अनोखी मिसाल: 'जान लेने का हक किसी को नहीं', इसलिए बकरा नहीं, केक काटकर मनाई बकरीद!

इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-अजहा यानि बकरीद देश के अलग-अलग हिस्सों में 10 जुलाई को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान बकरीद के अलग-अलग रंग भी देखने को मिले। जंहा अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बकरे की बलि देकर बकरीद मनाई। लेकिन सीतापुर में बकरीद के दिन एक परिवार ने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की, जिसके बाद लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। उन्होंने बकरे की जगह केक काटकर मनाई बकरीद। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।
बकरे की जगह केक काटकर मनाई बकरीद!

मामला यूपी के सीतापुर का है। यंहा शहर के मोहल्ला ग्वालमंडी के रहने वाले मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर मूक पशु की कुर्बानी न देकर बकरे की फोटो बने केक को काटकर कुर्बानी दी, जिसके बाद लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। इस दौरान मेराज अहमद ही नहीं उनका पूरा परिवार इस अनोखे बकरीद की खुशियों में शामिल हुआ। पहले तो मेराज अहमद ने केक पर प्रतीकात्मक बकरे का चित्र बनवाया। उसके बाद केक को काट कर कुर्बानी दी।
बताये 'कुर्बानी के कई और रास्ते'
पशु सेवा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष मेराज अहमद ने इस तरह की अनोखी कुर्बानी देने की वजह भी बताई। उन्होंने बताया कि कुर्बानी के कई रूप होते हैं। जरूरी नहीं है कि किसी पशु की ही कुर्बानी दी जाए, बल्कि किसी जरूरतमंद बेटी की शादी करवाकर, किसी को रक्तदान कर उसकी जिंदगी बचाकर भी कुर्बानी में शामिल हुआ जा सकता है।

उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि किसी का जीवन खत्म करने का हक अल्लाह ने किसी मनुष्य को नहीं दिया है, क्योंकि सबका जीवन अनमोल है। राज अहमद ने बताया कि समाज मे सर्वोच्च सोच रखने की अब जरूरत है। बकरीद का त्योहार साल में एक बार आता है और इस मौके पर हजारों-लाखों रुपए के बकरों की कुर्बानी दे दी जाती है। ऐसे में मूक पशुओं की कुर्बानी देने की जगह अब गरीबों की मदद की जानी चाहिए।
समाज को संदेश देने की कोशिश
इससे पहले भी देश के कई हिस्सों से बकरीद के इकोफ्रेंडली तरीके सामने आते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बकरीद के मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गये थे। बकरीद से ठीक पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा भी की थी।