धरती के भगवान! मिलिए ऐसे डॉक्टर से जो "बेटी" के जन्म पर नहीं लेते फीस, अस्पताल में मनता है जश्न!

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए पुणे के हडपसर इलाके के एक निजी अस्पताल ने अनोखी मुहिम चला रखी है। यहां किसी को बेटी पैदा होती है, उससे अस्पताल का खर्च नहीं लिया जाता। डिलीवरी नॉर्मल हो या सीजेरियन, पूरा खर्च 100% माफ। और यह मुहीम चलाने बाले धरती के भगवान है डॉ. गणेश राख, जिनकी तारीफ में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उन्हें 'रियल हीरो' कहा। तो आइये जानते है डॉ. गणेश राख की कहानी।
धरती के भगवान डॉ. गणेश राख की कहानी!
आप एक ऐसे समाज में रहने की कल्पना करें जहां एक डॉक्टर अपने मरीजों के रिश्तेदारों को बताने के लिए सबसे मुश्किल काम करता है वह यह है कि पैदा होने वाला बच्चा एक लड़की है। डॉ. गणेश राख कई भारतीय डॉक्टरों में से एक हैं जिन्होंने माता-पिता, रिश्तेदारों और यहां तक कि पति के चेहरे से मुस्कुराहट गायब होते देखी है, जब उन्होंने उन्हें बताया कि परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ है।

डॉ. गणेश राख ने देखा कि परिवार तब मिठाईयां बांटते हैं जब उनके यहां लड़का पैदा होता है और लड़की के पैदा होने पर अस्पताल से बाहर निकल जाते हैं, जब वह बीमार हो जाती है तो डॉक्टर से छूट की मांग करते हुए वह उन पर मजबूर हो जाते हैं।

ऐसे में पुणे के डॉ. गणेश राख 'बेटी बचाओ' मुहिम में ख़ास ढंग से योगदान कर रहे हैं, अगर उनके अस्पताल में किसी की बेटी होती है, तो वह कोई फ़ीस नहीं लेते। गणेश राख इसे देश में घटते लिंगानुपात की स्थिति सुधारने के लिए 'छोटा सा योगदान' भर मानते हैं जहां समाज में बेटों को बेटियों पर तरजीह दी जाती है।
पिता मजदूर, माँ दूसरो के घरो पर मांजती थी बर्तन!
डॉ. गणेश राख अपील करते हुए कहते हैं ‘अस्पताल में बेटी पैदा होती है तो मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं। 2012 से ये संकल्प लिया था। अब तक हमारे अस्पताल में सैकड़ो बच्चियां जन्म ले चुकी हैं।

अपनी इस सोच के पीछे की कहानी बताते हुए डॉ. गणेश कहते हैं ‘हम तीन भाई-बहन थे। पिता अनाज बाज़ार में कुली (हम्माली) का काम करते थे जबकि मां दूसरे के घरों में बर्तन मांजने का काम करती थीं। परिवार की आमदनी में राख और उनके दो भाइयों का ख़र्च मुश्किल से ही चलता था।
मेरा सपना डॉक्टर बनने का था। माता-पिता ने मेरा ये सपना पूरा किया। मैं रोज कई किलोमीटर साइकिल चलाकर घर-घर जाकर छोटा-मोटा इलाज करता था। एमबीबीएस करने के बाद शादी हो गई और फिर कुछ समय बाद बिटिया। 2007 में कुछ पैसा हाथ आया तो पुणे में मेडिकेयर हॉस्पिटल फाउंडेशन नाम से दो बेड का अस्पताल खोल लिया।

इसी दौरान एक घटना सामने आई। एक परिवार में बहस चल रही थी कि बेटी पैदा हुई तो खर्च कौन उठाएगा? बात लड़ाई तक पहुंच गई। तभी मैंने तय कर लिया कि मैं ऐसे परिवारों की मदद करूंगा, जिनके यहां बेटियां जन्म लेती हैं।
शुरुआत में मुश्किलें आई मगर परिवार ने साथ दिया!
बेटी बचाओ अभियान सुरु करने के दौरान उनके सामने शुरुआत में तमाम मुश्किलें आई। बच्चियां पैदा होने पर कोई फ़ीस न लेने का फ़ैसला इतना आसान नहीं था, क्यूंकि उस दौरान डॉ. गणेश आर्थिक हालात बहुत बहुत अच्छे नहीं थे। ऐसे में चिंता होना स्वाभिक है कि कि घर कैसे चलाएंगे! ऐसे में कई लोगों ने उन्हें टोका, कहा- ऐसे तो अस्पताल ही बंद हो जाएगा। खर्चा कंहा से निकालोगे, अपना भविष्य कैसे बनाओगे जैसे ढेरो सवाल दागे गए।

मगर उनके पिता आदिनाथ विट्टल राख ने पूरे मन से बेटे के फ़ैसले का साथ दिया। डॉ. राख बताते हैं, “उन्होंने मुझसे कहा कि अच्छा काम करते रहें। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर ज़रूरत हुई तो वह फिर कुली का काम करने को तैयार हैं।"
लेकिन कहाबत है ना कि जंहा मन अच्छा होता है और काम नेक, तो भगवान खुद आगे बढ़कर आपकी मदद करते है। और बही हुआ डॉ. राख के साथ, राख की कोशिशों और उनके परिवार का त्याग काम आया। और बेटियों का भाग्य देखो कि आज उनका अस्पताल 50 बिस्तरों वाला हो गया।
बेटी के जन्म पर अस्पताल में होता है जश्न!
और आज डॉ. गणेश राख 'बेटी बचाओ' मुहिम में ख़ास ढंग से योगदान कर रहे हैं। अगर उनके अस्पताल में किसी की बेटी होती है, तो वह कोई फ़ीस नहीं लेते। वे बताते हैं, “मैंने फ़ैसला किया कि अगर बेटी का जन्म होता है तो मैं कोई फीस नहीं लूंगा। लोग बेटे के जन्म पर जश्न मनाते हैं तो हमने फ़ैसला किया कि हम बेटियों के जन्म पर जश्न मनाएंगे।”

पूरा अस्पताल किसी जच्चा के यहां बेटी होने पर चहक उठता है। पूरे अस्पताल में मिठाई बांटी जाती है। बच्ची की मां के हाथ से केक कटवाया जाता है। मां बनी महिला का सम्मान किया जाता है।
डॉ. गणेश ने बताया- देश में डिलीवरी के जरिये अस्पताल करोड़ों कमाते हैं, लेकिन बेटी के पैदा होने पर उनकी मदद कर जो संतोष मुझे मिलता है, वो अनमोल होता है। मैं चाहता हूं कि देशभर के प्राइवेट अस्पताल भी इस मुहिम में जुड़ें। अपने अस्पतालों में बेटी पैदा होने पर डिलीवरी खर्च, दवाई मुफ्त कर दें।

पिछले कुछ महीनों से उन्होंने देशभर में डॉक्टरों से संपर्क साधा है और उन्हें भी कम से कम एक प्रसव ऑपरेशन मुफ़्त करने की अपील की है। कई ने उन्हें सहयोग देने का वादा किया है।
अमिताभ बच्चन ने कहा "रियल हीरो"
Dr Ganesh Rakh: Trailblazer
— M V Rao @ Public Service (@mvraoforindia) January 15, 2022
👏 🎉 🙏
He waives fees when a girl child is born in his hospital
In Hadapsar near Pune, he started hospital in 2007
Initiated 'Save Girl Child' Campaign
It is now a network of doctors and like-minded people
His childhood was in extreme hardship pic.twitter.com/vBgTJzO5os
आज मंत्री और अधिकारी डॉ. राख के काम की प्रशंसा करते हैं और बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने उन्हें 'रियल हीरो' कहा है। आप सबसे हमारी अपील है कि बेटियों को कभी बेटो से कम मत समझिये। यदि आप खुद के प्रति ईमानदार हैं, तो आपको पता होगा कि यह कन्या भ्रूण हत्या नहीं है, यह नरसंहार है। इसलिए ईस्वर के दिए अनमोल तोहफे को कबूल करिये और बेटो की तरह बेटियों के जन्म पर जश्न मनाइये। यकीन मानिये आपको दिल से सुकून मिलेगा।