38 साल बाद बर्फ में दवा मिला सैनिक का पार्थिव शरीर, ऑपरेशन मेघदूत के दौरान हुए थे शहीद!

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shaheed chandrashekhar

38 साल पहले ऑपरेशन मेघदूत में अपनी जान गंवाने वाले जवान चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके घर पहुंचेगा। वे 19 कुमाऊं रेजिमेंट से जुड़े थे। 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान वे बर्फीले तूफान का शिकार हो गए थे। तब उनका शव नहीं मिल पाया था, जो अब जाकर मिला। 

13 अगस्त को चंद्रशेखर का शव मिलने की सूचना उनके परिवार को दी गई। मंगलवार को उनकी बॉडी उत्तराखंड के हल्द्वानी लाई जाएगी, जहां सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिसके बाद उनके परिवार में एकबार फिर आंसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है। 

28 की उम्र में छोड़ गए थे बिलखता परिवार!

दरअसल, उत्तराखंड के अल्मोड़ा में द्वाराहाट के हाथीगुर बिंटा निवासी चंद्रशेखर उस वक्त 28 साल के थे। वे 15 दिसंबर 1971 को कुमांऊ रेजिमेंट केंद्र रानीखेत से भर्ती हुए थे। 1984 में सियाचिन के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई। भारतीय सेना ने 13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर में आपरेशन मेघदूत लॉन्च किया था। चंद्रशेखर उस टीम का हिस्सा थे, जिसे प्वाइंट 5965 पर कब्जा करने भेजा गया था।

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Image Source: AAJ TAK

इस दौरान सियाचिन में एक बर्फीला तूफ़ान उठा और 19 जवान दब गए थे, जिनमें से 14 के शव बरामद कर लिए गए थे, लेकिन पांच जवानों के शव नहीं मिल पाए थे।  जिनके से एक शव चंद्रशेखर हर्बोला का भी था। इसके बाद सेना ने पत्र के जरिए घरवालों को चंद्रशेखर के शहीद होने की सूचना दी थी। उसके बाद परिजनों ने बिना शव के चंद्रशेखर हर्बोला का अंतिम क्रिया-कर्म पहाड़ी रीति रिवाज के हिसाब से बिना शव के कर दिया था। 

38 साल बाद जवान चंद्रशेखर का शव मिला!

कुदरत का करिश्मा देखिये 38 साल पहले जिस जगह बर्फ का तूफ़ान आया और हमारे बहादुर सैनिको ने बर्फ की चादर ओढ़ सहादत दे दी, उस जगह काफी मोटी बर्फ जम गई थी। उस बक्त बर्फ हटाना नामुमकिन था, लेकिन हाल ही में जब सियाचिन ग्लेशियर की बर्फ पिघलनी शुरू हुई, तो एक बार फिर खोए हुए सैनिकों की तलाश शुरू की गई। इसी कोशिश के दौरान 13 अगस्त को एक और सैनिक लान्स नायक चंद्रशेखर हरबोला का शव ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिला।

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Image Source: Bhaskar

सैनिक की पहचान में उसके डिस्क ने बड़ी मदद की। इस पर सेना का दिया हुआ नंबर (4164584) अंकित था। बता दें कि 1984 में सहादत के बक्त सेना के लॉन्स नायक चंद्रशेखर हर्बोला की उम्र सिर्फ 28 साल थी। जिसे 15 अगस्त यानी आजादी के दिन उनके घर पर लाया जाएगा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

चेहरा तक देख नहीं सकी थी पत्नी!

 हरबोला की शहादत के समय उनकी बड़ी बेटी 8 साल की और छोटी बेटी करीब 4 साल की थी। और अब उनकी पत्नी की उम्र 65 साल हो गई है। उनकी पत्नी शांति देवी (65 साल) के आंखों के आंसू अब लगभग सूख चुके हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं। गम उनको सिर्फ इस बात का था कि आखिरी समय में उनका चेहरा नहीं देख सकी। हालांकि, उनकी पत्नी का मानना था कि वे घर जरूर आएंगे। लेकिन तिरंगे में लिपट कर आएंगे ऐसा कभी नहीं सोचा था। 

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Image Source: Bhaskar

वहीं, उनकी बेटी कविता पांडे (48 साल) ने बताया कि पिता की मौत के समय वह बहुत छोटी थीं। ऐसे में उनको अपने पिता का चेहरा याद नहीं है। अब जब उनका पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा, तभी जाकर उनका चेहरा देख सकेंगे।