मशहूर है शाहजहांपुर की 'जूता मार' होली, भैंसा गाड़ी पर 'लाट साहब' को बिठाकर निकालते हैं जुलूस

रंगोत्सव होली लोगों ने धूमधाम से मनाई। वंही यूपी के जिला शाजहांपुर की "जूता मार होली" की एक अलग ही पहचान है। दरअसल, ये जूतामार होली अंग्रेजों के प्रति गुस्सा दिखाने के मकसद से खेली जाती है। शाहजहांपुर के लोग भैंसा गाड़ी पर लाट साहब का पुतला बैठाते हैं और पूरे शहर में घुमाते हैं। शहर भर के लोग भैंसा गाड़ी पर बैठे लाट साहब को जूते-चप्पलों से कूटते हैं।
माहौल एकदम मजेदार हो जाता है। बूढ़े, बच्चे और नौजवान सभी जोश में रहते हैं। हालांकि, इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था बड़ी चौकस रहती है, ताकि कोई धार्मिक हिंसा या उपद्रव ना हो। इस तरह की होली की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने में हुई थी।

इस साल भी 'जूतामार' होली परंपरा निभाई गई। जिसमें क़रीब आठ किमी लंबा 'लाट साहब' का जुलूस निकलता है। किसी तरह का कोई विवाद न होने पाए, इसलिए प्रशासन ने जुलूस के रास्ते में पड़ने वाली दर्जनों मस्जिदों और मज़ारों को तिरपाल से ढक दिया है।
आपको बता दे, होली के दिन शहर में लाट साहब के दो जुलूस निकलते हैं। मुख्य लाट साहब जुलूस क़रीब आठ किमी लंबा होता है जिसे तय करने में तीन घंटे से ज़्यादा समय लगता है। जुलूस में एक व्यक्ति को लाट साहब के रूप में भैंसा गाड़ी पर बैठाया जाता है और फिर उसे जूते और झाड़ू मारते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है।

शहर में 16वीं सदी से होली पर लाटसाहब का जुलूस निकालने की पुरातन परंपरा का निर्वहन किया जाता है। 80 के दशक में किला क्षेत्र में कुछ विवाद होने के बाद से लल्लन खां शीरे वाले ने मुस्लिम समाज की ओर से लाटसाहब के जुलूस के स्वागत की परंपरा शुरू की। नतीजतन किला में जुलूस तनाव की जगह सौहार्द का प्रतीक बन गया।
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— भारत समाचार (@bstvlive) March 30, 2021
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लल्लन के निधन के बाद उनके बेटे अच्छन खां ने सौहार्द की परंपरा को बरकरार रखा। 15 वर्ष से अच्छन खां के सुपुत्र मेहंदीहसन ने परपंरा को जीवंत रखा। इस बार स्वागत के लिए लखनऊ से ढाई क्विंटल गेंदा व गुलाब के फूल भी मंगाए गए हैं।
सलामी के बाद शुरू होता जुलूस
चौक कोतवाल लाटसाहब को सलामी के साथ उपहार भेंट करते है। इसके बाद जुलूस का शुभारंभ होता है। उसके बाद भैंसागाड़ी पर हेलमेट पहनकर सवार लाट साहब को झाड़ू व जूते मारते हुए शहर में घुमाया जाता है। शहर भ्रमण के बाद बंगला सरोदी के पास जुलूस का समापन होता है।