100 अंक का था पेपर, मिले 151 नंबर, रिजल्ट देखते ही लोग बोले- कमाल करते हो मास्टर जी!

100 में से 100 नंबर कौन नहीं चाहता ? पेपर के बाद हर किसी की चाहत होती है कि बस पूरे-पूरे नंबर आ जाएं। अब जरा सोचिए कि 100 में से 151 आ जाएं तो क्या होगा ? आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है तो जनाब ऐसा भी हो चुका है और छात्र खुद अपना रिजल्ट देखकर हैरान था कि उसने ऐसा क्या कर दिया कि टीचर ने 100 में से 151 नंबर दे डाले? क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।
100 अंक का था पेपर, मिले 151 नंबर!
जंहा एकतरफ छात्र कॉलेज या यूनिवर्सिटी परीक्षा में पास मार्क्स लाने के लिए निरंतर संघर्ष करते हैं वहीं इस यूनिवर्सिटी में छात्र को 100 नंबर के पेपर में 151 (शगुन के अतिरिक्त 51 मार्क्स) दे दिए! ये कारनामा कर दिखाया है बिहार के ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी (Lalit Narayan Mithila University, LNMU) ने। जंहा तक के एक छात्र को हाल में जारी परीक्षा परिणाम में अधिकतम अंकों से अधिक अंक प्राप्त होने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है।

मामला बिहार के दरभंगा का है। जंहा खुद छात्र भी अपना रिजल्ट देखकर हैरान था। यह बीए ऑनर्स का छात्र है और उसे पॉलिटिकल साइंस में 151 नंबर मिले। बता दें कि ये यूनिवर्सिटी राज्य की टॉप यूनिवर्सिटीज़ में से एक है। वसंत पंचमी के दिन 1947 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी।
151 नंबर मिलने पर क्या बोला छात्र?

जिस छात्र के साथ ये कमाल हुआ है वो बीए ऑनर्स में है। मीडिया से बात करते हुए छात्र ने बताया कि पॉलिटिकल साइंस पेपर-4 के पार्ट-2 परीक्षा में उसे 151 नंबर मिले। उसका कहना है, यह प्रोविजनल मार्कशीट थी। अधिकारियों इसे चेक करने के बाद रिलीज करना चाहिए था। छात्र ने बताया कि उसे अपने नंबर देखकर यकीन नहीं हो रहा।
यूनिवर्सिटी ने मामले पर क्या कहा?
रिजल्ट की खबर वायरल होने पर ललित नारायण यूनिवर्सिटी का कहना है कि यह टाइपिंग एरर है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि ज्यादा नंबर टाइपो की वजह से चढ़े हैं। करेक्शन कर जल्द ही नई मार्कशीट जारी की जाएगी।
शून्य अंक पर भी एक छात्र हुआ प्रमोट!

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी में ही एक अन्य छात्र को बीकॉम पार्ट 2 परीक्षा के अकाउंटिंग ऐंड फ़ाइनेंस पेपर 4 में ज़ीरो मार्क्स मिले। हालांकि, इसके बावजूद उसे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है। छात्र ने कहा, ''विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह एक टाइपिंग त्रुटि थी और उन्होंने मुझे एक संशोधित अंकपत्र जारी किया है।''
ऐसी घटनाओ के लिए फेमस है बिहार!
आपको बता दे, बिहार के एजुकेशन सिस्टम को लेकर इस तरह की तमाम गड़बड़ियां पहले भी सामने आती रही हैं। इसी तरह से जुडी तमाम घटनाये बीते कई सालो से अख़बार की सुर्खियां बन चुकी है। बिहार के छात्रों की मेहनत की दाद पूरा देश देता है लेकिन बिहार अभी भी अपनी लचर शिक्षा व्यवस्था से जूझ रहा है। कभी सामूहिक नकल की वजह से बिहार सुर्खियों में आता है तो कभी किसी और चूक की वजह से। लेकिन इस बार तो मामला अलग ही है।