांगने लगे तो बकाएदार अपना कर्जा मांगने के लिए दरबाजा खटखटाने लग गए।

ऐसे मुश्किल समय में सीता देवी ने खुद दुकान चलाने की ठानी। वह अपने बीमार पति को लेकर दुकान आने लगीं और खुद एलईडी बल्ब, पंखा, कूलर, इन्वर्टर आदि रिपेरिंग का काम सीखने लगी। पति जैसे-जैसे कहते बह वैसे-वैसे काम करती जाती। धीरे-धीरे सीता देवी रिपेयरिंग के काम में मास्टर हो गई।
सीता देवी स्कूल कभी नहीं गईं, लेकिन फिर भी मैकेनिक का पूरा काम बड़ी आसानी से कर लेती हैं। सीता देवी कहती हैं, “मैं बल्ब से लेकर AC और माइक्रोवेव तक सबकुछ ठीक कर लेती हूँ। मेरे पास आया कोई भी ग्राहक कैसी भी मशीन लेकर आए, मैं उसे आराम से रिपेयर कर देती हूँ। यही वजह है कि मेरे पास काम की कमी नहीं होती।”
इलेक्ट्रिसियन का काम बना सीता देवी की पहचान!
सीता देवी के चार बच्चे हैं, दो लड़कियां और दो लड़के। जब सीता देवी ने इस काम की शुरुआत की तो उस दौरान उनके बच्चे काफी छोटे थे। उनका छोटा बेटा तो महज़ एक साल का था। वह अपने सारे बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाया करती थीं। दुकान में काम करने के साथ-साथ, वह बच्चों की देखभाल भी करती थीं। इसी काम से उन्होंने अपने चारों बच्चों को पढ़ाया और बड़ा किया।

वह सालों से गया के काशीनाथ मोड़ पर स्थित अपनी दुकान में बिजली के उपकरण बनाने का काम करती आ रही हैं। उन्होंने एक समय पर मजबूरी में इस काम की शुरुआत की थी। लेकिन आज वह इस काम को ख़ुशी से करती हैं। क्योंकि इसी काम ने उन्हें मुश्किल समय में घर चलाने में मदद की और एक नई पहचान बनाने में भी।
अपनी मेहनत से करा रही पति का इलाज!

चूँकि वह घर पर रहकर बच्चों का ध्यान रखती थीं, लेकिन आज वह अपने शहर में एक महिला इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काफी मशहूर हो गई हैं। सीता देवी अब इलेक्ट्रीशियन बनकर एक दिन में एक हजार से लेकर 1500 रुपये तक की कमा लेती हैं। इसी पैसे से घर का सारा खर्च और पति का इलाज करा रही हैं।
समाज के तानो की नहीं की परवाह!

हालांकि, 15 साल पहले महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी के लिए इस काम से जुड़ना इतना आसान नहीं था। मोहल्ले की कुछ महिलाएं सीता देवी के काम को खराब बताती हैं, जबकि कई महिलाओं ने इस मेहनती इलेक्ट्रीशियन की सराहना करती हैं। वंही सीता देवी ने समाज और लोगों के बारे में सोचे बिना बस काम पर ध्यान दिया। एक समय ऐसा आया कि ताने मारने वाले भी उनकी तारीफ करने लगे।