भ्रस्टाचारी 'ट्विन टावर' हुआ जमींदोज, जानिए कौन था इसका मालिक?

नोएडा के सेक्टर 93 में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले दोनों टावर गिरने में सिर्फ 12 सेकेंड का वक्त लगा। धूल का गुबार खत्म हुआ तो टावर की जगह 50 से 60 फीट की ऊंचाई में मलबा बिखरा पड़ा हुआ है। आसपास की कॉलोनियों और बिल्डिंगों में धूल की मोटी परत चढ़ी हुई है। इमारतों को जिन पर्दों से ढका गया था वे सीमेंट की चादरों जैसी दिख रही हैं।
ब्लास्ट से पहले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटाया गया। प्लानिंग के मुताबिक ट्विन टावर एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी की तरफ नहीं, ATS की तरफ गिरे, जो कि सुरक्षित फॉल है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 80 हजार टन मलबा यहां से निकलने की उम्मीद है, जिसे साफ करने में करीब तीन महीने का वक्त लग सकता है।
Twin Tower is no more pic.twitter.com/oFSDEdkTIM
— Anurag Chaddha (@AnuragChaddha) August 28, 2022
आपको बता दे, भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी इस इमारत के निर्माण में बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों द्वारा नियमों की जितनी अनदेखी की गई, उतनी ही बड़ी लड़ाई बिल्डर के खिलाफ आम नागरिकों को लड़नी पड़ी। आखिर कौन हैं ये आम लोग? कौन है ट्विन टावर का मालिक? और क्या है ट्विन टॉवर का इतिहास? तो आज हम आपको ट्विन टावर के मालिक के बारे में सबकुछ बताएंगे...!
कौन है ट्विन टावर का मालिक?
आपको बता दे, ये ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी ने बनाया था। सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। आरके अरोड़ा ने 34 कंपनियां खड़ी की हैं। 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की। आरके अरोड़ा की कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरके अरोड़ा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सात दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। देखते ही देखते अरोड़ा ने रियल स्टेट में अपना नाम बना लिया। इसके बाद अरोड़ा ने एक के बाद एक 34 कंपनियां खोलीं। ये सभी अलग-अलग कामों के लिए थीं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसी साल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया। कंपनी पर अभी करीब 400 करोड़ का कर्ज बकाया है।
कब शुरू हुआ ये ट्विन टावर बनाने का पूरा खेल?
कहानी 23 नंवबर 2004 से शुरू होती है। जब नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली। लेकिन साल दर साल इस प्रोजेक्ट के लिए गैर क़ानूनी संसोधन किये जाते रहे, और दो मार्च 2012 को ट्विन टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया गया।

इस संशोधन के बाद इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई। ऊंचाई तय हुई 121 मीटर, और दुरी रखी गई महज नौ मीटर। जबकि सरकारी नियम कहते है कि किसी भी दो टावर के बीच कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए। यानी साफ़ तौर पर देखा जाए तो इस पूरे प्रोजेक्ट को शुरुआत से ही गैर जरुरी संसोधन करके और नियमो की अनदेखी करके आगे बढ़ाया जाता रहा... और धांधली करके खड़ी कर दिए गए ट्विन टावर।
अब यंहा पूरी धांधली समझिये!
आपको बता दे, आरके अरोड़ा की कंपनी को सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। कहा गया जाइये लोगो के लिए घर बनाइये, और कंपनी ने किया भी बही। कंपनी ने साल 2009 तक 90 फीसदी यानी करीब 12 एकड़ हिस्से पर निर्माण पूरा करके 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन दिखा दिया। लेकिन साल 2011 आते खबरे आने लगी कि, भइया यंहा दो टॉवर और बनेंगे।

यानी 13.5 एकड़ में से बाकी बची 1.6 एकड़ जमीन पर दो टावर बनाने की मिलीभगत करके परमिसन ले ली गई। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे हैं, इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी करली गई। अनुमति मिलने के बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक जबकि, दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण भी पूरा कर दिया। यानी ट्विन टॉवर।
सुप्रीम कोर्ट बोला- गिरा दो ट्विन टॉवर!
Twin tower Demolished
— Rishi Bagree (@rishibagree) August 28, 2022
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इसके बाद पहले मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जंहा से ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया गया। लेकिन सुपरटेक बाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में सात साल चली लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया। जो आज जाकर पूरा हुआ।