हर पहर बदलता है शिवलिंग का रंग, कुषाणकाल में निर्मित इस मंदिर में अष्टाकार गर्भगृह है मौजूद!

 | 
mundeshwari temple Where Shiling Changes Colour in three Times

देशभर में हजारो ऐसे शिव मंदिर है, जंहा होने बाले चमत्कार देख भक्त बम-बम भोले करने लग जाते है। इन्हीं में से कुछ ऐसे भी हैं धार्मिक स्थल हैं जिनके रहस्य को कोई अब तक समझ नहीं पाया है। ऐसा ही एक बिहार का कैमूर जिला पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। इन्ही पहाड़ों के बीच पंवरा पहाड़ी के शिखर पर मौजूद है माता मुंडेश्वरी धाम मंदिर। 

इस मंदिर का संबंध मार्केण्डेय पुराण से भी है जिसमें शुंभ-निशुंभ के सेनापति चण्ड और मुण्ड के वध की कथा मिलती है। देवी के इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग का चमत्कार भक्तों को दिखता है तो माता की अद्भुत शक्ति की झलक भी यहां दिख जाती है। तो आइए हम देखें यहां माता का कौन सा चमत्कार दिखता है। 

माता के मंदिर में होता है चमत्कार!

बिहार का मुंडेश्वरी मंदिर, यंहा केवल हिंदू ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी बलि देने आते हैं और आंखों के सामने चमत्कार होते देखते हैं।  मान्यता के अनुसार यहां सात्विक तरीके से बलि दी जाती है। यहां बलि में बकरा चढ़ाया जाता है, लेकिन उसका जीवन नहीं लिया जाता। यानी बिना रक्त बहाये बलि अनुष्ठान। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: Bhaskar

जब भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो वे यहां बलि के रूप में बकरा चढ़ाते हैं। बलि के लिए जब बकरे को माता की प्रतिमा के सामने लाया जाता है तो पुजारी चावल के कुछ दाने मूर्ति को स्पर्श कराकर बकरे पर डालता है। इससे बकरा बेहोश हो जाता है। थोड़ी देर के बाद अक्षत फेंकने की प्रक्रिया फिर होती है तो बकरा उठ खड़ा होता है और इसके बाद ही उसे मुक्त कर दिया जाता है। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: News18

यह चमत्कार आंखों के सामने जब होता है, तब आप यकीन नहीं कर पाते हैं कि आप 21वीं शताब्दी में हैं।आपको बता दे, दुर्गा का वैष्णवी रूप ही मां मुंडेश्वरी के रूप में यहां प्रतिस्थापित है। मुंडेश्वरी की प्रतिमा वाराही देवी की प्रतिमा है, क्योंकि इनका वाहन महिष है। मुंडेश्वरी मंदिर अष्टकोणीय है। इस मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर है।

हर पहर बदलता है शिवलिंग का रंग!

मां मुण्डेश्वरी मंदिर में भगवान शिव का एक पंचमुखी शिवलिंग है, जिसके बारे में बताया जाता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर व शाम को अलग-अलग दिखाई देता है। देखते ही देखते कब पंचमुखी शिवलिंग का रंग बदल जाता है, पता भी नहीं चलता। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: NBT

भोलेनाथ की ऐसी मूर्ति भारत में बहुत कम पायी जाती है, इसी मूर्ति में छुपा हुआ है ऐसा रहस्य जिसके बारे में कोई नही जान या समझ पाया, मंदिर के पुजारी की मानें तो ऐसी मान्यता है कि इसका मूर्ति का रंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग दिखाई देता है। कब शिवलिंग का रंग बदल जाता है, पता भी नहीं चलता। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: Bhaskar

मां मुंडेश्वरी मंदिर के बीचोंबीच गर्भगृह में यह शिवलिंग स्थापित है और बेहद प्राचीन है। सुबह में जब लोगों की दृष्टि पड़ती है तो इसका रंग अलग रहता है, दोपहर में रंग अलग और शाम होते होते रंग फिर से बदल जाता है। मंदिर धार्मिक लिहाज़ के साथ साथ रहस्य के लिए भी देश और दुनिया में प्रसिद्ध है जिसकी चर्चा सुन लोग खिंचे चले आते हैं। 

पुराणों से जुड़ा है इस मंदिर का रहस्य!

इस मंदिर को देवी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। पुरातत्व विभाग भी इस बात को प्रमाणित करता है। पहाड़ी पर बिखरे हुए कई पत्थर और स्तंभ हैं जिनको देखकर लगता है कि उन पर श्री यंत्र सिद्ध यंत्र मंत्र उत्कीर्ण हैं। जैसे ही आप मंदिर के मुख्य द्वार पर ही पहुंचेंगे वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय लगने लगता है। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: NBT

मंदिर कितना प्राचीन है और मंदिर में रखी मूर्ति कब और किस तरह के पत्थर से बनी है, ये सब बातें मंदिर में प्रवेश करने के पहले एक शिलालेख में अंकित है।  इसपर साफ-साफ लिखा है की मंदिर में रखी मूर्तियां उत्तर गुप्त कालीन हैं और यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है। 

मंदिर बेहद प्राचीन है साथ ही बेहद धार्मिक भी। कहते हैं कि इस मंदिर में माता के स्थापित होने की कहानी भी बड़ी रोचक है।  मान्यता के अनुसार इस इलाके में चंड और मुंड नाम के असुर रहते थे, जो लोगों को प्रताड़ित करते थे। जिनकी पुकार सुन माता भवानी पृथ्वी पर आईं थीं और इनका वध करने के लिए जब यहां पहुंचीं तो सबसे पहले चंड का वध किया। 

mundeshwari mata mandir
Image Source: News18India

उसके निधन के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी पर छिप गया था। लेकिन माता इस पहाड़ी पर पहुंच कर मुंड का भी वध कर दिया था। इसी के बाद ये जगह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मंदिर के अंदर प्रवेश करने के बाद मंदिर के पूर्वी खंड में देवी मुंडेश्वरी की पत्थर से भव्य व प्राचीन मूर्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र है, जहां मां वाराही रूप में विराजमान हैं। 

मुंडेश्वरी मंदिर देश का सबसे पुराना जीवित मंदिर!

1913 साल पुराना श्रीयंत्र आकार का अष्टकोणीय मंदिर... तीन फीट नौ इंच ऊंचा चतुर्मुखी शिवलिंग, और देवी मुंडेश्वरी का यह मंदिर देश का सबसे पुराना जीवित मंदिर है। तब से जारी पूजा-प्रसाद की परंपरा आजतक कायम है। परिसर से एक ही शिलालेख के दो टुकड़े मिले हैं। दोनों कोलकाता म्यूजियम में हैं।

mundeshwari mata mandir
Image Source: News18India

मुंडेश्वरी मंदिर 108वीं सदी यानी कुषाणकाल का है। कुषाणकाल के बाद मुखलिंग पर तीसरा नेत्र जरूरी मान लिया गया। मुंडेश्वरी शिवलिंग के एक मुख के मस्तक पर रुद्राक्ष की माला है। मुखों की आकृति भिन्न है। स्त्रीमुख नहीं है। त्रिनेत्र तो है ही नहीं। यह सब गुप्त काल में शुरू हुआ। इससे पहले इतिहासकार, मंदिर को गुप्तकालीन तो कुछ हर्षकालीन बताते रहे हैं।

mundeshwari mata mandir
Image Source: News18India

यह मंदिर ऋषि अत्रि की तपोभूमि रही त्र्यक्षकुल पर्वत पर है। त्र्यक्षकुल का अर्थ शिव और शिवा के समस्त कुल का प्रिय धाम है। मंदिर परिसर में प्राप्त प्राय: सभी प्रतिमाएं शिव परिवार की ही हैं। मंदिर के मूल नायक चतुर्मुखी शिवलिंग हैं। मान्यता है कि पहर के हिसाब से शिवलिंग का रंग बदलता है।