भारत के अच्छे दिन! DRDO ने रचा इतिहास, बनाया बिना पायलट बाला पहला लड़ाकू एयरक्राफ्ट...देखिये वीडियो!

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drdo made new aircraft

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) को अत्याधुनिक मानवरहित विमान के विकास में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। DRDO ने बीते शुक्रवार को 'ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमनस्ट्रेटर' की पहली सफल उड़ान का संचालन किया। इस फ्लाइट की खासियत यह है कि ये बिना पायलट के उड़ान भर सकती है। इतना ही नहीं, ये टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक का सारा काम भी बिना किसी मदद के खुद ही हैंडल कर सकती है। क्या है इसकी और खाशियत? चलिए हम आपको बताते है। 

बिना पायलट वाले इस लड़ाकू एयरक्राफ्ट ने भरी उड़ान!

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमनस्ट्रेटर की पहली उड़ान को कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से सफलतापूर्वक संचालित किया। बताया जा रहा है कि ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमोनस्ट्रेटर की ये उड़ान भविष्य के मानव रहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है। 

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Image Source: Rajnath Singh (Twitter)

पूर्णतया स्वायत्त रूप से काम करते हुए ऑटोनोमस-विमान ने एक आदर्श उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक स्मूथ टचडाउन शामिल है। मानव रहित हवाई वाहन यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर’ कहा जाता है। विमान के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा:-


"विमान पूरी तरह से ऑटोनॉमस मोड में ऑपरेट हुई। एयरक्राफ्ट ने एक सफलतापूर्वक उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेकऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक स्मूथ टचडाउन शामिल है। ये एयरक्राफ्ट आगामी बिना पायलट के चलने वाली विमानों के डेवलपमेंट की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक जरूरी कदम भी है।"

एयरक्राफ्ट ने खुद भरी उड़ान!

Drdo made new aircraft
Image Source: ANI

ABP News के मुताबिक, DRDO ने बयान में कहा कि एयरक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इस एयरक्राफ्ट ने खुद इस एक्सरसाइज़ को अंजाम दिया। इस फ्लाइट की खासियत यह है कि ये बिना पायलट के उड़ान भर सकती है। इतना ही नहीं, ये टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक का सारा काम भी बिना किसी मदद के खुद ही हैंडल कर सकती है। 

इसे भारत में ही तैयार किया गया है

मानव रहित हवाई विमान को डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीई) प्रयोगशाला द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि मानव रहित लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है।


यह एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडरकैरिज और पूरी उड़ान नियंत्रण तथा वैमानिकी प्रणाली को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया। चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज अपनी पहली उड़ान भरी। इसे स्वचालित विमानों की तकनीक के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि माना गया है।

इससे स्वदेशी स्टेल्थ अटैक-ड्रोन को बनाने से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। स्टेल्थ तकनीक के चलते इस तरह के यूएवी दुश्मन की रडार को भी चकमा देने में कामयाब रहते हैं। 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को दी बधाई!


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि यह स्वायत्त विमानों (Autonomous Aircraft) की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में आत्मनिर्भर भारत का मार्ग भी प्रशस्त होगा। 

तेजी से काम कर रहा डीआरडीओ

भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में हाईटेक उपकरण विकसित कर रहा है। दुश्मन देशों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत अपनी शक्ति लगातार बढ़ा रहा है। इस दिशा में डीआरडीओ तेजी से काम कर रहा है। इससे पहले डीआरडीओ को बड़ी कामयाबी मिली थी और बंगाल की खाड़ी में स्वेदशी लड़ाकू ड्रोन ABHYAS का सफल परीक्षण किया था। इसके अलावा स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल यानी एटीजीएम का भी सफल परीक्षण किया गया था।