पानी लाने के लिए कई किमी दूर जाती थी पत्नी, परेशानी देख पति ने चट्टानी कुआं खोद दिया!

आपने अब तक प्यार की कई ऐसी कहानियां सुनी होगी, जिसमें लोग प्यार के चक्कर में किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हो जाते हैं। अपनी पत्नी की प्यार में बिहार के दशरथ मांझी ने पहाड़ खोदकर रास्ता निकाल दिया, तो ठीक ऐसा ही एक प्यार मध्य प्रदेश के सीधी जिले में देखने को मिला। जहां 40 साल के हरी सिंह ने अपनी पत्नी की खातिर पहाड़ का सीना चीर कर कुआं खोद दिया है। तो आइये जानते है इस MP के "माउंटेन मैन" की कहानी।
पत्नी के लिए चट्टानों को तोड़कर खोदा कुआं!
मामला मध्य प्रदेश के सीधी जिले से आया है। सीधी जिले से 45 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा में तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। और यही रहते है हरिसिंह अपनी पत्नी और बच्चो के साथ। हरि सिंह मजदूरी करते है तो पत्नी घर संभालती है। घर में पारिवारिक प्यार खूब है, लेकिन कमी है तो सिर्फ पानी की।

40 वर्षीय हरि सिंह ने बताया है कि पत्नी सियावती की पानी की परेशानी को लेकर वे काफी चिंतित थे, उनकी पत्नी को 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था और उनसे पत्नी की यह परेशानी देखी नहीं जाती है। इस वजह से मैंने चट्टानों से बने पहाड़ पर कुआं खोदने का फैसला किया।
'संकल्प लिया, कुआं खोदकर ही दम लूंगा'

हरि सिंह का कहना है कि शुरू में यह कार्य बहुत कठिन लग रहा था क्योंकि पूरा का पूरा पत्थर खोदना था। मिट्टी की परत एक भी नहीं थी। लोगों ने भी पहले हतोत्साहित किया कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा, लेकिन मैं पीछे हटने को तैयार नहीं था। ऐसे में हठधर्मिता को जागृत किया तथा संकल्प लिया कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है। मैं यहां कुंआ खोदकर ही दम लूंगा।
'पहाड़ का सीना चीर के निकाला पानी'
अंततः उन्होंने पहाड़ी पर ही कुआं खोदने का निर्णय ले लिया, अपने मन की बात उन्होंने परिवार को सुनायी तो सब तैयार हो गए। उनके इस अभियान में पत्नी, बेटा बेटी और भतीजा सब शामिल हो गए। हरिसिंह व उनका परिवार घर के काम-काज निपटा कर आ जाते पत्थरो से दो-दो हाँथ करने। और ये सिलसिला सालो-साल चलता रहा , हरिसिंह हथौड़ा बरसाते पत्थर थोड़ी जगह देकर फिर अड़ जाता। आख़िरकार अब जाकर पत्थरो को भी हरिसिंह की मेहनत के आगे टूटना पड़ा।

और इसी के साथ हरिसिंह ने खोद दिया 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं। जहां थोड़ा सा पानी भी निकल आया है। जिस बारे में हरिसिंह ने बताया कि कि थोड़ा बहुत पानी मिल गया है, लेकिन जब तक समुचित उपयोग के लिए पानी नहीं मिल जाता तब तक यह कुआं खोदने का कार्य लगातार जारी रहेगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े।
शासन-प्रशासन का नहीं मिला सहयोग!

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट अनुसार, हरी सिंह ने बताया कि उनके पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है। इसके बावजूद पंचायत कर्मी गुमराह करने का प्रयास करते हैं। जबकि सरकार की ओर से इसका प्रावधान है। इसीलिए मैं कई बार उनसे सहायता मांगने गया, लेकिन किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली और अंततः मैंने कुआं खोदने का बीड़ा उठाया।
दशरथ मांझी से हो रही तुलना!
आपको याद ही होगा दशरथ मांझी यानी "माउंटेन मैन", जिन्होंने बिहार, जिला गया के ग्राम गहलौर में पहाड़ खोदकर रास्ता बनाया था। क्यूंकि जब उनकी पत्नी पेट से थी तो उन्हें गांव से निकलने के लिए सीधा रास्ता नहीं मिला, नतीजा ये हुआ कि बह अपनी पत्नी को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाए और उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। जिसके पश्चात उन्होंने अपने मन में संकल्प लिया कि जो उनके साथ हुआ बह गांव के किसी परिवार के साथ नहीं होना चाहिए।

इसलिए उन्होंने सालो-साल पत्थरो के पहाड़ को तोड़कर सुगम रास्ता बना दिया। और आज दुनिया उन्हें "माउंटेन मैन" कहकर बुलाती है। आपको बता दे, उन पर 'दशरथ मांझी- द माउंटेन मैन' के नाम से फिल्म भी बनी थी। वहीं हरी सिंह की कहानी भी दशरथ मांझी से कम नहीं है, इसीलिए लोग उन्हें सीधी के दशरथ मांझी के नाम से भी पुकारने करने लगे हैं।