नेताजी मुलायम सिंह यादव की नहीं होगी तेहरवीं, सामने आई ये बड़ी बजह...!

समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार (10 अक्टूबर) को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। जिसके बाद उनके पुत्र अखिलेश यादव ने हिन्दू रीति रिबाज के अनुसार उन्हें मुखाग्नि देकर अलविदा किया। अंत्येष्टि के बाद अभी पूरा सैफई गांव और यादव कोठी शोक में डूबी है। बुधवार को बेटे अखिलेश यादव व बहू डिंपल यादव समेत परिवार के सभी लोग शुद्धि संस्कार में शामिल हुए। दौरान खबर आई कि नेता जी की तेरहवीं का आयोजन नहीं होगा। और जब इस पर सवाल उठे तो इसके पीछे का कारण भी सामने आया। क्या है बो कारण? आइये हम आपको बताते है।
क्यों नहीं होगी मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं?
आपको बता दे, बीते गुरुग्राम के निजी अस्पताल में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन के बाद मंगलवार को सैफई गांव में परिवारिक भूमि पर अंतिम संस्कार किया गया, पूर्व मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव ने मुखाग्नि दी थी। बुधवार की भोर अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे अखिलेश ने पिता की अस्थियां चुनीं। वहीं, आवास में शुद्धि संस्कार में अखिलेश समेत परिवार के सभी लोग शामिल हुए।

वंही पारिवार से जुड़े लोगों की मानें तो सैफई की परंपरा के मुताबिक नेताजी मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं का आयोजन नहीं किया जाएगा, बल्कि 11वें दिन हवन के बाद महोत्सव पंडाल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। सपा नेता और पूर्व एमएलसी सुनील सिंह साजन के मुताबिक नेताजी की तेरहवीं नहीं होगी। उसके स्थान पर 21 अक्टूबर को शांति पाठ और हवन होगा।
सैफई में नहीं है तेहरवीं मनाने की परंपरा!
बता दें हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए 13 वें दिन एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है जिसे तेहरवीं कहते हैं। वंही सैफई और उसके आस-पास के क्षेत्र में तेहरवीं करने की परंपरा काफी समय पहले ही खत्म हो चुकी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि तेरहवीं का भोज करने से गरीब लोगों पर खासा आर्थिक बोझ पड़ता है। इसी को देखते हुए सैफई गांव ने तेरहवीं नहीं करने का फैसला बहुत पहले ले लिया था।
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वंही रीति रिवाज के मुताबिक 11 अक्टूबर से 11वें दिन शुद्धिकरण हवन होगा। सैफई के लोगों का मानना है कि अगर कोई बड़ा आदमी तेरहवीं करता है तो उसे देखकर गरीब आदमी भी करेगा और उस पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। इसी वजह से यह व्यवस्था की गई है।
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आपको बता दे, मुलायम सिंह यादव और अन्य समाज सुधारकों की वजह से ही यह परंपरा खत्म हुई है। लोग बताते हैं कि जब मुलायम सिंह जब राजनीति में आए तो उन्होंने अन्य समाज सुधारकों के साथ इस परंपरा को खत्म करने की शुरुआत की थी। इसलिए नेताजी की तेहरवीं नहीं की जाएगी।
श्रद्धांजलि सभा, हरिद्वार में अस्थि विसर्जन!

आपको बता दे, बुधवार की भोर अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे अखिलेश ने पिता की अस्थियां चुनीं। वहीं अखिलेश व परिवार के सदस्यों द्वारा अंत्येष्टि स्थल से चुनी गईं अस्थियों को एक कलश में एकत्र करके सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया है। इन अस्थियों को हरिद्वार में विसर्जित किया जाएगा। अंत्येष्टि वाली जगह को समतल कराया गया है, वहां पर समाधि स्थल बनाया जाएगा। इसके अलावा सैफई गांव में नेताजी की बड़ी मूर्ति लगाई जाएगी।