टीचर की नौकरी गई तो घर पर ही सुरु कर दिया मोती उगाना, अब लाखो में सालाना कमाई!

महामारी के दौर में जिन लोगों की नौकरी चली गई. उनमें एक नाम अजमेर के रहने वाले 41 वर्षीय रजा मोहम्मद भी एक है। महामारी से पहले तक बह गांव में अपने खुद के स्कूल में पढ़ाया करते थे। लेकिन महामारी में जब स्कूल बंद हो गए, तब वो सड़क पर आ गए। और रोजगार की तलाश में उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ा।
इसी दौरान, उन्हें मोती की खेती के बारे में पता चला। थोड़ी सी जानकारी के बाद ही, आज बो 2 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं। तो आइये जानते है मोती की खेती के बारे में थोड़ा विस्तार से।
मात्र एक दिन की ट्रेनिंग के बाद शुरू की मोती की खेती!
महामारी ने रजा मोहम्मद से रोजगार तो छीन लिया, लेकिन उम्मीदे नहीं और इसी उम्मीद के जरिये उन्होंने सुरु की मोती की खेती। शुरुआत में उनके पास अपने दो बीघा खेती थी, जिसमे बह पहले कुछ मौसमी फसलें उगाते थे। लेकिन उसमे ज्यादा मुनाफा नहीं था तो उसको बंद कर दिया। इसी दौरान, उन्हें मोती की खेती (pearl farming) के बारे में पता चला।

बस फिर क्या था, थोड़ी सी जानकारी के बाद ही रजा मोहम्मद जुट गए इसकी ट्रेनिंग लेने में। इस बारे में रजा बताते है कि उन्होंने डेढ़ साल पहले ही मोती की खेती शुरू की है। शुरुआत में उन्हें नहीं पता था कि वो मोती कैसे उगाएंगे। इसी दौरान उन्हें राजस्थान के किशनगढ़ के नरेंद्र गरवा के बारे में पता चला, जिन्होंने काम बंद होने के बाद मोती की खेती (Pearl Farming) शुरू की थी।

रजा ने मालूम किया तो पता चला नरेंद्र कुमार गरवा लंबे समय से मोती की खेती कर रहे हैं और दूसरों को भी हुनर सिखाते हैं। बस फिर क्या था रजा ने मोती खेती का सबसे पहले प्रशिक्षण लिया और अपनी जमा पूंजी 60-70 हजार रुपए की छोटी सी रकम के साथ अपने घर से ही शुरुआत कर दी।
मोती की खेती के लिए सबसे जरूरी क्या है?
जब रजा मोहम्मद ने मोती की खेती से जुड़ने का फैसला कर लिया तो इसके लिए उन्होंने सबसे पहले अपने खेत में ही 10/25 की जगह में एक छोटा तालाब बनवाया और तिरपाल तान दी। और अब बारी आई सीप (बीज) रखने की। उन्होंने अपने तालाब में डिज़ाइनर मोती के न्यूक्लियस को तक़रीबन 1000 सीपों में लगाए।

इससे पहले उन्होंने ज़रूरी सामान जैसे दवाएं, अमोनिया मीटर, इत्यादि पहले ही खरीदकर रख लिए थे। जिसकी जरूरत उन्हें सीपों का खयाल रखने और उन्हें भोजन (गोबर, यूरिया और सुपरफॉस्फेट से शैवाल) देने के लिए करना पड़ता है।

रजा बताते हैं कि हर एक सीप में न्यूक्लियस डालकर छोड़ देना होता है और इसके बाद उसके भोजन और विकास का ध्यान रखना होता है। वह कहते हैं, “मोती की फसल आने में 18 महीने का समय लगता है, इस दौरान पानी का पीएच और अमोनिया लेवल चेक करते रहना बेहद जरूरी होता है, और हफ्ते में एक बार सीप चेक करने होते हैं।
मोती की खेती से कितनी होती है कमाई?
रजा बताते हैं कि अच्छे परिणाम के लिए धैर्य और सीपो का ख़याल रखना बेहद जरुरी होता है। सब अच्छा रहा तो एक सीप से दो मोती मिलते ही हैं। ऐसा नहीं है कि नुकसान नहीं होता, 20-25 प्रतिशत सीप खराब भी हो जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में तकरीबन 18 महीनो का समय लगता है।

'गुणवत्ता' के आधार पर बाजार में मोती की कीमत 200 रुपए से लेकर 1,000 रुपए के बीच है। उनकी लागत 60-70 हजार है वंही उन्हें लगभग 2-3 लाख रुपए की कमाई की उम्मीद है। वंही अगर इस खेती को बड़े स्तर पर किया जाए तो मुनाफा भी बड़ा ही होता है।