दूध-घी खाकर गांव के देशी पहलवान ने पाकिस्तानी खिलाड़ी को चटाई धूल, गोल्ड जीत रचा इतिहास!

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बीते शनिवार को राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार दूसरे दिन देश के पहलवानों का दबदबा रहा। भारत ने 9वें दिन कुश्ती में तीन गोल्ड मेडल जीते, जिनमें एक ओलंपिक पदक विजेता रवि दहिया, दूसरा पदक विनेश फोगाट व तीसरा पदक नवीन ने जीता। भारतीय पहलवान नवीन ने पाकिस्तान के रेसलर शरीफ ताहिर को हराकर कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को 12वां गोल्ड दिलाया। 

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आपको बता दे, 19 वर्षीय नवीन ने डेब्यू कॉमनवेल्थ गेम्स में सोना जीता। इसी के साथ राष्ट्रमंडल खेलों के इस बार भारत कुश्ती में 6 गोल्ड जीतने में सफल रहा।  कॉमनवेल्थ गेम्स में यह भारत की कुश्ती में रिकॉर्ड है। इससे पहले भारत ने कभी इतने गोल्ड मेडल नहीं जीते थे। 

नवीन ने पाकिस्तानी को पटखनी दी थी!

आपको बता दे, हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव पुगथला के पहलवान नवीन मलिक का मुकाबला पाकिस्तानी पहलवान मोहम्मद शरीफ ताहिर से था। इसके बाद जैसे ही मैच सुरु हुआ नवीन ने पाकिस्तानी पहलवान पर बढ़त बनाना सुरु कर दिया, और देखते ही देखते पहलवान नवीन मलिक ने जैसे ही पाकिस्तान के पहलवान मोहम्मद शरीफ ताहिर को 9-0 से पटखनी दी तो पूरा देश ख़ुशी से झूमने लगा। 

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इसी के साथ नवीन के गांव में जश्न का माहौल बन गया। परिजन व यार दोस्त मिठाइयां बाटने लगे, ढोल नगाड़े बजने लगे तो पूरे गांव में गोल्ड जीतने की खुशियां मनाई जाने लगी। नवीन के पिता धर्मपाल का का कहना है कि हमें बेटे की उपलब्धि पर गर्व है। उनके अलावा उनकी मां गुणमति, भाई प्रवीन व ग्रामीणों ने नवीन के बेहतरीन खेल पर एक-दूसरे को बधाई दी। बेटे की जीत पर नवीन के माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू नजर आए।

बेटे को भैंस का दूध पिलाकर बनाया पहलवान!


पिता धर्मपाल ने कहा कि उनका साधारण सा परिवार है और खेती कर अपना गुजर बसर करते हैं। उन्होंने भैंस का दूध पिलाकर अपने बेटे को पहलवान बनाया है। अब उन्हें अपने बेटे के प्रदर्शन पर गर्व है। अब उन्हें पूरी उम्मीद है कि बेटा ओलंपिक में भी सोना जीतकर लाएगा। जिससे उन्हें और भी ज्यादा खुशी मिलेगी। 

आपको बता दे, नवीन मलिक की इस सफलता में उनके पिता धर्मपाल का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए बहुत मेहनत की है. बेटे को अच्छी खुराक मिल सके इसलिए वह रोजाना उसे घर का दूध और घी देने के लिए 40 किलोमीटर तक जाते थे। इसके लिए वह पहले गांव से गन्नौर रेलवे स्टेशन पर पहुंचते थे और वहां से ट्रेन पकड़ कर आगे 10 किलोमीटर पैदल चल कर उसके अखाड़े में पहुंचते थे। अब स्वर्ण पदक जीतकर नवीन ने अपने पिता की मेहनत सफल कर दी है। 

बड़े भाई से सीखकर कुश्ती के प्रति बढ़ा रुझान!

आपको बता दे, नवीन के बड़े भाई भी पहलवान है। नवीन को कुश्ती का शौक अपने भाई को पहलवानी करते हुए देखने के बाद लगा। इसके बाद पिता ने नवीन को भी प्रशिक्षण लेने भेज दिया। वर्ष 2016 तक दोनों भाइयों ने सोनीपत के कोच बलवान सिंह के पास प्रशिक्षण लिया। वर्ष 2016 में उनके बड़े भाई प्रवीन का नेवी में चयन हो गया। 

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इसके बाद प्रवीन के साथ-साथ नवीन भी नेवी की टीम के साथ प्रशिक्षण लेने लगा। इस दौरान उसने कई राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण जीता। हाल ही में नवीन ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता था। और अब गोल्ड जीतकर देश और अपने गांव का नाम रौशन कर दिया। 

पीएम मोदी समेत कई नेताओ ने दी बधाई!


आपको बता दे, नवीन के द्वारा गोल्ड जीतने की ख़ुशी पूरे देश में मनाई गई। वंही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा नवीन को ट्विटर पर बधाई सन्देश दिया गया। जिस पर कई सारे अन्य यूजर्स ने भी नवीन का हौशला बढ़ाया। अब देश को आगामी मैचो में नवीन से एक बड़ी जीत की उम्मीद बंध गई है।