औषधीय खेती के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब लाखो में कमाई और सैकड़ों लोगों को दिया रोजगार!

आज भले ही पूरे देश में किसान खेती की बढ़ती लागत और फसलों के गिरते दामों से परेशान हो, लेकिन बो किसान चाहे तो पारंपरिक खेती छोड़ हर्वल खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। जिन किसानो को लगता है कि खेती-किसानी में कुछ नहीं रखा है, उन्हें हिमाचल प्रदेश के सेईकोठी में रहने वाले लोभी राम से मिलना चाहिए।
यह बो किसान है जिन्होंने खेती के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी। और माजूदा समय में खेती से लाखो की कमाई कर रहे है। तो आइये जानते है लोभी राम की खेती करने के तरीके से जुडी कुछ ख़ास बाते।
खेती के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी!
हिमाचल प्रदेश के सेईकोठी में रहने वाले लोभी राम कभी कृषि विभाग में अनुबंध पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी किया करते थे। लेकिन वर्ष 1999 में उन्होंने कृषि विभाग में अपनी नौकरी छोड़ कर औषधीय खेती करने का निर्णय लिया। इसके लिए शुरुआत उन्होंने अपने खेतो से की और अपने खेतों में ही औषधीय पौधे उगाए। जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ।

अच्छा मुनाफा देखा लोभी राम ने औषधीय खेती विस्तार करने का फैसला किया। जिसके लिए उन्होंने गांव में आसपास की जमीन लीज पर लेकर औषधीय पौधे उगाना शुरू किया। जिसमें आयुर्वेदिक विभाग का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिलता रहा। वर्तमान समय में 400 बीघा जमीन पर औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।
इन औषधीय पौधों की खेती करता है ये किसान
अमर उजाला की एक रिपोर्ट्स अनुसार, कृषि विभाग में नौकरी करने का अनुभव लोभी राम को मिला। जिसके तहत उन्हें औषधीय पौधों का अच्छा खासा ज्ञान है। और जरूरत पढ़ने पर उनकी मदद के लिए आयुर्वेदिक विभाग भी पहुँच जाता है। वंही बात करे किसान की खेती की तो बह फ़िलहाल कई तरह की औषधीय फैसले अपने खेतो में उगाते है।

जिसमे, मुशकबाला, सुंगधबाला, जटामारती, नागछतरी, शिव जटा, शिव जूडी, अतीश-पतीश, बनक्कड़ी, कुटकी इत्यादि औषधीय पौधों की खेती प्रमुख है। इन्ही फसलों की खेती से बह हर साल लाखो रूपये की आमदनी भी अर्जित करते है।
औषधीय फसलों को कौन खरीदता है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, लोभी राम दुर्लभ औषधीय पौधों के संरक्षण और खेती के प्रति ललक ने लोभी राम को एक समृद्ध किसान बना दिया है। बह अपनी फसलों को महाराष्ट्र, किन्नौर, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, बंगलूरू में फार्मा, दवाई सहित अन्य कंपनियों को औषधीय पौधों (जड़ी-बूटियों) का निर्यात कर मोटी कमाई कर रहे हैं।

मौजूदा समय में लोभी राम न सिर्फ अच्छी खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे चुके हैं। अपने काम के लिए लोधीराम अलग-अलग मंचों पर सम्मानित किए जा चुके हैं। राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए भी उनका नाम नामांकित किया जा चुका है।
पूरे देश में इस किसान के कौशल की चर्चा
वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मनाली में हुए सेमीनार में दुर्लभ औषधीय, हर्बल, एरोमेटिक पौधों की खेती करने संबंधी आठ करोड़ का एमओयू भी साइन कर चुके हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की अगुवाई में धर्मशाला में इन्वेस्टर मीट में भी उनके कार्य को सराहा गया।

लोभी राम के इस कार्य में उनका बेटा संजय कुमार जरयाल का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संरक्षण करने का मन बनाया, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी आयुर्वेद ज्ञान व लाभ ले सकें। ये किसान बाकई उन लोगो के लिए प्रेरणा है जो खेती किसानो को कमतर आंकते है।