मोदी सरकार ने इंडियन आर्मी को सौंपा F-INSAS; अब अमेरिकी सोल्जर से कम नहीं होंगे भारतीय जवान!

भारतीय सेना की ताकत अब बढ़ने वाली है। जी हां, बॉर्डर पर तैनात भारतीय सैनिक अब फाइटिंग मशीन में बदलने वाले हैं। उनके पास होंगे मॉर्डन हथियार, सेफ्टी वर्दी और दुश्मनो के दांत खट्टे करने बाली मारक छमता F-INSAS, जिसे 75वें स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को सौंपा है। यानी भविष्य में एक सैनिक ही हथियार की तरह काम करेगा और अमेरिकी सोल्जर से कम नहीं होंगे भारतीय जवान। तो आइये जानते है इस विशेष किट के बारे में थोड़ा विस्तार से।
राजनाथ ने सेना को सौंपे 'निपुण' समेत कई हथियार!
देश की सीमाओं पर बढ़ती चुनौतियों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कई स्वदेशी हथियार सेना को सौंपे। इनमें सिर पर बैलिस्टिक हेलमेट, आंखों में बैलिस्टिक गॉगल्स, बॉडी पर बुलेट जैकेट, कोहनी पर एब्लो पैड, घुटने पर नी पैड्स, कानों में हेडसेट, हाथों में AK-203 ऑटोमेटिक राइफल शामिल है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को F-INSAS, निपुण माइंस और असॉल्ट लैंडिंग क्राफ्ट जैसे आधुनिक हथियार और इक्विपमेंट सौंपे हैं।

खास बात ये है कि इन सभी को भारत में ही बनाया गया है। यानी नए स्वदेशी हथियार मिलने से भारतीय सेना की ताकत बढ़ गई है। इस बारे में भारतीय सेना के मुख्य इंजिनियर लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने सेना प्रमुख की ओर से देश को आश्वस्त किया है कि हम किसी भी खतरे से निपटने को तैयार हैं। भले वह पश्चिमी रेगिस्तान (पाकिस्तान) हो या लद्दाख सेक्टर में ऊंचाई वाले स्थान (चीन) से सटे इलाके।
हमारे सैनिक ही बन जाएंगे फाइटिंग मशीन!
F-INSAS का पूरा नाम 'फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर ऐज अ सिस्टम' है। यह एक तरह का प्रोग्राम है जो थलसैनिकों के आधुनिकीकरण के लिए बनाया गया है। इनमें आधुनिक हथियार और इक्विपमेंट रहेंगे, जिनका वजन काफी कम होगा। ये हर मौसम में सभी इलाकों यानी पहाड़, रेगिस्तान, मैदान सब जगह काम आएंगे। ये पूरा सिस्टम बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को दिया जाएगा। यानी भविष्य में एक सैनिक ही हथियार की तरह काम करेगा।

अब सैनिको के पास आधुनिक हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और यंत्र होंगे। इनके पास मल्टी मोड हैंड ग्रैनेड होगा। साथ ही मल्टी परपज़ चाकू भी। इनके जूते बारूदी सुरंगों से इन्हें बचाएंगे। सेकेंड सब प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत बने हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट काफी ज्यादा मजबूत और हल्के हैं। इनमें कई मॉड्यूलर पाउच हैं, जिनमें ग्रैनेड्स, मैगजीन, रेडियो सेट्स और अन्य सामान रखे जा सकते हैं।
Defence Minister Rajnath Singh today handed over downlink equipment that helps its helicopters in sending real-time pictures & videos of forward areas to commanders on ground. The devices made indigenously by Exicom are fitted on the Advanced Light Helicopters: Defence Ministry pic.twitter.com/URUAugwyYA
— ANI (@ANI) August 16, 2022
थर्ड सब सिस्टम में कम्यूनिकेशन और सर्विलांस सिस्टम रहेगा। हर सैनिक के पास एक रेडियो सेट होगा, जो हैंड्स फ्री होगा। सेक्शन कमांडर अलग से कम्यूनिकेशन-सर्विलांस डिवाइस लेकर चलेगा। ताकि रीयल टाइम में अपनी टीम के साथ संपर्क में रह सके।
Rajnath Singh hands over indigenous defence systems to Indian Army
— ANI Digital (@ani_digital) August 16, 2022
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F-INSAS का मकसद पैदल सेना, यानी इन्फैंट्री को आधुनिक बनाना है। यह सैनिकों की ऑपरेशनल कैपेसिटी को बढ़ाएगा, यानी सैनिक दुश्मनों पर जल्दी और तेजी से हमला कर पाएंगे। और इन सबमे दिलचस्प पहलु ये है कि ये सभी बस्तुएं स्वदेशी यानी भारत में निर्मित होगी। बता दे, F-INSAS को भारत और रूस के साझा मिशन के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनाया जा रहा है।
इंडियन आर्मी को मिली आधुनिक हथियारों की सौगात!
राजनाथ सिंह ने F-INSAS के अलावा भी इंडियन आर्मी को कई आधुनिक हथियार सौंपे हैं। एक-एक करके उनके बारे में जानते हैं। सबसे पहले हम बात करते है निपुण माइंस की, जिसे एंटी पर्सनल माइंस भी कहा जाता है। लंबे समय से भारतीय सेना NMM 14 माइन्स का उपयोग कर रही थी। लेकिन अब ARDE और भारतीय कंपनियों ने मिलकर नया एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंग बनाया है। जिसका नाम है निपुण माइंस।
Handed over indigenously-developed equipment & systems to the Indian Army. These systems will enhance the operational preparedness of the Army and help them to deal with future challenges.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 16, 2022
It is a shining example of India’s growing self-reliance prowess.https://t.co/bmr4ggianT pic.twitter.com/X86d2uppcI
ये देश में विकसित बारूदी सुरंग हैं। यह घुसपैठियों और दुश्मन की सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पहली सुरक्षा पंक्ति की तरह काम करती है। इन्हें ऐंटी पर्सनेल माइंस इसलिए कहा जा रहा है कि इन्हें इंसानों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। ये आकार में छोटे होते हैं इसलिए बड़ी तादाद में बिछाए जा सकते हैं। ये एंटी टैंक माइंस की तरह काम करते हैं। जो की भारी वाहनों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है।
लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (LCA)
एलसीए का पूरा नाम लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट है। लैंडिंग क्रॉफ्ट असॉल्ट एक तरह की नाव है। ये उन नावों की जगह लेंगे जो अभी पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग सो झील में गश्त करती हैं और सीमित क्षमता रखती हैं। पैंगॉन्ग लेक में पहले से भारतीय सेना के पास बोट थी। लेकिन अब नए लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट मिल गया है, जिसमे एक साथ 35 सैनिक बैठ सकते हैं।
Glad to see the Indian Navy ships hoisting #Tiranga whilst operationally deployed across Six Continents & Three Oceans celebrating #AzadiKaAmritMahotsav with #Indian diaspora and our friends across the globe. A true testimony of India’s growing maritime prowess. https://t.co/fgEuiqafpA
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 17, 2022
#WATCH | Indian Army showcased capability of the Landing Craft Assault deployed in Pangong lake by the force along the LAC with China to Defence Minister Rajnath Singh today. The boats can carry 35 combat troops at a time and can reach any area of the lake in a very short time pic.twitter.com/ejiJVATY5m
— ANI (@ANI) August 16, 2022
ये स्पीड में तेज हैं और हर तरह की परेशानी के बावजूद पानी में काम करने की क्षमता रखते हैं, इसलिए बहुत ही कम समय में झील के किसी भी क्षेत्र तक पहुंच सकती हैं। लैंडिंग क्रॉफ्ट को गोवा की एक्वेरियस शिप यॉर्ड लिमिटेड ने बनाया है। इसकी स्पीड और क्षमता पहले की नावों के मुकाबले बेहतर है।
आर्मी का कम्युनिकेशन ब्लॉक नहीं हो सकेगा!

SRAX MK-2 यानी एक तरह का ऑटोमेटिक टेलीफोन एक्सचेंज। बता दे, भारतीय सेना के अपने एक्सचेंज होते हैं, जो लाइन कम्यूनिकेशन में मदद करते हैं। पुराने यंत्र अब नए जमाने में काम नहीं कर रहे थे, इस बजह से सेना को बड़ी दिक्क़ते आ रही थी। लेकिन अब इंडियन आर्मी को SRAX MK-2 मिल गया है। इससे आर्मी का लाइन कम्युनिकेशन बेहतर होगा। और यह पूरी तरह डिजिटल है जिससे इसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता।
सोलर फोटो-वोल्टिक एनर्जी प्रोजेक्ट!
सोलर फोटो-वोल्टिक एनर्जी प्रोजेक्ट, यानी सूरज से एनर्जी लेकर बिजली बनाना। सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत कारगर है। क्यूंकि सियाचिन में बिजली के लिए अभी तक केवल कैप्टिव जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता था, इसमें ईंधन की खपत बहुत ज्यादा होती है।
#WATCH | Defence Minister Rajnath Singh today handed over a 1 MW solar power project at the Partapur Army base near Siachen glacier in Ladakh. The power plant built by the Corps of Engineers will help in meeting the power needs of the force rescuing dependency on diesel. pic.twitter.com/27V2gly7Z7
— ANI (@ANI) August 16, 2022
इससे बचने के लिए फोटो-वोल्टिक प्लांट लगाया गया है, जो सन लाइट से एनर्जी लेकर बिजली बनाएगा। इससे हमारे सैनिकों की बिजली की जरुरते पूरी होंगी। वो केरोसिन तेल और अन्य ऊर्जों स्रोतों का उपयोग कम करेंगे, या फिर नहीं करेंगे।
इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल!
उत्तरी सीमा पर हमारे इन्फैंट्री सैनिकों को बिना सुरक्षा के घूमना खतरनाक साबित हो सकता है। इससे उनकी मोबिलिटी कम हो जाती है। इसलिए टाटा एडवांस सिस्टम ने खास बख्तरबंद वाहन बनाया है, जिसे नाम दिया गया इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल (IPMV) यह 8x8 पहियों की गाड़ी है। इसमें 12 सैनिक एक साथ बैठ सकते हैं। पहाड़ी इलाकों में आने-जाने के लिए यह इस्तेमाल की जाएगी।
#WATCH Indian Army has received a drone system manufactured indigenously for troops to help an eye on enemy troops in the forward areas along the LAC
— ANI (@ANI) August 16, 2022
Defence Minister also handed over the Made in India infantry combat vehicles to the troops deployed in the forward areas pic.twitter.com/YmeGpoO1eU
इससे सैनिकों को खतरनाक इलाकों से आना-जाना आसान हो जाएगा। साथ ही उनकी सुरक्षा भी बढ़ जाएगी। इसमें ड्राइवर को 3 पेरिस्कोप्स, डिस्प्ले कैचिंग विजन, सामने और पीछे कैमरे मिलते हैं। इनके जरिए चारों तरफ से होने वाले हमलों पर बेहतर नजर रखी जा सकती है। साथ ही एक के बाद एक सीट होने से दोनों तरफ के सैनिकों को फायरिंग करने के लिए 3-3 पोर्ट मिल जाते हैं। ये बख्तरबंद वाहन गोलियों और बारूदी सुरंगों से बचाने में सक्षम है।
क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल!
IPMV के साथ एक वाहन और चलेगा, जिसे क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (Medium) कहेंगे। ये 4x4 पहियों की गाड़ी है। जिससे तेज और बेहतर हमला करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह ज्यादा सुरक्षित भी है। यह माइन प्रूफ है, यानी किसी माइन के फटने पर अंदर बैठे लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा। इसका उपयोग सबसे ज्यादा लद्दाख में होगा।

इन्हें भी टाटा एडवांस सिस्टम ने बनाया है। ये तेज गति में चलने वाली गाड़ियां हैं। इनकी फायरपावर ज्यादा है। यह 14 और 21 किलो के विस्फोटकों से भी सैनिकों की सुरक्षा करने में सक्षम है। इसमें 14 सैनिक एक साथ बैठ सकते हैं। सैनिक ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।