VIDEO: पुरातत्व विभाग के पूर्व अफसर का बड़ा दावा, कहा- सन टावर है कुतुब मीनार...देखिये वीडियो!

वाराणसी का ज्ञानवापी विवाद अभी थम भी नहीं पाया था और अब दिल्ली के कुतुब मीनार पर भी हंगामा शुरू हो गया है। इस बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के एक पूर्व अफसर ने कुतुब मीनार को लेकर बड़ा दावा किया है, कि कुतुब मीनार का निर्माण पांचवीं शताब्दी में सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था और वह इसके जरिए सूर्य की स्थिति पर अध्ययन करना चाहते थे। इसके साथ ही उन्होंने अपनी बात का साबित करने के लिए कई तथ्य भी दिए हैं। अब क्या है ये पूरा बाकया? आइये हम आपको बताते है।
विक्रमादित्य ने सूर्य के अध्ययन के लिए बनवाई थी मीनार!

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार (Qutub Minar) को कुतब-उद-दीन ऐबक ने नहीं बनवाया बल्कि पांचवीं शताब्दी में सम्राट विक्रमादित्य ने बनवाया है। उन्होंने कहा कि यह कुतुब मीनार नहीं, सन टॉवर है। वह इसके जरिए सूर्य की स्थिति पर अध्ययन करना चाहते थे। मेरे पास इस संबंध में बहुत सारे सबूत हैं।
क़ुतुब मीनार नहीं, सन टावर!
उन्होंने कहा कि ASI की ओर से उन्होंने कई बार कुतुब मीनार का सर्वेक्षण किया है। सूर्य की दिशा देखने के साथ ही पुरातत्वविद 27 नक्षत्रों का अध्ययन कर सकें, इसलिए सूर्य वेधशाला का निर्माण कराया गया था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सबूत भी मौजूद हैं। इस क्षेत्र को विष्णु पद पहाड़ी के रूप में जाना जाता था, जहां उस समय के अवशेष हैं जब चौहान, तोमर, प्रतिहार राज्यों ने शासन किया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने बताई कुतुबमीनार की असलियत @JagranNews pic.twitter.com/9ruH52lHUD
— Abhishek Tripathi / अभिषेक त्रिपाठी (@abhishereporter) May 18, 2022
धर्मवीर शर्मा ने कहा कि यह मीनार एक वेधशाला (Observatory) है, जिसमें नक्षत्रों की गणना की जाती थी। उन्होंने कहा कि 27 नक्षत्रों की गणना के लिए इस स्तंभ में दूरबीन वाले 27 स्थान भी हैं। शर्मा के दावे अनुसार, कुतुब मिनार की तीसरी मंजिल पर सूर्य स्तंभ के बारे में जिक्र भी किया गया है।
मीनार के टॉवर में 25 इंच का झुकाव
Archaeological Survey of India के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा का दावा, कुतुबमीनार को हिन्दू राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था. देखिए उनके साथ ये ख़ास बातचीत.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धर्मवीर शर्मा का दावा है कि इसमें 25 इंच का झुकाव है क्योंकि इससे सूर्य का अध्ययन किया जाता था। ये एक तरह का विज्ञान है। इसके दरवाजे उत्तर मुखी हैं, जिससे रात में ध्रुव तारा देखा जा सकता था। धर्मवीर शर्मा कहा कि यहां 27 संरचनाएं ऐसी हैं जिन्हें 27 कीमती रत्नों से तराशा गया है। जिसे कुतुब मीनार कहा जाता है, वह एक स्वतंत्र संरचना है।
मीनार और मस्जिद का संबंध नहीं!

शर्मा ने बताया कि लोग दावा करते हैं कि कुतुब मीनार एक स्वतंत्र इमारत है और इसका संबंध करीब की मस्जिद से नहीं है। कुतुबमीनार को हमने आर्कोलॉजी के हिसाब से अध्ययन किया है, कुछ लोगो का दावा है कि मीनार का निर्माण अजान देने के लिए किया गया था, लेकिन यह दावा गलत लगता है क्यूंकि अगर आप इसकी मंजिल में जाकर भी चिल्लायेंगे तो भी नीचे आबाज नहीं सुनाई देगी।
कई बार किया है कुतुब मीनार में संरक्षण का कार्य

आपको बता दे, धर्मवीर शर्मा देश के बड़े आर्कियोलॉजिस्ट में शामिल हैं, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिल्ली मंडर में 3 बार सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट रहे हैं। उन्होंने कई बार कुतुब मीनार में संरक्षण का काम कराया है और उसके अंदर गए हैं। उनका दावा है कि उन्होंने कुतुब मिनार के अंदर देवनागरी लिखावट को देखा है।
धर्मवीर शर्मा ने दिए ये तर्क

धर्मवीर शर्मा ने कुतुब मीनार को वेधशाला साबित करने के लिए सबूत के तौर पर कई तथ्य सामने रखे हैं। उनका कहना है कि इसे कर्क रेखा के ऊपर बनाया गया है, जिससे सूर्य की गतिविधि की गणना की जाती थी। उनका दावा है कि इस मीनार की छाया 21 जून को 12 बजे जमीन पर नहीं पड़ती है।
सरकारी दस्ताबेजों में क़ुतुब मीनार का इतिहास क्या है?
आपको बता दे, दिल्ली टूरिज्म वेबसाइट पर अगर आप जायेंगे तो बंहा आपको क़ुतुब मीनार को लेकर सरकारी लेख देखने को मिल जायेंगे। जिसमे कहा गया है कि दिल्ली के आखिरी हिंदू शासक को हराने के बाद पहले मुस्लिम शासक कुतब-उद-दीन ऐबक ने सन् 1193 में 73 मीटर ऊंची इस इमारत का निर्माण शुरू करवाया। हालाँकि वे सिर्फ तलघर ही बनवा सके।

कुतब-उद-दीन ऐबक के बाद इल्तुतमश ने तीन मंजिलें बनवाईं और उनके बाद 1368 में फिरोज शाह तुगलक ने बाकी दो मंजिल बनवाईं। मीनार की बात करे तो पहली तीन मंजिलें लाल सैंडस्टोन से और चौथी-पांचवीं मंजिलें मार्बल और सैंडस्टोन से बनाई गई हैं। इसी के अघाते में एक मस्जिद का भी निर्माण हो रखा है, जिसे भारत में बनने वाली पहली मस्जिद कहा जाता है। यंहा आज भी मुस्लिम पक्ष को नमाज करते हुए देखा जा सकता है।

क़ुतुब मीनार के प्रांगड़ में स्थित मस्जिद के आंगन में एक 5 मीटर ऊंचा लोहे का स्तंभ भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस लौह स्तंभ का निर्माण राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 375-412) ने कराया है। इस लौह स्तंभ की खासियत की बात करे तो इसमें आज तक जंक नहीं लगी है।