जन्म देते ही नर्स ने बदल दिया बच्चा, फिर 3 साल बाद इस तरह अपने बेटे से मिली असली माँ!

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Son Meet her orignal Prents after DNA Test

असम के बारपेटा जिले में मां-बाप को उनका बेटा तीन साल बाद मिला है। DNA टेस्ट के बाद बच्चे के असली मां-बाप की पहचान हुई है। बताया जा रहा है कि एक अस्पताल में तीन साल पहले एक महिला का नवजात बदल गया था। जिसके बाद से ही परिवार क़ानूनी लड़ाई लड़ रहा था, और अब जाकर उन्हें उनका हक़ मिला है। तो क्या है ये पूरा माजरा? आइये हम आपको बताते है। 

नर्स की गलती से बदला था बच्चा!

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2019 में सरकारी अस्पताल में दो गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया गया था। दोनों का नाम नजमा खानम था। इनमें से एक का बच्चा मृत पैदा हुआ था, लेकिन नर्स ने गलती से जिंदा बच्चा दूसरी महिला को दे दिया। यानी जिस महिला का बच्चा जिंदा पैदा हुआ था उसका बच्चा उठाकर मृतक बच्चे की माँ को सौंप दिया गया था। 

son are reunited after a dna test
Image Source: Guwahati Plus

जब यह खबर जिन्दा बच्चे की माँ को लगी तो अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया। जीवित बच्चे की मां और उनके पति को भरोसा नहीं हुआ कि कैसे उनके स्वस्थ्य बच्चे की मौत हो सकती है। आनन-फानन में पुलिस बुलाई गई और शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद बारपेटा सदर पुलिस स्टेशन में अस्पताल के खिलाफ केस कर दिया। 

पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि गोसाईगांव की नजमा खातून उसी दिन अपने बीमार बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाया था और उसी दिन उसकी मृत्यु हो गई थी। ड्यूटी पर तैनात नर्स ने दोनों शिशुओं को मिला दिया और मृत बच्चे को नजमा खानम के पति को सौंप दिया। यानी अस्पताल ने जीवित बच्चे को वास्तविक मां की बजाय अन्य महिला को सौंप दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद हुआ DNA टेस्ट!

मामले में शिकायत पुलिस पहले ही दर्ज कर चुकी थी, ऐसे में मामला कोर्ट पहुँच गया। मामले के जांच अधिकारी ने कोर्ट, आठ अक्तूबर 2020 को बारपेटा के समक्ष  डीएनए टेस्ट के लिए एक याचिका दायर की गई और कोर्ट ने उसे स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने DNA टेस्ट कराने का आदेश दिया, और DNA टेस्ट से पता चल गया कि बच्चे की असली मां कौन सी नजमा खानम है।

new born baby
Image Source: Pexel/Representational image

इसके बाद कोर्ट के आदेश से असली मां को उसका बच्चा वापस कर दिया गया। पुलिस जांच में पता चला कि दोनों के नाम में समानता होने के कारण जिंदा बच्चे को नजमा खानम की जगह गोसाईगांव इलाके की नजमा खातून नाम की दूसरी महिला को सौंप दिया गया था।