कश्मीर के जिस मंदिर को 700 साल पहले तोड़ा गया, अब पढ़ी गई हनुमान चालीसा, देखिए वीडियो!

भारत में सूर्यदेव के चार प्रमुख मंदिर हैं। इनमें उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा का मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर का मार्तंड मंदिर शामिल है। वंही जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर में रविवार को तीन दशक बाद सूर्य हवन और पूजा अनुष्ठान किया गया।

इस पूजा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, देश के विभिन्न शहरों से आए पुजारियों, स्थानीय लोगों और कश्मीर पंडितों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर घाटी में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। क्या है इस प्राचीन मंदिर का इतिहास और कहानी? आइये जानते है।
कश्मीर के मार्तंड मंदिर में सालो बाद हुई पूजा-अर्चना!
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के मार्तंड सूर्य मंदिर (Martand sun temple) में वर्षों बाद शुक्रवार को पूजा अर्चना की गई। जिसमे राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी उपस्थित रहे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूर्य मंदिर में हुई पूजा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि दल के हाथ में भगवा झंडा था, जिस पर ओम लिखा हुआ था, साथ ही तिरंगा भी है।
दशकों बाद कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना हुई।🙏🙏🚩#SunTemple #JammuAndKashmir pic.twitter.com/yMy5aT4i0h
— Nishant Azad/निशांत आज़ाद🇮🇳 (@azad_nishant) May 8, 2022
श्रद्धालुओं ने ‘हर हर महादेव’ का नारा लगाते हुए शंख बजाये। वहीं सशस्त्र सुरक्षाकर्मी उनके साथ चल रहे थे, और तीर्थयात्रियों के चारों ओर खड़े देखे जा सकते थे क्योंकि कुछ एक पत्थर के मंच पर बैठे थे और हनुमान चालीसा और गीता के छंदों का पाठ कर रहे थे, जबकि अन्य लोग जमीन पर बैठकर पूजा-अर्चना देख रहे थे।
मार्तंड सूर्य मंदिर का इतिहास!

मार्तंड सूर्य मंदिर कश्मीर के अनंतनाग से पहलगाम के रास्ते में पड़ता है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के कारकोटा राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ा द्वारा 8वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। 8वीं शताब्दी का मार्तंड मंदिर भारत के सूर्य मंदिरों में सबसे पुराना और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।
700 साल पहले तोड़ा गया ये मंदिर!
यह हिंदू धर्म में प्रमुख सौर देवता सूर्य को समर्पित था। लेकिन 1389 और 1413 के बीच कई बार इसे नष्ट करने की कोशिश की गई। बाद में इस्लामिक शासक सुल्तान सिकंदर बुतशिकन ने इसे नष्ट कर दिया था।

मार्तण्ड सूर्य मंदिर की भव्यता की तुलना विजयनगर सम्राज्य की राजधानी हम्पी से होती रही है। अफ़सोस ये कि इस्लामी आक्रांताओं की बर्बरता के कारण हम्पी के भी अब सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। वो शहर, जिसकी तुलना तब के रोम से होती थी।
#दीवारें_बोलती_हैं
— Shivshankar Tiwari (@shivoham69) May 10, 2022
प्रत्यक्ष को प्रमाण नहीं ,,
काशी विश्वनाथ का परिसर हो या कश्मीर मार्तंड सूर्य मंदिर,,,
दीवारों के अवशेश बताते हैं दमन की कहानी,,
सभी सनातनी धरोहरों का पुनर उद्धार करना हमारी विरासत को जीवित रखने के लिए ज़रूरी @Universal_108@narendramodi pic.twitter.com/l781pnah3K
भले ही इस मंदिर का भव्य निर्माण राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ा द्वारा कराया गया हो, लेकिन इससे जुड़ी कथा महाभारत में पांडवों तक जाती है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर के आसपास कुल 84 अन्य छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे, जिनके आज सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। 15वीं शताब्दी की शुरुआत में इस्लामी आक्रांताओं ने इसे जड़ से मिटाने की ठान ली और इसे अवशेषों में बदल दिया।
मार्तंड सूर्य मंदिर का महत्व!
जैसा कि हमें पता है, भगवान सूर्य की पूजा भारतीय सनातन संस्कृति में आदिकाल से होती आई है। इसका उदाहरण ऋग्वेद में भी मिल सकता है, जिसमें सूर्य को इस संपूर्ण ब्राह्मण की दृष्टि बताया गया है। उन्हें प्रकाश का देवता माना गया। ओडिशा के कोणार्क और गुजरात के मोढेरा की तरफ मार्तण्ड सूर्य मंदिर का स्थान भी देश में उच्चतम रहा है।
मार्तंड सूर्य मंदिर, कश्मीर
— दाढ़ी वाले बाबा (@iAyush_Mishra) May 10, 2022
7वीं शताब्दी में ललितादित्य ने बनावाया एवं 14वीं शताब्दी में इस्लामीकरण के समय नष्ट किया गया था। #Temple pic.twitter.com/BXhAkvC2eG
इस मंदिर में 84 स्तंभ हैं। इन स्तंभों को नियमित अंतराल पर रखा गया है। मंदिर की राजसी वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, जो इसे अलग बनाती है। ऐसा कहा जाता है कि राजा ललितादित्य सूर्य की पहली किरण निकलने पर सूर्य मंदिर में पूजा कर चारों दिशाओं में देवताओं का आह्वान कर ही अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे।