माँ कर्मचारी, पिता दर्जी... कर्जा लेकर बेटी को पढ़ाया, होनहार बिटिया ने 92% नंबर लाकर नाम रौशन कर दिया!

देखना है हौसला मेरा और नापना है मेरी उड़ान को, जाओ और ऊंचा कर दो आसमान को...। शुक्रवार को देश में सीबीएसई बोर्ड ने कक्षा 12वीं और 10वीं का परिणाम घोषित किया। देश की लड़कियों ने अच्छे नंबरों से बोर्ड परीक्षा पास कर अपने साथ परिवार और स्कूल का नाम भी रोशन किया। तो गौतमबुद्धनगर की गुंजन सिंह ने 12वीं में 92% नंबर हासिल किए।
बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने बाली गुंजन के लिए इतनी बड़ी सफलता आसान नहीं थी, इस सफलता के पीछे है उनकी माँ और पिता दोनों की मेहनत के हाँथ। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाली गुंजन के पिता गुरमीत सिंह एक दर्जी हैं और मां दया कौर स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हैं। ऐसे में गुंजन ने किस तरह संघर्ष करके ये मुकाम हासिल किया? चलिए हम आपको बताते है।
माँ-बाप ने कर्ज लेकर उठाया बेटी की पढ़ाई का खर्चा!
कहते हैं बच्चों के प्रति मां-पिता का प्यार अमूल्य होता है, इसे कभी भी तोला नहीं जा सकता। एक मां अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करने के लिए खुद को न्योछावर कर देती है। ऐसा ही कुछ नजारा सीबीएसई बोर्ड के परीक्षा परिणाम आने के बाद एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में देखने को मिला। जंहा कि छात्रा गुंजन सिंह ने 12वीं में 92% नंबर हासिल कर अपने माँ-बाप का नाम रौशन कर दिखाया।

आपको बता दे, एमिटी इंटरनेशनल स्कूल में गुंजन सिंह का एडमिशन ईडब्ल्यूएस कोटे से हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाली गुंजन के पिता गुरमीत सिंह एक दर्जी हैं और मां दया कौर स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हैं। और परिवार मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले हैं। लेकिन फ़िलहाल परिवार नोएडा के छलैरा गांव में रहता है।
मां ने PF के पैसाें से बेटी को दिलवाया मोबाइल!
भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, माँ दया एमिटी स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करती है। जब देशभर में लॉक डाउन लगा तो परिवार आर्थिक तौर पर टूट गया। इसी दौरान स्कूल कालेज बंद हो गए और ऑनलाइन क्लास का दौर सुरु हो गया था। लेकिन गुंजन के पास मोबाइल नहीं था, सो बह पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। माँ दया ने बेटी की मज़बूरी को समझा और एक स्मार्ट फोन बेटी को दिलवाने का फैसला किया।

लेकिन कोरोना काल में परिवार की माली हालत बेहद नाजुक मोड़ में पहुँच चुकी थी तो एक समर्थ फोन खरीदना कंहा आसान बात थी। माँ दया ने इधर-उधर हाँथ पैर मारे और सोचा सायद कुछ पैसा का जुगाड़ हो जाये, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मजबूरन माँ को अपनी अपने PF यानी प्रॉविडेंट फंड के एकाउंट से 40 हजार रुपए निकाले। और इन पैसों से अपनी बेटी और बेटे के लिए मोबाइल फोन खरीदा।
10वीं में आए थे 69.2 % और बारहवी में बनी स्कूल टॉपर!
आज जब सीबीएसई बोर्ड का रिजल्ट आया तो गुंजन ने भी अपने माँ-बाप को निरास नहीं किया। बल्कि टॉपर बनकर उनका नाम रौशन कर दिया। गुंजन ने 12वीं कक्षा आर्ट्स स्ट्रीम से पास की है। उन्होंने इतिहास में 96, हिंदी में 89, राजनीति विज्ञान में 87, होम साइंस में 90 और मूर्तिकला विषय में 98 अंक हासिल किए हैं। इस तरह 92% हासिल कर गुंजन अमित-आशा स्कूल की टॉपर बनी हैं।
गुंजन के पिता गुरमीत बताते हैं कि हमने आज तक अपना मकान नहीं बनाया मगर बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। पढ़ाई पूरी कराने के लिए कर्जा भी लेना पड़ा तो लिया, आज हमें उसी का परिणाम मिल रहा है। बेटी ने टॉप कर हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
बनना चाहती हैं फैशन डिज़ाइनर!
गुंजन बताती हैं कि वो बचपन से अपने पिता को काम करते देखती आई हैं और उनसे काफी प्रेरणा लेती हैं। अपने पिता से टेलरिंग की स्किल सीखी है और भविष्य में फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हैं।