तेल नहीं बाजारों में बिक रहा पानी से जलने वाला दीया, जानिए इसकी खासियत!

दिवाली के लिए देशभर में बाजार पूरी तरह सज गया है। बाजार में मिट्टी के दीयों से लेकर इलेक्ट्रानिक झालरों की खूब बिक्री हो रही है। इस बीच बाजार में एक नए किस्म की डिमांड हो रही है। यह आइटम है, पानी वाला दीया। जी हां, दरअसल मेक इन इंडिया के तहत स्टार्टअप ने इस दिवाली बचत वाले दिए बाजार मे उतारे हैं जों बिना बिजली और तेल के जलते हैं। तो आइये तस्वीरो के माध्यम से देखिये वाटर सेंसर यानी पानी बाला दिया कैसे जलता है?
तस्वीरो में देखिये पानी बाला दिया!
आपको बता दे, दिवाली को लेकर भोपाल के बाज़ारों में पानी बाला दिया बिक्री के लिए देखा गया। इन दियो की ख़ास बात ये है कि यह सिर्फ पानी से जलते है। यानी इन दियो को जलाने के लिए ना तो घी की जरूरत पड़ती है और ना ही तेल की। वंही पानी वाला दीया जलाने के लिए न माचिस की तिल्ली का उपयोग करना है और न ही तेल बत्ती का। बोले तो जादुई दीया में पानी डालते ही खुद जल उठता है।

बता दे, सेंसर वाले दिए की खासियत यह है कि यह प्लास्टिक से बने हुए हैं। इन दीयों में पानी डालते ही ये जलने लगते हैं। वंही पानी निकालने के बाद बुझ जाता है। नया आइटम होने की वजह से इसकी मांग बाजार में अधिक हो गयी है। प्लास्टिक से बने दीये में पानी का उपयोग कर जलाया जाता है।
बिना तेल-बाती के कैसे जलता है दिया?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन दीयों में छोटे सेल लगे हुए हैं, जिसमें सेंसर के साथ लाइट लगी हुई है। ये दीये जैसे ही पानी के सम्पर्क में आते हैं तो जगमग-जगमग जलने लगते हैं। वंही जब इन दियो से पानी हटा दिया जाता है तो यह बुझ जाते है।

आपको बता दे, बाजार में इलेक्ट्रिक दीया की तरफ आम मध्यम वर्गीय लोगों का रूझान बढ़ रहा है। इलेक्ट्रिक दीये सस्ते होने के साथ तेल की झंझट से छुटकारा दिला रहा है। लेकिन चाइनिज दीया से दीपावली के पर्व पर पारंपरिक तरीके से मिट्टी के दीया प्रज्जवलित करने की परंपरा को धूमिल होता जा रहा है।
पानी बाले दिया की कीमत क्या?

फूलों की आकृति वाले ये दीये देखने में भी काफी खूबसूरत लगते लगते हैं। बाजार में ये दीये इस साल खूब डिमांड में भी हैं। वंही बात करे इनकी कीमत की तो बाजार में इनको 40 से 70 रुपये के बीच खरीदा जा सकता है। यानी सस्ते होने के साथ-साथ तेल-बाती की भी बचत। इसीलिए आम जनता इस बार इन दियो की तरफ ज्यादा रुख करती देखि गई।
मिट्टी के दियो से मनाई जाती है पारंपरिक दिवाली!

देशभर के बाजारों में झालर से लेकर रंग बिरंगी लाइटों से पूरा बाजरा पटा पड़ा दिखाई देता है। लेकिन दिवाली के पारंपरिक रीति-रीबाजो की बात करे तो दिवाली के दीपक मिट्टी के बने होते है। इनमे दिया-बाती का उपयोग करके जलाया जाता है और भगवान से खुशहाली की प्रार्थना की जाती है। पारंपरिक दिवाली का महत्वा मिटटी दियो से ही है।