मेरा देश बदल रहा है! भारत में पहली बार बनाई गई स्टील की सड़क, जानें क्या होती है खासियत?

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steal road surat

भारत में हर दिन कुछ न कुछ नया हो रहा है। कभी दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बन रही है तो कभी दुनिया का सबसे ऊँचा पुल तो कभी क्रिकेट का सबसे बड़ा स्टेडियम! लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ है, इस बार भारत ने स्टील की सड़क बना डाली है वो भी लाखों टन के कचरे से, है न अजूबा! आपको बता दे, कुछ दिन पहले गुजरात के सूरत से एक बेहद अच्छी खबर आई, सूरत भारत का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां स्टील की सड़क बनाई गई है। अब क्या है पूरा मामला? तो चलिए हम आपको बताते है। 

कैसे बनी है यह सड़क

भारत में सड़कों का एक बड़ा जाल है, और अब इसमें एक और उपलब्धि जुड़ गई है। जी हां, गुजरात में पहली बार स्टील की सड़क बनी है। एक किलोमीटर लंबी स्टील की यह सड़क बहुत खास है, क्यूंकि इसका निर्माण विभिन्न स्टील प्लांट से निकले कचरे का इस्तेमाल कर किया गया है। ये सड़क सामान्य सड़कों से कम खर्चीली और ज्यादा टिकाऊ बताई जा रही है। 

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Image Source: AT

इस एक किलोमीटर लंबी सड़क में छह लेन हैं। स्टील की इस प्रकार की सड़क बनाने में इंजीनियर, वैज्ञानिक और मजदूरों को रात दिन एक करना पड़ा। सबसे पहले स्टील प्लांट के कचरे को एक जगह इकट्ठा किया गया। उसके बाद उन कचरों से स्टील की गिट्टी बनाई गई। इस गिट्टी का उपयोग सड़क में किया गया। कचरे का उपयोग इस प्रकार से करने से भारत को कचरा मुक्त करना आसान होगा और साथ में एक बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर भी मिलेगा। 

यह सड़क बारिश, धूप, और बाढ़ में भी अपनी मजबूती बरकरार रखती है। 6 लेन की इस सड़क को बनाने में स्टील प्लांटों का 1 करोड़ 90 लाख टन कचरे का यूज किया गया है। हजीरा पोर्ट की ये सड़क हैवी वाहनों के आने-जाने से पूरी तरह खराब हो गई थी। स्टील वेस्ट से बनी इस सड़क पर अब हर दिन करीब 1000 से ज्यादा ट्रक 18 से 30 टन का वजन लेकर गुजरते हैं, लेकिन सड़क खराब नहीं हुई है।


यह सड़क काउंसिल ऑफ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल (CSIR) और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) की पहल के तहत बनाई गई है। इस मिनिस्ट्री ऑफ स्टील एंड पॉलिसी कमिशन और नीति आयोग की मदद से तैयार किया गया है। 

स्टील सड़क: भारत का एक ड्रीम प्रोजेक्ट!

दरअसल, हर साल तमाम स्टील प्लांट से कई मिलियन टन स्लैग (steel waste) निकलता है। स्टील स्लैग से मतलब है स्टील इंडस्ट्री का वेस्ट मैटेरियल। स्टील प्लांट से निकले इस स्लैग के कई पहाड़ तक बन गए हैं। अब सरकार इस स्लैग का इस्तेमाल सड़क बनाने में कर रही है, जिससे कचरे से तो निजात मिलेगी ही, विकास कार्य भी होगा। आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में प्रत्येक वर्ष स्टील प्लांट से तक़रीबन 20 मिलियन टन स्टील का कचरा निकलता है।


ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा लगभग 45 मिलियन टन के करीब पहुंच जाएगा। अगर यह सड़क सफल रही तो कचरे का इस्तेमाल कर भारत सड़कों का निर्माण कर सकता है। यह भारत का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। अगर यह सड़क उम्मीदों पर खरी उतरती है तो देश के सड़क परिवहन मंत्रालय को काफी फायदा पहुंचेगा। फिर भारत के कई हिस्सों में स्टील सड़क पर लोग ड्राइव करने का लुत्फ़ उठा सकते हैं। 

कम खर्चीला और ज्यादा टिकाऊ

भारत सरकार को सड़कों की मरम्मत में हर साल करोड़ों रूपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि स्टील के इस सड़क की मरम्मत की आवश्यकता बहुत कम पड़ेगी इससे भारत की तिजोरी पर कम बोझ पड़ेगा। यह सड़क पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है। इसपर प्रत्येक दिन एक हजार ट्रक भारी वजन लेकर गुजर सकता है। 

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Image Source: @AskAnshul

सूरत की इस खास स्टील की सड़क की मोटाई सामान्य सड़क से बहुत कम है। सामान्य सड़क को ज्यादा से ज्यादा मोटा बनाने की कोशिश की जाती है ताकि वे बहुत टिकाऊ बने, इसके बावजूद सामान्य सड़क मरम्मत की पुकार बहुत जल्द करने लगती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सड़क की मोटाई सामान्य सड़क से 30 प्रतिशत कम है। इसके बावजूद यह सामान्य सड़को की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक टिकाऊ है। 

जानकार बताते हैं कि स्टील वेस्ट से बनाई गई सड़कें आमतौर पर साधारण सड़कों से ज्यादा मजबूत होती हैं। CSIR के अनुसार, देश में पारंपरिक सड़कों की तुलना में स्टील की सड़क ज्यादा टिकाऊ और मजबूत साबित होगी। यह मानसून के मौसम में होने वाले नुकसान से बचा सकती हैं। 


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पत्थर और गिट्टी के सड़क बनाने में प्रति वर्ग मीटर 2100-2200 रुपए खर्च आते हैं, जबकि स्टील सड़क में 1200 रुपए की लागत आएगी। इस तरह इस सड़क के निर्माण में कम खर्च आएगा। इसके साथ ही ये ज्यादा टिकाऊ भी होगा. यानी जल्दी मरम्मत की भी जरूरत नहीं आएगी।