पिता के साथ बेचे गोलगप्पे...और धोए जूठे बर्तन, मेहनत से की पढ़ाई और अब बनेगा डॉक्टर!

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कहाबत है कि, हौसले मजबूत हों तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल भी आसान हो जाती है। और इसे साबित कर दिखाया गुजरात के अरावल्ली जिले के मेघराज में गोलगप्पा बेचने वाले के बेटे अल्पेश राठौड़ ने, जिन्होंने लाइफ में बड़ा जंप लगाते हुए NEET एक्सामे क्रेक करके अपने सपनो को साकार कर दिखाया। और अब इसी के साथ गोलगप्पा बेचने वाले के बेटे अल्पेश जल्द ही सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस का दाखिला लेने वाले हैं। तो आइये जानते है... अल्पेश की जिंदगी के संघर्ष की बो कहानी, जो किसी प्रेरणा से कम नहीं। 

पिता के साथ बेचते थे गोलगप्पे!

ये कहानी है अपने पिता के साथ पानीपूरी बेचने वाले अल्पेश राठौड़ की, जिन्होंने अपने जीवन में सफलता की एक लंबी छलांग लगाई है। जिन्होंने नैशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेस टेस्ट (नीट) परीक्षा पास करके अपने परिवार का नाम रौशन कर दिखाया। और अब बो जल्द ही सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस का दाखिला लेने वाले हैं, जिसकी मदद से बह  ह्यूमन बॉडी में हार्ट से ब्लॉकेज साफ करने का सपना देख रहे हैं। 

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Image Source: NBT

आपको बता दे, अल्पेश गुजरात के अरावल्ली जिले के मेघराज के रहने बाले है। उनके पिता गोलगप्पो का ठेला लगाकर परिवार का गुजारा करते है। वंही स्कूल और पढ़ाई से समय मिलने पर अल्पेश भी अपने पिता का हाँथ बंटाने ठेले पर पहुँच जाते थे। इस दौरान बह पिता राम सिंह के साथ पानी पूरी और मसाला बनाने में मदद करते थे। इसके बाद पिता के लिए वह पानी पूरी का ठेला सजाते थे। स्कूल खत्म करने के बाद शाम को अल्पेश ग्राहकों को गोलगप्पे बेचते और झूठे बर्तन धुलते थे।

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सांकेतिक तस्वीर/ Image Source: The Indian Express

अपनी डेली रूटीन के बारे में वह बताते हैं कि 10वीं क्लास तक वह हर सुबह 4 बजे उठकर अपने पिता राम सिंह के साथ पानी पूरी और मसाला बनाने में मदद करते थे। इसके बाद पिता का हाँथ ठेले पर बंटाते थे। स्कूल खत्म करने के बाद शाम को अल्पेश ग्राहकों को गोलगप्पे बेचने के साथ साथ ग्राहकों के जूठे बर्तन भी धुलते थे। 

बेटे की पढ़ाई पर पिता ने लगा दी जमा पूंजी!

पढ़ाई में अल्पेश हमेशा से ही होशियार रहे लेकिन 10वीं में 93 फीसदी नंबर लाने के बाद वह इसे लेकर और गंभीर हुए। इन्हीं नंबरों ने उन्हें एहसास कराया कि वह जीवन में कुछ अच्छा कर सकते हैं। इस दौरान उनके एक टीचर ने उन्हें करियर ऑप्शन को लेकर गाइड किया, उन्हीं दिनों अल्पेश के पिता आंख की परेशानी से पीड़ित थे, ऐसे में अल्पेश ने डॉक्टर बनने का सपना देखना सुरु कर दिया। 

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Image Source: Youtube

अल्पेश पढ़ाई में बेहद होशियार थे, लेकिन एमबीबीएस एंट्रेस एग्जाम की तैयारी में आने बाला खर्च सबसे बड़ी बाधा बनने लगा। चूँकि गोलगप्पे बेचने बाले अल्पेश के पिता की मासिक कमाई 15 हजार रुपये तक है जिससे परिवार का सिर ढंकने के लिए छत और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाता है। ऐसे में नीट की कोचिंग फीस का बड़ा खर्चा, पिता के लिए अल्पेश का ये फैसला मंजूर करना आसान नहीं था। 

अल्पेश के माता पिता ने उनके इस फैसले पर कहा कि इसमें काफी रिस्क है जिससे वह आर्थिक रूप से बर्बाद हो सकते हैं लेकिन अल्पेश ने उन्हें किसी तरह मना लिया। जिसके बाद अल्पेश की पढ़ाई के लिए जहां उनके पिता रामसिंह ने अपना अकाउंट खाली कर दिया वहीं उनके भाई ने भी अल्पेश की कोचिंग में मदद की। नतीजन अल्पेश ने परिवार को निराश नहीं किया और जी जान नीट की तैयारी में जुट गए। 

अब जूठे बर्तन धोने वाला अल्पेश बनेगा डॉक्टर!

जंहा एक तरफ गोलगप्पे बेचने बाले पिता ने अल्पेश की पढ़ाई पर अपनी सारी जमा पूंजी दांव पर लगा दी, वंही दूसरी तरफ द्र्ढ निस्चय के साथ अल्पेश भी NEET की तैयारी में जी जान से जुट गए। नतीजन सभी के प्रयासों का नतीजा था कि अल्पेश ने नीट में 613 अंक हासिल किए जिसके बाद उन्हें किसी भी सरकारी कॉलेज में आसानी से दाखिला मिल सकता है। और अब गोलगप्पे बेचने बाला और झूठे बर्तन धोने बाला अल्पेश जल्द दी डॉक्टर बनकर तीमारदारों की सेवा करते दिखेगा। 

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Image Source: @ALLENKota

आपको बता दे, अल्पेश कार्डियोलॉजिस्ट बनने का सपना देख रहे हैं। उनका कहना है कि, 'वह कार्डियोलॉजी में करियर बनाने के बाद न्यूरॉलजी में भी आगे बढ़ना चाहते हैं।' बड़ी बात ये है कि अपनी एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद अल्पेश अपने परिवार से ही नहीं बल्कि पूरे केंथवा गांव से पहले डॉक्टर होंगे।