मध्य प्रदेश में डायनासोर के 'अंडे के अंदर मिला अंडा', दुनिया में पहलीबार ऐसी दुर्लभ खोज हुई है!

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Egg found inside dinosaur egg in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के धार जिले के डायनासोर फॉसिल नेशनल पार्क में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के वैज्ञानिकों को डायनासोर का एक अजीबोगरीब अंडा मिला है। इस अंडे के अंदर भी एक अंडा है, डायनासोर का इस तरह का अंडा शायद जीवाश्म के इतिहास में पहली बार खोजा गया है। जिसने शोध करने वालों में एक रोमांच पैदा कर दिया है, रिसर्चर्स का कहना है कि इस तरह की खोज दुनिया में पहली बार हुई है। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है। 

मध्य प्रदेश में डायनासोर के अंडे के अंदर मिला अंडा!

आपको बता दे, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शोधकर्ताओं की टीम को मध्य प्रदेश से डायनासोर का दुर्लभ अंडा मिला है जिसके भीतर एक और अंडा है। यानी डायनासोर के अंडे के अंदर मिला अंडा, जीवाश्म इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसी खोज हुई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह खोज ‘दुर्लभ और अहम है’ क्योंकि अबतक सरीसृपों के ‘अंडे में अंडा’ नहीं मिला था। इस खोज को जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित किया गया है।

dinosaurs egg found in madhya pradesh
सांकेतिक तस्वीर/ India.com

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, रिसर्चर्स को मिलने वाला अंडा टाइटनोसॉरिड डायनासोर का है। रिसर्च में कुल 10 अंडे मिले, जिनमें से एक अंडे के अंदर भी अंडा है। इस दुर्लभ अंडे में दो गोलाकार शेल्स हैं और दोनों शेल्स के बीच दूरी है। बड़े अंडे का डायमीटर 16.6 सेंटीमीटर और छोटे अंडे का डायमीटर 14.7 सेंटीमीटर है। रिसर्चर्स का कहना है कि इस अंडे से यह पता चल सकता है कि क्या डायनासोर का प्रजनन जीव विज्ञान, कछुए, छिपकलियों या मगरमच्छ और पक्षियों के जैसा था। 

डायनासोर के प्रजनन पर उठे सवाल!

शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले यह माना जाता था कि डायनासोर में प्रजनन, कछुओं और बाकी रेप्टाइल्स की तरह होता है। दरअसल, वैज्ञानिक अब तक डायनासोर के प्रजनन को रेप्टाइल्स जैसा मानते हैं, लेकिन अंडे में अंडा मिलना पक्षियों में सामान्य है। 


शोध के मुख्य लेखक और डीयू के रिसर्चर डॉ हर्ष धीमान का कहना है कि टाइटानोसॉरिड नेस्ट से ओवम-इन-ओवो अंडे की खोज से, यह पता लगता है कि हो सकता है कि सॉरोपॉड डायनासोर में मगरमच्छ या पक्षियों की तरह ही ओविडक्ट मॉर्फोलॉजी थी। साथ ही, वक्त के साथ-साथ इन डायनासोर ने पक्षियों के प्रजनन की प्रक्रिया अपना ली हो। यह एक तरह से इवोल्यूशन का हिस्सा हो सकता है।

टाइटनोसॉरिड डायनासोर क्या है?

आपको बता दे, मध्य भारत को लंबे समय से डायनासोर के जीवाश्मों के लिए जाना जाता है। पश्चिम भारत में भी डायनासोर के जीवाश्म मिलने की ज्यादा संभावना होती है। वैज्ञानिकों को बाग शहर के पास पडलिया गांव के पास बड़ी संख्या में टाइटनोसॉरिड डायनासोर के जीवाश्म मिले हैं। इसमें कंकाल से लेकर अंडे तक शामिल हैं।


टाइटनोसॉरिड डायनासोर 40 से 50 फीट लंबे डायनासोर हुआ करते थे। यह फोर पेडल डायनासोर है, शाकाहारी चार पैर पर चलने वाला डायनासोर है। इसकी पूंछ और गर्दन लगभग एक जैसी होती है। ये खासतौर पर दक्षिणी गोलार्ध में क्रेटेशियस पीरियड के दौरान रहते थे। रिसर्चर्स आज तक इनकी पूरी खोपड़ी नहीं ढूंढ पाए हैं। इस ग्रुप के डायनासोर जमीन पर रहने वाले अब तक के सबसे बड़े डायनासोर में से थे।

अपने आप में दुलर्भ खोज है यह अंडा 

dinosaurs egg found in madhya pradesh
Image Source: ANI

डॉ.अशोक साहनी, डॉ.हर्षा दीवान डायनासोर विशेषज्ञ के साथ काम किया जा रहा है। उनके अनुसार, टाइटनोसॉरिड डायनासोर का एक घोंसला हमें मिला है। इसमें लगभग दस के आसपास अंडे चट्टान की सर्फेस पर दिख रहे हैं। इससे पहले इस तरह का अंडा कहीं भी नहीं मिला है। वंही इस अनोखे दुर्लभ अंडे के मिलने से प्रशासन और खासतौर पर वन विभाग अच्छा खासा उत्साहित है। वन विभाग ने इस अंडे को असामान्य माना है।