हम कब सुधरेंगे! केदारनाथ श्रद्धालुओं ने जगह-जगह फैलाया कचरा, 2013 जैसी तबाही आ सकती है!

भारत में हिन्दू श्रद्धालुओ के बीच चार धाम का बड़ा महत्वा होता है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार हर साल तीर्थयात्रियों को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराती है। लेकिन इन सबके बाबजूद यंहा पहुँचने बाले तीर्थयात्री अपनी हरकतों से बाज नहीं आते और जगह-जगह कूड़ा-करकट फैला कर चार धाम जैसे पवित्र और सुंदर तीर्थ को खराब करने पर तुले रहते है।
आपको बता दे, चार धाम यात्रा 3 मई से शुरू हो चुकी है। हर दिन हजारों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन के लिए जा रहे हैं। लेकिन यंहा सबसे ज्यादा किसी चीज पर ध्यान जाता है तो तीर्थयात्रिओं के द्वारा फैलाई गंदगी पर। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की बजह से दो साल बाद शुरू हुई इस यात्रा में अब जगह-जगह प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों सहित कचरे का ढेर दिखाई दे रहा है। जिस पर एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है।
हम अपनी जिम्मेदारियां कब समझेंगे और कब सुधरेंगे?
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक आठ लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की है। यात्रियों के आने से राज्य का खजाना तो भर गया है, लेकिन तीर्थ यात्रियों की लापरवाही प्रकृति पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। यंहा लोग अपने साथ प्लास्टिक के सामान ले जा रहे हैं और रास्ते में कहीं पर भी कूड़ा-कचरा फेंक दे रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, केदारनाथ जैसे संवेदनशील जगह पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा जमा हो गया है, वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है। इससे क्षरण होगा, जो भूस्खलन का कारण बन सकता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कचरे का प्रबंधन नहीं किया गया, तो 2013 जैसी भीषण आपदाओं का खतर बढ़ सकता है। समस्या इतनी गंभीर हो चली है कि श्रद्धालुओं में बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है।
सोशल मीडिया पर शेयर हो रहीं कचरे की तस्वीरें
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केदारनाथ जाने का रास्ता काफी मुश्किल है। ऐसे में यात्रियों को अपनी यात्रा की शुरुआत सोनप्रयाग से करनी पड़ती है, और यंहा से बह गौरीकुंड तक का रास्ता गाड़ियों से तय करते हैं। इसके बाद यंहा से केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर का लंबा रास्ता पैदल तय करना सुरु हो जाता है। इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालु अपने तंबू लगाते हैं।
Uttarakhand | Heaps of plastic waste & garbage pile up on the stretch leading to Kedarnath as devotees throng for Char Dham Yatra pic.twitter.com/l6th87mxD9
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
कैंप में रुकने वाले यही श्रद्धालु अपने पीछे प्लास्टिक की बोतल, पॉलिथीन और बाकी कई तरह का कचरा छोड़ जाते हैं। ट्विटर पर सामने आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि घाटी में लोगों ने इतना कचरा छोड़ा है कि वहां भी अब कूड़े का ढेर नजर आने लगा है। इसमें बर्फ से ढके पहाड़ों में प्लास्टिक की चीजें और कचरे का ढेर नजर आ रहा है।
The tourist inflow has risen manifold due to which plastic garbage has increased as we don't have proper sanitation facilities. This has affected the natural vegetation. Medicinal plants are getting extinct as well:Prof. MC Nautiyal, Director, HAPPRC pic.twitter.com/ElPTlaCP8l
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
इससे वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि इससे प्रदूषण और नेचुरल डिजास्टर्स का खतरा भी बढ़ सकता है। साथ ही ऐसे कूड़े के बीच श्रद्धालु रात गुजारने और खाना पकाते है तो वे बीमार भी पड़ सकते हैं।
2013 में बादल फटने से आई थी बाढ़!
केदारनाथ धाम में साल 2013 में आई बाढ़ तो आपको याद ही होगी। जिसमे हजारो लोग तबाह हो गए। सैकड़ो लोग अपनों से बिछड़ गए और मौत के मुंह में समा गए। और इस बड़ी तबाही के पीछे था एक मात्र कारण मौषम का करबट बदलना। जिसकी बजह से बादल फटने सुरु हुए, और देखते ही देखते पूरे उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ और लैंडस्लाइड हुआ।

भारत में बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया और अन्य देशों में आई सुनामी के बाद से यह भारत की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदा थी। इस बाढ़ से पूरे उत्तराखंड में 4190 लोगों की मौत हुई थीं। वंही इस दौरान केदारनाथ में करीब 3 लाख श्रद्धालु फंस गए थे, जिन्हें बाद में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवानों ने रेस्क्यू कर बचा लिया था।
लेकिन इन सबके बाबजूद हजारो लोग बेघर और लापता हो गए। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि आपकी-हमारी एक गलती प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचती है। जिसके फलस्वरूप प्रकृति हमे अपना विकराल रूप दिखाती है। इंसान तब चेतता है जब उस पर बीतती है, या उसका अपना कोई खो जाता है इन खूबसूरत पहाड़ियों के दल-दल में, जिसे हममे से ही किसी ने फैलाई होती है।

इसलिए आप सबसे निवेदन है, कृपया इन खूबसूरत बादियो और तीर्थ नागरियो को गंदा ना करे। अगर जरुरी हो तो अपना कचरा अपने साथ ले जाए या फिर किसी कचरा फेंकने बाली जगह पर डाले, जिससे इधर-उधर कचरा ना फैले। जिससे हमारी सुंदर घाटी और पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता से हमे और हमारी आने बाली पीढ़ियों को आत्मीय सुःख देती रहे।