मजदूरी करने गया मुंबई तो धारावी झुग्गी में मिला आइडिया, और खड़ा कर दिया करोडो का बिजनेस!

मेहनत के दम पर इंसान अपनी किस्मत खुद बदल सकता है, और इस बात का जीता जागता सबूत है लेदर बैग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ‘शान वर्ल्ड वाइड’ के मालिक कनवीर कमर फैजी। जो मुंबई शहर में मजदूरी करने आया और अपनी मेहनत के दम पर न केवल करोड़ों की टर्नओवर बाली कंपनी खड़ी की बल्कि अपने जैसे कई लोगों के मददगार भी बना। तो आइये जानते है, इस नौजवान के संघर्ष की कहानी...जो आम जनमानस के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।
मजदूरी करने आये थे मुंबई!
भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, साल 2010 में कनवीर गांव के कुछ दोस्तों के साथ मुंबई आये थे, कारोबार भी करना चाहते थे, लेकिन पैसे नहीं थे। कुछ करने की चाह लिए कनवीर अपने गांव के लोगों के साथ धारावी में रहने लगे, और छोटी मोटी मजदूरी करके अपना गुजारा करने लगे। इसी दौरान उन्हें काफी कोशिशों के बाद टाटा इंडिकॉम में सिम कार्ड बेचने का काम मिला। इस नौकरी में उनका वेतन 7,000 रुपए महीना था।

कनवीर बताते है कि इतने पैसों में तो गुजारा करना मुश्किल था। इसके बाद 2013 में कनवीर ने लोन देने वाली एक कंपनी में 14000 रुपये महिना की वेतन पर नौकरी कर ली। लेकिन हर रोज खटकता था कि ऐसे कब तक चलेगा, बह कुछ बड़ा करना चाहते थे लेकिन पैसे की मज़बूरी के कारण हाँथ बंधे हुए थे। वह इन नौकरियों से खुश नहीं थे।
कनवीर हर रोज जिंदगी के उस मोड़ के दिखने का इंतजार रहता जो उन्हें कामयाबी की बुलंदियों तक ले जाए। तभी उनकी नजर उस बिजनेश पर पड़ी, जिसको उनके गांव व यूपी-बिहार के लोग सालो से करते आ रहे थे, यानी लेदर के बिजनेश पर। क्यूंकि कनवीर ऐसे ही लेदर फैक्ट्री में मजदूरी करने वालों के साथ रहते थे, तो उनके मन में आया कि मजदूरी करने से अच्छा क्यों ना इस बिजनेस में हाँथ डाला जाए। बस फिर क्या था... कनवीर जुट गए अपने इस नए बिजनेस की बारीकियां सीखने में।
दोस्तों से उधार लेकर सुरु किया बिजनेस!
आपको बता दे, मुंबई की धारावी को एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया कहा जाता है। यंहा अक्सर यूपी-बिहार के लोग मजदूरी करके अपना गुजारा करते है, वंही इस बस्ती के ज्यादातर लोग लेदर इंडस्ट्री से भी जुड़े हुए है, अब इसे किस्मत ही कहा जाएगा कि कनवीर ऐसे ही लेदर फैक्ट्री में मजदूरी करने वालों के साथ रहते थे। यहां रहते हुए उन्हें अपने लोगों से लैडर प्रोडक्ट्स के बिजनेस और इसके अच्छे स्कोप के बारे में पता चला।

कनवीर ने सबसे पहले उन लोगो से मुलाक़ात की जो पहले से लेदर प्रोडक्ट के बिजनेस से जुड़े हुए थे। और फिर उनसे अपने मतलब की जानकारी इकठ्ठा करके और अपने रिश्तेदारों से एक लाख 10 हजार रुपए का कर्ज लेकर बिजनेस शुरू कर दिया। इसके लिए कनवीर ने 20,000 रुपए एडवांस देकर 4,000 रुपए महीने के रेंट पर एक कमरा लिया। चूँकि धारावी में लेदर बर्कर्स आसानी से उपलब्ध हो जाते तो उन्होंने 3 लोगो को अपने साथ काम पर रख लिया।

बिजनेस की शुरुआत में धारावी से ही बैग बनाने के लिए लेदर खरीदी, और काम सुरु कर दिया। कनवीर का बिजनेस शुरू हो चुका था, प्रोडक्ट बनने लगे थे लेकिन समस्या ये थी कि इसे बेचा कैसे जाए? काफी भटकने के बाद भी उन्हें छोटे-मोटे 10-20 प्रोडक्ट बनाने के ही ऑर्डर मिलते थे। ऐसे में कारीगरों रोजाना खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा था।
किस्मत ने दिलाया पहला बड़ा ऑर्डर!
कनवीर के अंदर सबसे अच्छी बात ये है कि बह अपने काम को लेकर समर्पित है। फिर चाहें बह बिजनेस सुरु करना हो या फिर अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए नए-नए आईडिया खोजना हो। बह अक्सर कहीं भी जाने पर अपने प्रोडक्ट और काम के बारे में लोगों से चर्चा जरूर करते, और उन्हें अपने प्रोडक्ट की पूरी जानकारी देते। ऐसे ही एक आम दिन कनवीर अपना पासपोर्ट रिन्यू करवाने गए।

आदत के अनुसार वह पासपोर्ट ऑफिस में अपने काम से आए अन्य लोगों के साथ अपने प्रोडक्ट और काम के बारे में बात करने लगे। अब इसे किस्मत ही कहा जायेगा कि बह उस दिन जिस ब्यक्ति को अपने प्रोडक्ट की जानकारी दे रहे थे बह संयोग से गो ब्रांड का अकाउंटेंट निकला। जिसने कनवीर की लगन और मेहनत देख अगले ही दिन अपनी कंपनी बुलाया और उन्हें 10 लाख का ऑर्डर दे दिया।

बस फिर क्या था, देखते ही देखते, और भी बड़ी कंपनियां जुड़ती चली गईं। एलबॉर्न इंटरनेशनल, अल्फा डिजिटल, सन फार्मा जैसी कंपनियों के ऑडर्स मिलने लगें। इसके बाद तो कनवीर ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कनवीर के बिजनेस की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी खुलने के चंद सालों बाद ही 2016 में इसका सालाना टर्नओवर एक से डेढ़ करोड़ के बीच होने लगा था।
कामयाबी के बाद देखा बड़ा नुकसान, लेकिन नहीं मानी हार!
आपको बता दे, ऐसा नहीं कि कनवीर ने बिजनेस शुरुआत के बाद सिर्फ सफलता देखी उन्होंने इस दौरान बिजनेस और जिंदगी का बह रूप भी देखा जिसमे इंसान टूटकर बिखर गया यानी कोरोना काल। इस महामारी में आम ब्यापारियों की तरह कनवीर को भी लाखो का नुकसान उठाना पड़ा। हालत ये हो गई कि 20 लाख का ऑर्डर स्टोर में रखे-रखे सड़ गया, आर्डर मिलना बंद हो गए। और रहने-खाने के लिए संघर्ष फिर से सुरु हो गया।

दरअसल, महामारी के समय कई बड़े ब्यापारियों ने अपने यंहा काम करने बाले बर्कर्स को निकाल दिया, ऐसे में उनके पास ना तो रहने-खाने की जगह बची और जीवन यापन के लिए जरुरी साधन। ऐसे में कनवीर ने कई सारे मजदूरों को अपने यंहा पनाह दी, और जब महामारी ने बिकराल रूप धरा तो कनवीर 3 वर्कर्स और अपने परिवार को लेकर दरभंगा लौट गए। जैसा कि आपने पलायन के बक्त कई मजदूरों को घर लौटते देखा होगा ठीक उसी तरह।
अब खुद का ब्रांड लॉन्च करने जा रहे कनवीर
इस दौरान कनवीर ने वक्त की गहरी मार जरूर सही लेकिन हारे नहीं। उन्होंने गांव लौटने के बाद भी अपने कस्टमर्स को कॉल कर उनसे बातचीत करना नहीं छोड़ा। स्थिति के थोड़ा सामान्य होते ही वह फिर से मुंबई लौट आए। और इसके बाद उन्होंने हर रोज नई कंपनियों में जाना शुरू किया, उनसे काम मांगा। वह बिना किसी अफसोस के कहते कि उन्हें काम दिया जाए, उनके कारीगर खाली बैठे हैं।

नतीजन अल्फा डिजिटल, सन फार्मा जैसी कंपनियों से ऑर्डर मिलने लगे। और धीरे-धीरे फिर से काम चल पड़ा। आज फिर से उनकी कंपनी अच्छा मुनाफे के साथ दुबारा खड़ी हो गई और अब बह 'EXOX' नाम से अपना खुद का ब्रांड लॉन्च करने जा रहे हैं।