'बीटिंग रिट्रीट समारोह' से हटाई गई महात्मा गांधी के पसंदीदा क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ की धुन

26 जनवरी (26 January) या गणतंत्र दिवस। ये देश के उन त्योहारों में से एक है जिसमें लोगों के अंदर देशभक्ति जगाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोग सहमति और स्वेछा भाव से स्वयं इस पर्व को अपने अंदाज में सेलिब्रेट करते देखे जा सकते है। गणतंत्र दिवस एक दिन का उत्सव नहीं है। देश में ये उत्सव पूरे सप्ताह मनाया जाता है। और 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट के साथ खत्म होता है।
लेकिन इस बार 'बीटिंग रिट्रीट' यानी समापन समारोह थोड़ा अलग होगा। यानी इसमें कुछ चेनजिस किये गए है। क्योंकि इस बार बीटिंग रिट्रीट में गांधी जी की मनपसंद धुन ‘अबाइड विद मी’ नहीं बजाई जाएगी।
1950 से समारोह का हिस्सा थी यह धुन
‘अबाइड विद मी’ इंग्लिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट का लिखा हुआ एक भजन है। जिसे 1847 में लिखा गया था। देश के आजाद होने के बाद वर्ष 1950 से यह गीत ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह (Beating Retreat Ceremony 2022) का हिस्सा रहा है। यानी इसी गीत की धुन पर गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता रहा है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी 29 जनवरी को होती है और 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुई थी।

हालांकि अब इसे समारोह से हटा दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में बजाई जाने वाली धुनों की लिस्ट में 26 धुन शामिल हैं, लेकिन इस लिस्ट में ‘अबाइड विद मी’ का नाम नहीं है।
‘सारे जहां से अच्छा’ धुन होगी शामिल
ज़ी न्यूज़ की खबर अनुसार, विवरण पुस्तिका के मुताबिक इस साल के समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ (Saare Jahan Se Achcha) की धुन के साथ होगा। हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। साल 2020 में भी इस सेरेमनी में ‘अबाइड विद मी’ की धुन नहीं बजाई गई थी।
शामिल की गईं ये धुनें
इस बार की बीटिंग रिट्रीट सेरमनी की शुरुआत बिगुल पर फैनफेयर गीत के साथ होगी। विवरण पुस्तिका में 26 धुनों को भी सूचीबद्ध किया गया है, जो इस साल बीटिंग रिट्रीट समारोह (Beating Retreat Ceremony 2022) में विजय चौक पर बजाई जाएंगी।
सदियों पुरानी परंपरा है बीटिंग रिट्रीट!
‘बीटिंग रिट्रीट’ सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है। यह उन दिनों से चली आ रही है, जब सूर्यास्त के समय सैनिक युद्ध से अलग हो जाते थे। यानी संध्या समय बिगुल बजा और लड़ना बंद करके अपने हथियार समेटते हुए युद्ध के मैदान से हट जाते थे।