बूढ़े माँ-बाप को कांवड़ में बिठाकर देवघर की यात्रा पर निकले बेटा-बहु, देखिये वीडियो!

श्रावणी मेला की धूम भागलपुर में चारों तरफ देखी जा सकती है। भगवान भोले के भक्त हर-हर महादेव और बोल बम की जोरदार आवाज लगाते हुए गंगा तटों पर पहुंच रहे हैं। कांवरियों-डाक बम और दांडी बम का जत्था मेले की शोभा बढ़ा रहा है। इस दौरान अजब-अजब नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। जंहा जहानाबाद के चंदन कुमार आज के श्रवण कुमार बनकर अपने पिता और माता को कांवड़ में बैठाकर जल लाने निकल चुके हैं। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।
बूढ़े माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर निकले बेटा-बहू!
कलयुग में आज जहां वृद्ध माता-पिता की सेवा करना बेटा और बहू एक बोझ मानते हैं तो वहीं इसी कलयुग में बिहार का एक पुत्र और पुत्र वधू श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं। सावन मेला में ये दंपति अपने माता-पिता को ठीक उसी तरह तीर्थ (बाबाधाम की यात्रा) पर निकला है जैसे कभी श्रवण कुमार निकले थे।

जहानाबाद जिला के घोषी थाना अंतर्गत केवाली विरपुर गांव निवासी 40 वर्षीय साधु बम श्रवण कुमार के नाम से मशहूर हुए चंदन कुमार अपने माता-पिता को कांवर में बिठाकर, धांधी बेलारी कच्ची कांवरिया के रास्ते पत्नी व बच्चों के साथ झारखंड के देवघर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करने पांव-पैदल बाबाधाम रवाना हुए।
माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर देवघर की यात्रा पर निकले भागलपुर के चंदन कुमार. pic.twitter.com/X2i3xkikGn
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) July 18, 2022
कांवर रुपी बहंगी पर चंदन कुमार ने आगे 70 वर्षीय पिता जगन्नाथ साव केसरी और पीछे 65 वर्षीय माता मीना देवी को बिठाकर 35 वर्षीय पत्नी रानी देवी के सहयोग से, अपने छोटे-छोटे पुत्र कुंदन व पुत्री तन्नु, शिवानी के साथ पांव-पैदल बोल बम की जयघोष करते मार्ग में निरंतर आगे बढ़े चले जा रहे हैं।

कांवड़ को आगे की ओर से चंदन तो पीछे की ओर से उनकी पत्नी रानी कुमारी ने थामा हुआ है। देवघर जाने को लेकर आज के श्रवण कुमार को देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। वंही कच्ची कांवरिया पथ के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में यह चर्चा का बिषय बना हुआ है। लोग इसकी काफी सराहना कर रहे हैं।
माता पिता की सेवा को लेकर क्या बोले बेटा-बहु?
चंदन कुमार ने बताया कि हम प्रत्येक महीने सत्यनारायण व्रत का पूजन करते हैं और उसी के दौरान मन में इच्छा जाहिर हुई माता और पिताजी को बाबाधाम की पैदल तीर्थ कराने की। लेकिन माता और पिताजी वृद्ध हैं तो ऐसे में 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल तय करना संभव नहीं था।
बिहार में अजब नजारा, माता-पिता को कांवड़ पर बैठाकर देवघर निकले आज के श्रवण कुमार #Bihar #KanwarYatra #KanwadYatra pic.twitter.com/zAaqPV9aZ9
— Hindustan UP-Bihar (@HindustanUPBH) July 18, 2022
ऐसे में मैंने अपनी इच्छा पत्नी को बताई तो पत्नी ने ख़ुशी-खुशी अपनी सहमति जताई। जिसके बाद हम दोनों ने ये कार्य करने की ठान ली और इसके लिए माता-पिता की भी अनुमति ली और निकल पड़े कांवड़ यात्रा पर। रविवार सुबह 5:00 बजे जल संकल्प कराकर माता-पिता को कांवर रुपी बहंगी में बिठाकर पति-पत्नी कांधे पर उठाए बच्चों के साथ बाबा के दरबार जाने की सोची।

चंदन ने बताया कि इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि माता-पिता को हम बहंगी में बिठाकर अपने कंधे के बल इस यात्रा को सफल करेंगे। इसी दौरान मैंने एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी तैयार करवायी और रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बिठाकर यात्रा शुरू की है।
कांवड़ में एक तरफ पिता तो दूसरी तरफ माता!
बहंगी के आगे हिस्से को इस वृद्ध दंपति के पुत्र ने अपने कंधे पर लिया है जबकि उनकी पत्नी रानी देवी पीछे से सहारा दे रही हैं। वंही बहू रानी ने बताया कि पति के मन में इच्छा जाहिर हुई तो मुझे भी इसमें भागीदार बनने का मन हुआ। हम लोग खुश हैं कि अपने सास-ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकले हैं।

उन्होंने बताया कि लंबी यात्रा है समय लगेगा लेकिन हम इस यात्रा को जरूर सफल करेंगे। आगे चंदन कुमार ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही पूजा। वहीं माता-पिता ने कहा कि बाबा भोलेनाथ सभी को मेरे जैसा पुत्र दे।
परिवार है निरक्षर लेकिन सेवाभाव पढ़े-लिखो से ज्यादा!
चंदन कहते हैं, 'हम पति-पत्नी और मेरे माता-पिता निरक्षर हैं। हम कबाड़ी का काम करते है। मेरा पुत्र तीसरी कक्षा और पुत्री छठी व तीसरी कक्षा में पढ़ती है। महादेव के प्रति हमारी असीम श्रद्धा है और हम भगवान को प्राथमिकता देते हैं। उन्हीं के हाथों में हमारे जीवन की पतवार है।

बाकई ऐसे समय में जब लोग अपने माता पिता को घर तक से निकाल दे रहे है वहीं एक पुत्र और पुत्र वधू का श्रवण कुमार बन माता पिता को कांधे पप टांगकर 105 किलोमीटर का यात्रा कराना सच में अकल्पनीय है। महादेव इस परिवार को सभी खुशियां दे, और अपना आशीर्वाद बनाये रखे।