क्या नेहरू नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे देश के पहले प्रधानमंत्री?

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subhashchandra bose

पीएम मोदी ने ऐलान किया है कि इस साल 23 जनवरी को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाई जाएगी। यह प्रतिमा इंडिया गेट की उस छतरी के नीचे लगेगी जंहा 60 के दशक में इंगलैंड के राजा और गुलाम भारत के महाराजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी। नेताजी की इंडिया गेट पर प्रतिमा लगाने की घोषणा के बाद से ही एक बार फिर से सोशल मीडिया पर ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या जवाहर लाल नेहरू नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस देश के पहले प्रधानमंत्री थे? 

सुभाष चंद्र बोस ने बनाई थी आजाद सरकार!

आज (23 जनवरी) स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) उर्फ नेताजी की जयंती है। अगर आपसे कोई पूछे कि भारत के पहले प्रधानमंत्री का नाम क्या था? तो आप यही कहेंगे कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। भारत के छोटे से छोटे स्कूल और बड़ी से बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्र यही जवाब देंगे क्योंकि बचपन से ही भारत में स्कूल की किताबों में यही इतिहास पढ़ाया गया है। लेकिन ये बात पूरी तरह सच नहीं है। 

Subhashchandra bose with nehru
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को भारत की पहली स्वतंत्र अस्थाई सरकार का गठन किया था, जिसका नाम था-आजाद हिंद सरकार। बोस ने इस सरकार का गठन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सिंगापुर में किया था। नेताजी ने इस सरकार को आजाद भारत की पहली ‘अर्जी हुकुमते-आजाद हिंद' कहा था, इसे निर्वासित सरकार (गवर्नमेंट इन एग्जाइल) भी कहा जाता है।

इसका मतलब साफ़ है कि सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) भारत की पहली आजाद सरकार के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे। निर्वासित या ‘गवर्नमेंट इन एग्जाइल’ सरकार में नेताजी हेड ऑफ स्टेट और प्रधानमंत्री थे। वहीं महिला संगठन की कमान कैप्टन लक्ष्मी सहगल के हाथों में थी। आजाद हिंद सरकार के पास अपना बैंक, करेंसी, सिविल कोड और स्टैंप भी थे।

Subhash chandra bose
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इस सरकार में प्रचार विंग एसए अय्यर संभालते थे। लेकिन ये बात कभी आपको बताई ही नहीं गई। आजाद भारत में सरकारों ने कुछ खास किस्म के इतिहासकारों को ही मान्यता दी।  इन इतिहासकारों ने भारत के इतिहास से जुड़ी बहुतों महत्वपूर्ण घटनाओं को आपसे छुपा लिया। 

8 देशों ने दी थी नेताजी की सरकार को मान्यता

नेताजी द्वारा गठित देश की पहली आजाद सरकार को उस समय धुरी राष्ट्रों के गुट में शामिल जर्मनी, जापान, इटली, क्रोएशिया, थाईलैंड, बर्मा, मंचूरिया, फिलीपींस समेत आठ देशों ने मान्यता दी थी और उसका समर्थन किया था।

18 मार्च 1944 को सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की आजाद हिंद फौज ने भारत की धरती पर कदम रखा था। और उस जगह को अब नागालैंड की राजधानी कोहिमा के नाम से जाना जाता है। 

मोदी सरकार ने आजाद सरकार को दी मान्यता!

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मोदी सरकार साल 2017 में 21 अक्टूबर को भारत की पहली आजाद सरकार की 75वीं वर्षगांठ मनाई थी। इसका अर्थ ये है कि भारत सरकार ने सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) द्वारा स्थापित आजाद हिंद सरकार को मान्यता दे दी है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले का दौरा किया था और वहां आजाद हिंद फौज़ संग्रहालय का उद्घाटन किया था। 

तिरंगा को तय किया था राष्ट्रीय ध्वज!

आजाद हिंद सरकार ने ये तय किया था कि तिरंगा झंडा, भारत का राष्ट्रीय ध्वज होगा। विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार रवींद्र नाथ टैगोर का जन-गण-मन भारत का राष्ट्रगान होगा। और लोग एक दूसरे से अभिवादन के लिए जय हिंद का प्रयोग करेंगे। 

आजाद भारत का एक सच यह भी है! 

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15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजो की गुलामी तोड़ आजाद हुआ, तमाम देशभक्तो में शामिल पंडित जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बनाये गए। चूंकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री थे, और उस बक्त तक भारत पूरी तरह अंग्रेजो का गुलाम था। लेकिन स्वतंत्र भारत में पहली बार नेहरू जी को पीएम बनाया गया। इसलिए आजादी के बाद पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू कहलाये।