बड़ा दिल! भीख मांग कर गुजारा करने वाली बुजुर्ग महिला ने दिया मंदिर को लाख रुपयों का दान!

अलग-अलग लोगों की भक्ति भी अलग-अलग तरीकों से प्रकट होती है। लोग धार्मिक स्थलों पर जाकर अपनी श्रद्धा और हैसियत के हिसाब से दान करते हैं। मंदिर में दान करने के अलावा लोग मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को भी कुछ पैसे या भोजन दान में देते हैं। लेकिन आज की ये कहानी उलट है, यंहा एक महिला भिखारी ने भक्त बनकर मंदिर को दान दिया है। तो आइये जानते है पूरी कहानी क्या है?
महिला भिखारी का बड़ा दान!
मामला कर्नाटक के कुनादपुर के गंगोली निवासी एक गरीब भिखारी महिला से जुड़ा है। और इस 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला का नाम अश्वत्थाम्मा बताया जा रहा है। खबर है कि यह महिला मंदिर के बाहर बैठ कर भीख मांगती है और इसी से अपना जीवन-यापन करती है। अब इस महिला ने कुछ ऐसा किया है जिसे जानने के बाद हर कोई हैरान है।

दरअसल, इस गरीब महिला ने, जो कि मंदिर के बाहर भीख मांगकर अपना जीवन-यापन कर रही हैं, ने मंदिर के लिए एक लाख रुपये का दान दिया है। यह दान उन्होंने उस देवता के लिए किया है, जिस पर उनकी प्रगाढ़ आस्था व विश्वास है। जिसकी लोग भूरि-भूरि प्रसंशा कर रहे हैं।
बुजुर्ग महिला बनी लोगो के लिए प्रेरणा!

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट अनुसार, मैंगलोर के पास रहने वाली बुजुर्ग भिखारी महिला सेलिब्रिटी बन गई हैं। कारण यह है कि उन्होंने पोलाली गांव के राज राजेश्वरी मंदिर को अन्नदान सेवा (प्रसाद, दैनिक भोजन) के लिए एक लाख रुपये का दान दिया है। जिसे उन्होंने भीख मांगकर एकत्र किया था।
अयप्पा स्वामी की भक्त हैं बुजुर्ग महिला
खबर के मुताबिक बुजुर्ग महिला, भवति भिक्षान्देही के आदर्श वाक्य के साथ मंदिर के प्रांगण में भीख मांगती हैं। वह महिला, अयप्पा स्वामी की भक्त हैं। ज्यादातर समय वह अयप्पा स्वामी माला पहनती हैं और भगवान अयप्पा की सेवा करती रहती हैं। परिवार में गरीबी होने के बावजूद उन्हें इस बात की चिंता नहीं है।

वह पोलाली मंदिर और अन्य अवसरों के वार्षिक जथरा के दौरान भीख मांगती हैं और उस पैसे का योगदान अन्नदान के लिए किया है। बता दें कि ये अन्नदान सेवा मंदिर के प्रसाद और हर रोज के लगने वाले लंगर के लिए दी जाती है। हैरान करने वाली बात ये है कि दान के ये पैसे इस महिला ने भीख मांगकर जमा किये थे।
बुजुर्ग महिला पहले भी कर चुकी है दान!
रिपोर्ट के अनुसार, अश्वत्थाम्मा ने पहली बार ऐसा काम नहीं किया, बल्कि एक साल पहले भी इन्होंने उडुपी के विभिन्न मंदिरों को पांच लाख रुपये दान में दिए थे। वे मंदिरों के अधिकारियों से जरूरतमंदों को भोजन परोसने के लिए राशि का उपयोग करने के लिए कहती हैं। इस धन को उन्होंने उडुपी में सालिग्राम के गुरुनरसिंह मंदिर को 1 लाख रुपये।

तन्नूर कांचुगोडु मंदिर को 1.5 लाख रुपये और सबरीमाला को 1 लाख रुपये का दान दिया है। इससे पहले भी उन्होंने पोलाली मंदिर को दान दिया था। बता दें कि वह पिछले 25 वर्षों से विभिन्न मंदिरों में अन्नदानम के लिए धन दान कर रही हैं।