हरियाणा की छोरी ने रचा इतिहास, अंडर-20में स्वर्ण जीतने वाली बनी भारत की पहली बेटी!

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antim panghal wins gold medal under 20 world championship

भारत की कई महिला एथलीट देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर रही हैं। इसीक्रम में हरियाणा की छोरी अंतिम पंघाल ने हाल ही में अंडर-20 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया और अंडर -20 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं। लेकिन अपने यहां तक के सफर उनके और उनके माता-पिता के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। तो चलिए जानते हैं भारतीय महिला पहलवान अंतिम पंघाल के बारे में।

कौन हैं अंतिम पंघाल?

अंतिम पंघल हरियाणा के हिसार जिले के भगाना गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम रामनिवास पंघल है और माता कृष्णा कुमारी है। वह अपने परिवार की चौथी बेटी हैं, इसलिए उनके जन्म पर माता पिता ने उनका नाम अंतिम रखा। अंतिम ने भले ही आज अपने माता पिता, गांव, राज्य समेत पूरे देश का नाम रोशन किया है लेकिन उनके जन्म के समय हालात कुछ और थे। 

antim panghal
Image Source: Social Media

रामनिवास पंघल की पहले से तीन बेटियां थीं। परिवार एक बेटे की ख्वाहिश में था लेकिन चौथी बेटी के रूप में अंतिम का जन्म हुआ। दरअसल, उस गांव की प्रथा है कि जिस घर में बहुत सारी लड़कियों का जन्म होता है, वहां उनको काफी या अंतिम जैसे नामों से संबोधित किया जाता है। ऐसा और लड़कियां पैदा न होने की मान्यता के साथ लोग करते हैं।

माँ-बाप ने ज़मीन बेची, ट्रैक्टर बेचा, तब दिलवाई ट्रेनिंग!

हालांकि गांव की प्रथा की वजह से उनका नाम अंतिम पड़ गया लेकिन उनके माता पिता ने हमेशा अपनी बेटी का समर्थन किया। अंतिन ने रेसलर बनने का सपना देखा तो पिता ने उसके सपने को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया। बेटी को बुलंदियों तक पहुंचाने और देश को यह गौरवपूर्ण क्षण दिखाने के लिए अंतिम के माता-पिता ने अपनी ढाई किल्ले (2.5 एकड़) ज़मीन और ट्रैक्टर तक बेच दिया, ताकि बेटी की ट्रेनिंग में कोई कमी ना आए।

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2004 में जन्मीं अंतिम पंघाल ने 12 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी। और गांव के ही अखाड़े में गुरु पवन कुमार से कुश्ती के दांव-पेंच सीखना शुरू कर दिया,  लेकिन कुछ समय बाद, पवन कुमार का निधन हो गया। तो परिवार को लगा की अंतिम की ट्रेनिंग रुक ना जाए इसलिए उसे प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलाने के लिए हिसार में बाबा लाल दास कुश्ती एकेडमी भेज दिया। 


यंहा परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, गांव के कई लोग लड़की को कुश्ती खिलाने के खिलाफ थे लेकिन अंतिम का परिवार उसके साथ हमेशा खड़ा रहा। माँ-बाप ने अपना सबकुछ बेचकर भी अंतिम की बो हर जरूरत पूरी करने की कोसिस की जो एक रेसलर को चाहिए होती है। इस बारे में अंतिम ने बताया कि:-

"पिता रामनिवास पंघाल और माँ कृष्णा कुमारी, उनके रेसलिंग करने के फैसले में हमेशा साथ खड़े रहे। अंतिम ने आगे कहा कि जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप तो केवल सफर है, उनकी मंज़िल ओलंपिक मेडल है।"


अंतिम ने बताया, “मेरी बड़ी बहन सरिता कबड्डी खेलती थीं। वह नेशनल प्लेयर भी रही हैं, लेकिन मुझे कुश्ती में मज़ा आता था। मैंने बचपन में ही सोच लिया था कि मुझे कुश्ती ही करनी है। बहन ने भी मेरा पूरा साथ दिया।”

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Image Source: The Better India

और आज इतनी कम उम्र में उन्होंने वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप का 34 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला। बुल्गैरिया के सोफिया में उन्होंने यह कमाल किया, जहां उन्होंने कजाकिस्तान की अल्टिन शगायेवा को 8-0 से धूल चटाई और वर्ल्ड अंडर-20 रेसलिंग चैंपियनशिप में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी भारतीय महिला पहलवान ने गोल्डन पोडियम फिनिश किया।