पति-पत्नी का कमाल, किसानो की मदद के लिए बनाया ऐसा इलेक्ट्रिक बैल... जो मालामाल कर देगा खेती!

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जंहा पहले बैलो से खेती की जाती थी, तो उसकी जगह ट्रेक्टर ने ले ली। खेतो में जुताई-बुआई अब भी बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन तरीका थोड़ा बदल गया है। और इसी बदलते दौर की जरूरत को समझा एक इंजीनियर दंपत्ति ने और बना दिया इलेक्ट्रिक बैल। जी हां, हांड मांस का बैल नहीं इलेक्ट्रिक बैल। जिसकी मदद से किसान कई सारे काम आसानी से कम लागत में करके अच्छी आमदनी का लाभ उठा सकते है। तो आइये जानते है इस इलेक्ट्रिक बैल की कहानी।
इंजीनियर कपल ने बनाया इलेक्ट्रिक बैल!
देशभर में फैली महामारी ने देश की हालत खस्ता कर दी, लॉकडाउन लगा तो लोग अपने -अपने घरो की तरफ भागने लग गए। नौकरी के लिए शहर आए लोग अपने गांव-घर की ओर लौट रहे थे। यह, वह समय था, जिसने देश में बड़े पैमाने पर वर्क फ्रॉम होम कल्चर को जन्म दिया। इसी दौरान पेशे से इंजीनियर तुकाराम सोनवने और उनकी पत्नी सोनाली वेलजाली को भी work-from-home करने का मौका मिला।

14 सालों में शायद पहली बार ये दोनों लोग अपने गांव अंदरसुल में इतने ज्यादा समय तक रुके। इससे पहले दोनों गांव त्योहारों की छुट्टियों पर आते थे, और बापिस चले जाते थे। लेकिन महामारी ने सब बदल दिया और दम्पत्ति को गांव में रुकना पड़ा। लेकिन यह एक मौके की तरह साबित हुआ, जिसमे किसानो की तकदीर बदलने बाला फैसला हुआ।
तुकाराम पेशे से मकैनिकल इंजिनियर हैं, लॉकडाउन में जब उन्हें घर से काम करने का मौका मिला, तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया। उन्होंने गांव के पुराने मित्रो और परिचितों से लंबी मुलाकते की तो जाना कि देश तो आगे बढ़ रहा है लेकिन उनका गांव अभी भी पुरानी पद्द्ति पर खेती के लिए मवेशियों और श्रम पर निर्भर है। जिसका सीधा असर किसानों की जेब पर पड़ रहा था।

खासकर छोटे और मझले किसानो की खेती लागत बढ़ रही थी, और आमदनी घटने की बजह से उन पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता था। जिसका मुख्य कारण मशीन का इस्तेमाल न के बराबर करना था।
किसानों की मदद के लिए बनाया ‘Electric bull’
इसके बाद तुकाराम ने अपनी पत्नी सोनाली जो पेशे से एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर है, के साथ मिलकर एक इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) बनाने का फैसला किया। जो खेतों की जुताई-बुवाई और कीटनाशक के छिड़काव की प्रक्रिया में बहुत अधिक श्रम लगता है, उसको कम करने में सक्षम है। तुकाराम और सोनाली का मानना है कि इससे किसानों, खासतौर पर छोटे किसानों को काफी मदद मिलेगी।

तुकाराम के मुताबिक इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) सामान्य मवेशी की तुलना में सिर्फ 10 पैसे खर्च करता है और सारी प्रक्रिया ठीक से करता है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक बुल के निर्माण के लिए इंजन और अन्य सामग्रियां बाहर से मंगवाई गईं है। जिसके बाद हमने एक ऐसी मशीन (Electric Bull) बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया, जो सभी काम प्रभावी ढंग से करे।
समस्याएं अनेक, समाधान एक
आपको बता दे, खेती की कुछ प्रक्रिया ऐसी है जो बैलों की मदद से ही संभव है, ट्रैक्टर से उसे नहीं किया जा सकता। बीज बोने और कीटनाशक आदि के लिए बैल का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी वजह यह है कि वृक्षारोपण के बीच की दूरी कम रहती है। इसी काम के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करने से किसानों को दिक्कत आती है।
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— Krishigati (@krishigati) April 16, 2022
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इसके अलावा, बढ़ते हुए पौधों की छटाई भी नहीं की जा सकती थी और इसके लिए श्रम भी काफी महंगा पड़ता है। साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव करना भी मुश्किल था, क्योंकि पौधे जब एक बार बड़े होने लगते हैं, तो वहां तक ट्रैक्टर पहुंचने की जगह नहीं होती है, लेकिन बैल आसानी से पहुंच जाता है।
क्या क्या काम कर लेता है इलेक्ट्रिक बुल?
महीनों तक किसानों की समस्या पर रिसर्च करने के बाद तुकाराम ने इस इलेक्ट्रिक बैल का निर्माण किया। एक बार जब खेत जुताई के बाद तैयार हो जाता है और पहली बारिश होती है तो इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) वहीं से लेकर कटाई तक सभी काम का ध्यान रख सकती है। तुकाराम का इलेक्ट्रिक बुल बिना एक्सेल का एक वाहन है जो खेती में अलग-अलग तरह के काम कर सकता है।
Glimpses of Day 2 at Alternate Fuel Conclave 2022 #Pune.
— Atal Incubation Centre - Pinnacle Industries (@AicPinnacle) April 5, 2022
Visit of Mr. @samant_uday Ji - Hon. Minister of Higher and Technical Education, Government Of Maharashtra, India.#startups #india #aicpinnacle #electricvehicle #startupindia #innovation #incubation #investment pic.twitter.com/pRFwFIJJ5C
इससे समय और लागत की बचत होती है। और तो और इसे चलाने के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति की जरूरत है। इनोवेटिव मशीन उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जिनकी खेती में ट्रैक्टर का प्रयोग नहीं किया जा सकता। एक बार फुल चार्ज होने पर यह इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) चार घंटे तक काम करता है।

तुकाराम ने अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए उन्होंने ‘कृषिगति प्राइवेट लिमिटेड’ नाम का एक स्टार्टअप भी शुरु किया है। वंही सोनाली ने बताया कि लगभग 2 एकड़ जमीन के पारंपरिक रख-रखाव में करीब 50,000 रुपये लगते हैं। लेकिन इस उपकरण से केवल 5,000 रुपये में काम हो जाता है। इस तरह, लागत घटकर 1/10 हो जाती है। सोनाली का कहना है कि प्रोडक्ट का उत्पादन चल रहा है और जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा।