रामायण के राम से मिलकर रोने लगे जगद्गुरु, गले लगाकर बोले- मुझे राम चाहिए! देखिये VIDEO

रामानंद सागर के टीवी सीरियल रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल में आज भी लोग मर्यादा पुरुषोत्म की छवि देखते हैं। राम के रोल में अरुण गोविल ने दर्शकों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी कि आज भी उन्हें इस किरदार के लिए याद किया जाता है। कई लोग हैं जो एक्टर को पूजते हैं, उनके पैर छूते हैं। अरुण गोविल में साक्षात भगवान राम को देखते हैं। वंही इन दिनों एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ जिसमे स्वयं जगद्गुरु रामायण फेम अरुण गोविल से मिलकर रोने लगे। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।
अरुण गोविल से मिलकर रोने लगे जगद्गुरु!
आपको बता दे, पॉपुलर एक्टर अरुण गोविल ने सीरियल रामायण में भगवान राम का रोल प्ले किया था। जिसके बाद अरुण गोविल में आज भी लोग मर्यादा पुरुषोत्म की छवि देखते हैं। लोग उन्हें प्रभु श्रीराम जैसा ही मान देते हैं और उनके पैर छूने को आतुर रहते हैं चाहे आम इंसान हो या फिर जगद्गुरु। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें स्वामी जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी, अरुण गोविल से मिलकर इतने भावुक हो गए हैं कि उनके नेत्रों से अश्रु धारा बहने लग गई।
वीडियो में आप देख सकते है कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एक सत्संग में अरुण गोविल पहुंचे थे। यहां अरुण गोविल आते हैं और रामभद्राचार्य के पैर छूते हैं। तभी रामभद्राचार्य उन्हें अपने सीने से लगा लेते हैं। कुछ सेकेंड्स के लिए उन्होंने अरुण गोविल को गले से लगाए रखा। रामभद्राचार्य इस दौरान रोने लगे, वे काफी भावुक नजर आए। ये नजारा ऐसा लगा मानो अरुण गोविल से मिलने के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य को उनके भगवान राम मिल गए हों।
अरुण गोविल से मिलने के बाद जगद्गुरु ने खुशी जताई। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने अरुण गोविल से कहा- 'तुम अभिनय करते थे। इन बंद आंखों से मुझे राम जी का स्वरुप दिखता था।' इसके जवाब में अरुण गोविल इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से मुश्किल से निकल पाया, 'बस आपकी कृपा है।'
'अरुण गोविल में दिखते हैं राम'
जगद्गुरु रामभद्राचार्य कहते हैं- भले और लोगों ने अरुण को अरुण देखा हो, मगर जब ये अभिनय करते थे इनमें राम का आवेश होता था। इनको भी लगा होगा जब तक भारत में रामत्व नहीं होगा तब तक भारत के कल्याण की कल्पना नहीं की जा सकती। मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है राघव. जन्म लेने के बाद आंखों को विदा किया, 5 साल की अवस्था में मैंने पूरी गीता कंठस्थ की, 7 साल की उम्र में पूरे राम चरित्र मानस को कंठस्थ किया। मुझे ना बाबा, ना चमत्कारी बनना है। मुझे बस धर्म काम और कौशल्या कुमार राम चाहिए।
इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अरुण गोविल को राम का परिसंवाद सुनाने को कहा। एक्टर ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य की इस बात को तुरंत माना और राम का परिसंवाद सुनाया।