बंटवारे के 75 साल बाद अपने सिख भाई से मिली मुस्लिम बहन, विभाजन के समय हो गए थे जुदा!

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muslim sister meet her sikh brother after 75 years

1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन (Partition 1947) की वजह से कई परिवार बिखर गए, कोई पाकिस्तान चला गया तो कोई भारत में ही अपने परिवार से बिछड़कर रह गया। लेकिन अब करतारपुर साहिब कॉरिडोर की वजह से कई बिछड़े परिवार व लोग दुबारा मिल पा रहे है। ऐसा ही एक नजारा 75 साल बाद फिर देखने को मिला, जंहा सिख भाई, अपनी मुस्लिम बहन से मिलकर फूट-फूट कर रो पड़ा। क्या है पूरा माजरा? आइये जानते है। 

75 साल पहले बहन अपने परिवार से बिछड़ी!

चंडीगढ़ के पत्रकार, मान अमन सिंह चिन्ना ने पार्टिशन के दौरान अलग हुए भाई-बहन की कहानी ट्विटर पर शेयर की, जिसके बाद यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वंही इससे जुडी खबर हिंदुस्तान की वेबसाइट पर भी देखने को मिली। खबर के मुताबिक, यह कहानी है मुश्लिम बहन मुमताज बीबी, और उनके सिख भाई की। 


खबर के अनुसार, मुमताज बीबी भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गई। उस वक्त मुमताज बीबी दो या तीन साल की ही थीं जब बंटवारे में हुई हिंसा में उनकी माँ की हत्या कर दी गई थी। जब बह अपनी मां के शव के पास बैठी रो रही थीं, तभी मुहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी अल्लाह रक्खी की नजर उन पर पड़ी। 

बह दोनों रोती-बिलखती बच्ची को देख ना पाए और इंसानियत दिखाते हुए उसे गोद ले लिया। बंटवारे के बाद इकबाल बच्ची को शेखुपुरा जिले में स्थित अपने घर ले गए, और एक सगी बेटी से भी ज्यादा लाड-प्यार देकर पाला। और उन्होंने मुमताज बीबी को कभी इस बात की जानकारी नहीं दी, कि बह उनकी सगी बेटी नहीं है। 

'तुम्हारा परिवार सिख है, मुस्लिम नहीं' 

लेकिन दो साल पहले इकबाल की जब अचानक तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने मुमताज को असलियत बताना सही समझा। और बताया कि 'तुम्हारा परिवार सिख है, मुस्लिम नहीं'  और बह उनकी सगी बेटी नहीं हैं। इसके बाद इकबाल ने पूरी बिछड़ने की कहानी भी मुमताज को सुनाई। और फिर मुमताज को सच्चाई बताने के कुछ दिनों बाद इकबाल का देहांत हो गया।

इकबाल की मौत के बाद मुमताज और उनके बेटे शहबाज को अपने असली परिवार के बारे में जाने की इच्छा हुई। और इसमें सहारा लिया सोशल मीडिया का, और बिछड़े परिवार को खोजना सुरु कर दिया। इसके साथ वह ये जानते थे कि मुमताज का असली परिवार पटियाला जिले के सिदराना गांव में रहता है। जो पाकिस्तान से जबरन भगाए जाने के बाद वह यहीं आकर बस गए थे।

muslim sisters meet her sikh brother at kartarpur coridor
Image Source: NBT

इसके बाद मुमताज के परिवार ने सोशल मीडिया के जरिये सिख परिवार से संपर्क साधा, और फिर मुमताज बीबी के भाई गुरमीत सिंह, सरदार नरेंद्र सिंह और सरदार अमरिंदर सिंह अपने परिवार के लोगों के साथ करतारपुर कॉरिडोर पहुंचे और बहन से मुलाकात की। जिसके बाद बंहा का मौहाल भाबुक हो गया। 

क्यूंकि पूरे 75 साल बाद एक बिछड़ी बहन अपने सगे भाइयो से मिल रही थी। यह बाकई खुसी और भाबुक दोनों का मिश्रण पल बन गया। यकीनन करतारपुर कॉरिडोर की बजह से इस बक्त कई बिछड़े परिवार मिल पा रहे है। इससे पहले भी दो बिछड़े भाई यंहा मिले। 

पहले भी करतारपुर में मिले हैं दो बिछड़े भाई!

जनवरी 2022 में करतारपुर साहिब में दो भाई विभाजन के 75 साल बाद मिले।  शैला, भारत के मोहम्मद हबीब और फ़ैसलाबाद, पाकिस्तान के मोहम्मत सिद्दीक़ कॉरिडोर में गले लग कर रोए। मोहम्मद सिद्दीक़ फ़ैसलाबाद के बोगरा के रहने वाले हैं। 


सिद्दीक़ का कहना है कि पाकिस्तान बनने के दो दिन पहले उनकी मां छोटे भाई हबीब को लेकर अपने माता-पिता से मिलने गई थी। हबीब की उम्र उस समय कुछ महीने रही होगी। विभाजन के बाद सिद्दीक़ अपनी मां का इंतज़ार करते रहे पर वो नहीं लौटी। 75 साल बाद सिद्दीक़ अपने भाई से दोबारा मिल रहे हैं।