बेटों ने किया परेशान, तो बुजुर्ग पिता ने DM साहब के नाम कर दी करोडो की संपत्ति!

दुनिया में अगर कोई बच्चा पैदा होता है तो सबसे ज्यादा खुसी उसके माँ-बाप को होती है। उसके लालन-पालन में माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी लगा देते है। लेकिन जब यही माँ-बाप बृद्ध यानी बूढ़े हो जाते है तो अक्सर बच्चे खुद पर उन्हें बोझ समझने लगते है। ज्यादातर बच्चे अपने माँ-बाप को घर से निकाल बृद्धआश्रम तक छोड़ आते है, और उनकी सारी संपत्ति हड़प कर ऐस करने लग जाते है। ऐसे में बुजुर्ग माँ-बाप क्या करे?
आज की यह कहानी हमे ऐसे ही नालायक बेटो को सबक सिखाने की प्रेरणा देती है, जो अपने माँ-बाप को बोझ समझते है। आज की यह कहानी उस बुजुर्ग की है जिसने अपने बेटे से परेशान होकर अपनी मेहनत की कमाई करोडो की संपत्ति डीएम के नाम कर दी। तो आइये जानते है इस कहानी को, थोड़ा विस्तार से।
बुजुर्ग ने DM के नाम लिखी अपनी प्रॉपर्टी

कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी, कि उत्तर प्रदेश के आगरा में एक बुजुर्ग ने अपनी सारी संपत्ति जिलाधिकारी के नाम कर दी। जानकारी के मुताबिक यह संपत्ति लगभग दो करोड़ रुपये से ज्यादा की बताई गई। इसके लिए बाकायदा बुजुर्ग ने वसीयत की कॉपी भी आगरा सिटी मजिस्ट्रेट को सुपुर्द कर दी थी। और खुद मीडिया के सामने आकर इसका खुलासा भी किया।
बुजुर्ग ने क्यों उठाया ये कदम?
अमर उजाला की रिपोर्ट्स के अनुसार, थाना छत्ता के पीपल मंडी निरालाबाद में बुजुर्ग गणेश शंकर पांडेय रहते है। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। साल 1983 में बुजुर्ग गणेश ने अपने भाइयो के साथ मिलकर जमीन खरीद कर घर बनवाया था। सभी भाइयो की शादी के बाद बंटवारा हो गया, जिसमे उन्हें चौथाई हिस्सा मिला। जिसकी कीमत अब करोडो में है।

भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, बुजुर्ग गणेश शंकर की आगरा में रावत पाड़ा चौराहे पर तम्बाकू की दुकान भी है। उनका तम्बाकू का पुराना काम है। ये शहर का सबसे बड़ा थोक बाजार है और यहां दुकान की कीमत भी करोडो में गिनी जाती है। इतना सबकुछ होने के बाबजूद बुजुर्ग का कोई खयाल नहीं रखता।
इसी बाबत बुजुर्ग गणेश शंकर ने बताया कि, घर में किसी चीज की कमी नहीं है, पहले सब आराम से चल रहा था। उनका बेटा-बहु सब साथ रहते...लेकिन धीरे-धीरे बेटे का ब्यबहार उनके प्रति बदलने लगा। बेटा उन्हें परेशान करने लगा, उन्होंने कई बार कोशिश की कि बेटी को व्यापार पर बैठाया जाए या उसे समझाया जाये लेकिन वह सुनने को तैयार ही नहीं हुआ और संपत्ति के लिये परेशान करने लगा सो अलग।

बुजुर्ग गणेश शंकर बताते है कि कि उनके बेटे पागल नहीं है। पर पता नहीं किस दिमाग के हैं। वे मेरे लिए कुछ नहीं करते। मैं तो अपने भाइयों के साथ रहने को मजबूर हूँ, और अपनी दो वक्त के भोजन के लिए भाइयों पर आश्रित होना पड़ रहा है। जबकि बह करोडो की संपत्ति के मालिक है।

वर्तमान में वो अपने भाइयों के साथ रह रहे हैं और एक ही घर में होते हुए बेटों से दूर हैं। उन्होंने बताया कि इसी उलझन के चलते और बेटों से परेशान होकर उन्होंने अपने हिस्से की संपत्ति को आगरा के डीएम के नाम करने का फैसला लिया।
मजिस्ट्रेट ने लिए प्रॉपर्टी के पेपर!
बुजुर्ग गणेश शंकर ने अगस्त 2018 में डीएम आगरा के नाम मकान की वसीयत कर दी थी। गणेश शंकर ने अपनी वसीयत में लिखा है कि जब तक मैं जिंदा हूं। अपनी चल और अचल संपत्तियों का मालिक व स्वामी रहूंगा। मरने के बाद मेरे हिस्से की जमीन डीएम आगरा के नाम हो जाएगी। मैं पूरी तरह से फिलहाल स्वस्थ हूं। मानसिक रोग से पीड़ित नहीं हूं।

और कलेक्ट्रेट जाकर जनता दर्शन में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान को रजिस्टर्ड वसीयत सौंप दी थी। सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान ने बताया कि उन्हें वसीयत प्राप्त हुई है। जो जगह उन्होंने डीएम आगरा के नाम की है, उसकी करोड़ों की कीमत है।

वहीं इस संबंध में शनिवार को सिटी मजिस्ट्रेट का कहना है कि बीते गुरुवार को उनके पास एक बुजुर्ग आये थे, उन्होंने अपने बेटे से परेशान होने की बात कही और अपनी पूरी प्रॉपर्टी जिलाधिकारी के नाम लिखवा दी। मजिस्ट्रेट ने उनसे प्रॉपर्टी के सारे कागजात ले लिये हैं। वसीयत की एक प्रति उनके भाइयों के पास भी है और भाइयों को इस बात से कोई ऐतराज नहीं है।