शहीद की पत्नी की कहानी: जिस महिला ने कभी पटाखे तक नहीं फोड़े, बो आज चलाती हैं AK 47

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puja solanki

देश की सुरक्षा हो या शहर व जनता की सुरक्षा को लेकर होने वाले शहीदों के बारें में आपने कई बार सुना या उन्हें देखा भी होगा। बह देश के लिए हँसते हँसते शहीद तो हो जाते है मगर अपने पीछे छोड़ जाते है एक बेबस और मजबूर परिवार। लेकिन समय उस परिवार को इतना बलवान बना देता है कि उस घर की औरत जिसने कभी दिवाली पर पटाखे भी न छुड़ाए हो, बह भी AK 47 चलाने की हिम्मत जुटा लेती है। 

आज हम आपको एक ऐसे ही शहीद की कहानी बताने जा रहे है, जिसकी सहादत के बाद उसकी पत्नी ने घुंघट छोड़ AK 47 थाम ली। और आज बह उस मिशन पर निकल चली, जिस पर कभी उसके पति देश सेवा करते थे। 

घूंघट में रहने वाली शहीद की पत्नी की कहानी!

ये कहानी है शाजापुर जिले के छोटे से गांव राघवखेड़ी की 33 साल की बहू पूजा सोलंकी की। पति हर्षवर्धन सिंह सोलंकी SI थे, उनकी ड्यूटी विधानसभा अध्यक्ष के फॉलो व्हीकल में लगी थी। तभी एक ट्रक ने उनके वाहन को टक्कर मार दी, जिसमें उनके पति सहित अन्य तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए।

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Image Source: Bhaskar

भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, जब हर्षवर्धन शहीद हुए तब उनके परिवार में डेढ़ साल का बेटा और साढ़े तीन साल की बेटी समेत भरा पूरा परिवार उनपर निर्भर था। शाहदत के बाद सरकार ने मदद का अस्वाशन तो दिया लेकिन कई माह तक सुध नहीं ली। इसके बाद सरकार से फ़रियाद लगानी सुरु की तो शहीद की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई। 

लेकिन जब पूजा को अनुकंपा नियुक्ति मिली तो वह इस सोच कर परेशानी में आ गईं कि वे पुलिस की नौकरी कैसे कर पाएंगी। क्यूंकि परिवार में घूंघट प्रथा थी, ऐसे में मैदान पर जाकर ट्रेनिंग करना बहुत मुश्किल था। ऐसे में पूजा को साथ मिला अपने पिता और ससुर का, जिन्होंने उसका हौसला बढ़ाया। पूजा इस बारे में बताती है कि:-

"ससुर ने कहा था कि मेरा बेटा जाे नहीं कर पाया, वो तुम करोगी।"

घूँघट छोड़ थाम ली AK 47 

ससुर और पिता के सपोर्ट बाद पूजा को हौसला मिला। पति की शहादत के करीब 11 महीने बाद 19 दिसंबर 2019 को पूजा सब इंस्पेक्टर बन गई। अब सारा दारोमदार पूजा के कंधे पर आ चुका था, ऐसे में पूजा ने घूँघट छोड़ मैदान पर कदम रखा ट्रेनिंग के लिए। पूजा को ट्रेनिंग के दौरान किसी तरह की कोई विशेष छूट नहीं मिली, ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किलात दौड़ना और दीवार फांदना साबित हुआ। 

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क्यूंकि जो लड़की आज तक घर के अंदर घूँघट में रही हो, अचानक उसके कंधो पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी आ जाये तो आप अंदाजा लगा सकते है कि पूजा ने किन मुश्किलों से लड़ते हुए ट्रेनिंग की नैया पार की होगी। इनसबके बीच भी पूजा ने कभी हार नहीं मानी और अच्छी रेटिंग के साथ ट्रेनिंग पूरी की। पूजा कहती हैं कि:-

"मैंने कभी पटाखे भी नहीं फोड़े थे, लेकिन आज AK-47, कार्बाइन समेत 9 हथियार चलाती हूं।"

आपको बता दे, पूजा MBA पास गृहिणी थीं, लेकिन कभी नौकरी का सोचा नहीं था। सरकार ने केस को विशेष मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति के तहत पति के स्थान पर पूजा को SI बना दिया। और बह इन दिनों आगर-मालवा जिले के कोतवाली थाने में बतौर PSI पदस्थ है। दिसंबर 2022 में ये ट्रेनिंग पूरी होगी। इसके बाद RAPTC (रुस्तम जी आर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज) में ट्रेनिंग होगी।