9 तालों से सील हुआ ज्ञानवापी का वजूखाना, ऐसी रहेगी CRPF जवानो की सुरक्षा व्यवस्था!

वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की सुरक्षा का निर्देश स्थानीय जिला प्रशाशन व पुलिस बल को दिया है। वंही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई में कहा कि मस्जिद में आकृति मिली है – जिसे वकील शिवलिंग करार दे रहे हैं – उसे सुरक्षित किया जाए।
इसके बाद मस्जिद में मिली कथित शिवलिंग की सुरक्षा बढ़ा दी गई। इसी कड़ी में अब प्रशासन ने मस्जिद के भीतर वजूखाना के स्थान पर 9 ताले लगाकर उसे सील कर लिया है। यानी यहां 9 ताले लगातार पूरे इलाके को बंद कर दिया गया है।

वंही कोर्ट ने सीआरपीएफ (CRPF) के कमांडेंट को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ के दो जवान 24 घंटे सील किए गए वजूखाने की रखवाली करेंगे। यानी हर शिफ्ट में दो-दो जवान वहां मुस्तैदी से डटे रहेंगे ताकि उस स्थान को कोई नुकसान ना पहुंचाया जा सके।

हर शिफ्ट में मंदिर सुरक्षा के प्रमुख डिप्टी एसपी रैंक के मंदिर सुरक्षा अधिकारी और सीआरपीएफ के कमांडेंट औचक निरीक्षण करेंगे। प्रशासन के मुताबिक वजू के स्थान पर छोटा सरोवर है। उसे सील कर लिया गया है क्योंकि ये इलाका पहले से लोहे के बैरीकेड और जालों से घिरा हुआ है।
क्या है मस्जिद-मंदिर का मामला?
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से बिल्कुल सटी हुई है। दावा किया जा रहा है कि प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर ये मस्जिद बनाई गई है। इसी विवाद को लेकर और शृंगार गौरी की पूजा स्थान पर अनुमति के लिए वाराणसी की जिला अदालत में अपील की गई। अपील पर सुनबाई करते हुए अदलात ने सर्वे का आदेश दिया।

सर्वे के दौरान, हिंदू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वजूखाने में शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा मिला है। इस बीच मस्जिद के वजूखाने से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जो कि पुराने है। प्रशासन का कहना है कि दोनों वीडियो एक-दो महीने पुराने हैं।
शिवलिंग है या फव्वारा?
खैर अब सबके मन में सवाल है कि वजूखाने में मिली पत्थरनुमा आकृति वाकई में क्या है शिवलिंग है या फव्वारा? अगर ये साबित हो गया कि ये वाकई शिवलिंग ही है तो मंदिर के अस्तित्व को लेकर अंधेरे की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी, लेकिन ये तय कर पाना आसान नहीं। इसे वैज्ञानिक और पुरातत्विक पैमाने पर परखना-जांचना होगा।

दरअसल -हिंदू पक्ष कह रहा है आकृति साफ-साफ बता रही है ये शिवलिंग है। मुस्लिम पक्ष कह रहा है उपरी हिस्से की बनावट बता रही ये फव्वारा है। अभी तो सिर्फ मोटे तौर पर सिर्फ यही तर्क -वितर्क चल रहे हैं। हिंदू पक्ष तर्क दे रहा है कि ये एक ही पत्थर से बनी संरचना है, शिवलिंग ऐसे ही बनते हैं। मुस्लिम पक्ष की दलील है कि ये अभी कैसे तय हो गया कि ये एक ही पत्थर से बना है।
खैर ये सभी तर्क वितर्क सोशल मीडिया और मीडिया में चल रहे है। अदालती तौर पर किसी ठोस सबूत के आधार पर यह साबित नहीं हो पाया है कि बाजूखाने में मिली आकृति क्या है? दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे है तो अपनी-अपनी दलीले। आखिर में निर्णय माननीय कोर्ट को ही करना है, कि बह आकृति किसके पक्ष की गबाही दे रही है।