ईमानदारी की मिशाल! छात्रों ने नहीं की पढ़ाई तो प्रोफेसर ने 23 लाख रूपये तनख्वाह के लौटाई!

 | 
professor lallan kumar

आजकल करीब-करीब प्रतिदिन आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आ जाता है। ऐसे में अगर कोई प्रोफेसर केवल इसलिए अपना 32 माह का वेतन वापस कर दे क्योंकि उसके कॉलेज के संबद्ध विभाग में स्टूडेंट नहीं हैं। तो थोड़ा अचरज होगा, लेकिन ये सच है। और ऐसा हुआ है विहार में जंहा एक प्रोफ़ेसर ने कह दिया-  बिना पढ़ाए मैं वेतन क्यूं लूं? जिसके बाद प्रोफसर की ईमानदारी की खूब चर्चा हो रही है। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है। 

बिहार के प्रोफेसर ने लौटा दिए 23 लाख रुपये!

बिहार के एक प्रोफेसर की इस समय सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है।  लोगों की इस प्रशंसा का कारण ये है कि एक तरफ जहां कोरोना काल के दौरान कई संस्थानों ने न पढ़ाने के बावजूद परिजनों से पूरी फीस वसूली, वहीं ये प्रोफेसर कोई क्लास न लेने के कारण अपनी तीन साल की सैलरी लौटाना चाहते हैं। 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार के एक शिक्षक ने अनूठा कदम उठाया है। नीतीश्वर काॅलेज में हिंदी के असिस्टेंट प्राेफेसर डाॅ. ललन कुमार ने कक्षा में स्टूडेंट्स की उपस्थिति लगातार शून्य रहने पर अपने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए लाैटा दी।

एक भी दिन स्‍टूडेंट को नहीं पढ़ा पाने का था मलाल!

ये प्रोफेसर विश्वविद्यालय को 3 साल से पत्र लिखकर अपनी नियुक्ति किसी ऐसे कॉलेज में करने की मांग कर रहे थे, जहां बच्चे पढ़ने आते हों। हालांकि, प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। इससे परेशान आकर नीतीश्वर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपनी तीन साल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए यूनिवर्सिटी को लौटा दी है।

professor lalan kumar
Image Source: Jagran

उनका कहना है कि बिना पढ़ाए मैं वेतन क्यूं लूं? उनकी इस ईमानदारी की बात सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक से बढ़कर एक प्रतिक्रिया सामने आ रही है। किसी ने लिखा, सैल्यूट करने का दिल करता है। कुछ लोग- WOW भी कह रहे हैं। 


उन्होंने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति को पत्र के साथ वेतन का चेक भी भेजा है। कहा तो ये भी जा रहा है कि कुलसचिव ने पहले चेक लेने से इंकार कर दिया, लेकिन बाद में उन्‍होंने स्‍वीकार किया। साथ ही उन्होंने एलएस, आरडीएस, एमडीडीएम और पीजी विभाग में स्थानांतरण की इच्छा जताई है। 

शिक्षा-व्‍यवस्‍था पर भी उठाया सवाल 

ABP न्यूज़ के अनुसार, इस घटना की जानकारी जब लोगों को हुई तो सब हैरान रह गए. डॉ. ललन कुमार ने बताया कि मैं नीतीश्‍वर कॉलेज में अपने अध्‍यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं। इसलिए राष्‍ट्रप‍िता महात्‍मा गांधी के बताए ज्ञान की आवाज पर वेतन की राशि विवि को समर्पित करता हूं। 


डॉ. ललन कुमार ने कहा विवि में गिरती शिक्षा व्‍यवस्‍था को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्‍होंने बताया कि कॉलेज में जब से उनकी नियुक्‍त‍ि हुई है, उन्‍होंने यहां पर पढ़ाई का माहौल यहां पर नहीं देखा है। कहने को तो यहां पर यहां पर हिंदी में 1100 छात्रों का नामांकन है, लेकिन इन छात्रों की उपस्‍थ‍िति शून्‍य है। ऐसे में वह अपने शैक्षण‍िक दाय‍ित्‍व का निर्वहन सही से नहीं कर पा रहे हैं। 

professor lallan kumar
Image Source: India Times (Hindi)

उन्‍होंने बताया कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्‍लास की शुरुआत की गई थी, लेकिन छात्र ऑनलाइन क्‍लास में भी उपस्‍थ‍ित नहीं रहे। इसकी जानकारी उन्‍होंने विवि प्रशासन और कॉलेज प्रशासन को भी दी थी। उन्‍होंने विव‍ि प्रशासन से आग्रह किया है कि उनका तबादला उस कॉलेज में किया जाए जहां शैक्षणिक कार्य करने का मौका मिले। 

ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में फंस गए!

भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, डाॅ. ललन के अनुसार उनकी नियुक्ति 24 सितंबर 2019 काे हुई थी। वरीयता में नीचे वाले शिक्षकाें काे पीजी में पोस्टिंग मिली, जबकि इन्हें नीतीश्वर काॅलेज दिया गया। विश्वविद्यालय ने इस दाैरान 6 बार ट्रांसफर ऑर्डर निकाले, लेकिन डॉ. ललन को नजरअंदाज किया जाता रहा। उन्होंने मेरिट और रैंक का उल्लंघन करते हुए कम नंबर वाले को PG और अच्छे-अच्छे कॉलेज दे दिए। बेहतर रैंकिंग वाले को ऐसे कॉलेजों में भेजा गया, जहां किसी प्रकार के कोई क्लास नहीं होते थे।

Professor lallan kumar
Image Source: Bhaskar

आखिर में अपनी अंतरात्मा की सुनते हुए मैंने 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक प्राप्त सभी सैलरी विश्वविद्यालय को समर्पित कर देना चाहता हूं। विद्यार्थियों की संख्या शून्य होने के कारण मैं चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहा हूं। इस स्थिति में सैलरी स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है।

राष्ट्रपति से मिल चुका एकेडमिक एक्सिलेंस अवार्ड

डाॅ. ललन के अनुसार, उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से और PG की पढ़ाई JNU से की है। दोनों जगह मैं यूनिवर्सिटी टॉपर रहा। ग्रेजुएशन में एकेडमिक एक्सिलेंस का राष्ट्रपति अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा अपनी एमफिल और PHD भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है।