एक बीवी नहीं बना पाती थी पेटभर खाना...तो कर ली दूसरी शादी, 200 किलो है इस आदमी का बजन!

एक सामान्य इंसान कितनी रोटियां खा सकता है, 4-5 या 6 या ज्यादा से ज्यादा मान लो तो 10, लेकिन इनसे मिलिए ये जनाव 10-12 रोटियों को सिर्फ नास्ता मानते है। क्यूंकि ये जनाव हर दिन 3 किलो चावल, 4 किलो आटे की रोटी, 2 किलो मीट, डेढ़ किलो मछली खाते हैं। इसीलिए इन्होने एक नहीं दो शादियां तक कर डाली, बो क्या है ना ये एक बीबी को तकलीफ नहीं देना चाहते थे इसलिए। तो आइये जानते है इन जनाव का अनसुना किस्सा।
3KG चावल-4KG आटे की रोटी खता है यह आदमी!
आज का यह किस्सा है बिहार का, जंहा रहते है रफीक। जिनका बजन है, मात्र 200 किलो, मात्र हमने इसलिए लगाया क्यूंकि इनकी डाइट देख आपको भी ये बजन मात्र ही लगने लगेगा। भास्कर की एक रिपोर्ट अनुसार, ये जनाव रफीक हर दिन 3 किलो चावल, 4 किलो आटे की रोटी, 2 किलो मीट, डेढ़ किलो मछली खाते हैं। उन्हें तीन टाइम एक-एक लीटर दूध की भी जरूरत पड़ती है। यानी खाना-पीना मिलाकर रोज की खुराक है 14-15 किलो।
एक बीवी खाना नहीं बना पाती, इसलिए दूसरी शादी करली!
खाना इतना है तो वजन भी पर्याप्त है। वजन की वजह से उन्हें चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। इसलिए इन जनाव ने बाइक लेनी की सोची, लेकिन छोटी मोटी बाइक से गुजारा कंहा होता इसलिए खरीद ली बुलेट। लेकिन यकीन मानिये 200 किलो के इन जनाव को उठाकर बुलेट भी हांफ जाती है।

अब जरा सोचिये, कि बुलेट का ये हाल है तो इनके घरबालो... मेरा मतबल घरबाली का क्या हाल होता होगा। जो बेचारी इनके लिए ठीक से खाना बनाते बनाते ही थक जाती थी, ऊपर से इनके मोटापे के चलते बच्चे नहीं हो पा रहे थे सो अलग। ऐसे में इन महाशय ने दूसरी शादी करली।
कोई नहीं बुलाता दावत पर!
अपने वजन के चलते उन्हें चलने में भी परेशानी होती है। लोग उनका मजाक उड़ाते है सो अलग। रफीक न तो कोई जनप्रतिनिधि हैं और न ही बड़े सरकारी बाबू, लेकिन इलाके का हर कोई उन्हें उनके वजन और खुराक की वजह से जानता है। सायद इसी लिए लोग उन्हें शादी और दूसरे कार्यक्रम में बुलाने से भी डरते हैं।
रफीक के पड़ोसी सुलेमान ने बताया कि पूरी हाड़ी का खाना वो खा जाते हैं, तो थोड़ा ही बच पाता है। लोगों का कहना है कि इसके पीछे का कारण उनकी भूख ही है। सब जानते हैं कि अदनान कई आदमियों का खाना अकेले ही खा जाएंगे।
पैदल चल नहीं पाते, बुलेट भी फंस जाती है!
रफीक संपन्न किसान हैं, जिसकी वजह से उन्हें खाने-पीने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आती। दिक्कत आती है तो पैदल चलने में, अगर कुछ दूर चलते हैं तो हांफ जाते हैं। रफीक के मुताबिक वह बचपन से ही ऐसे हैं। पहले चलने-फिरने में परेशानी नहीं होती थी, लेकिन अब ऐसा होता है।

जिसके लिए रफीक ने बुलेट खरीद ली, लेकिन बुलेट भी वजन की वजह से दिक्कत देती है। वजन अब ज्यादा बढ़ गया है, इसकी वजह से बुलेट भी कभी-कभार फंस जाती है। इसलिए रास्ते में लोगों से धक्का देने के लिए कहना पड़ता है।