VIDEO: बिटिया के जन्म पर खुशी से झूम उठा परिवार, नन्ही परी को डोली में बिठाकर लाए घर!

बेटों के जन्म पर खुशी मनाने का चलन तो बहुत पुराना रहा है लेकिन बदलते जमाने के साथ अब लोग बेटियों के जन्म पर भी जोर शोर से खुशी मनाने लगे हैं। ऐसा ही एक खूबसूरत नजारा बिहार के छपरा में देखने को मिला, जंहा 45 साल बाद खानदान में बिटिया का जन्म हुआ तो उसका शानदार तरीके से स्वागत किया गया। बेटी को माँ के साथ अस्पताल से घर तक डोली में बैठाकर घर लाए परिजन। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।
45 साल बाद खानदान में जन्मी बेटी!
आपने आमतौर पर मां-बाप या फिर परिवार द्वारा बेटे की कामना करने के बारे में देखा और सुना होगा। बेटी पैदा होने पर बहू को प्रताड़ित करने की खबरें भी आपने पढ़ी होंगी, लेकिन आ आपको ऐसी तस्वीरें दिखाने जा रहा है जिसे देखकर आप भी कह उठेंगे ओह माई गॉड! जी हां! छपरा में एक परिवार में 45 साल बाद बेटी का जन्म हुआ तो उसे घर लाने के लिए डोली सजाई गई और बैंड-बाजों का इंतजाम किया गया।

एकमा नगर पंचायत के ब्लॉक रोड में मनरेगा भवन के सामने स्थित एक परिवार के लोगों ने परिवार में लगभग 45 साल बाद बेटी के जन्म लेने पर समाज के समक्ष अपनी पहल से विशेष मिशाल पेश की है। इस परिवार ने समाज बेटियों को बोझ समझने वालों के लिए संदेश दिया है कि बेटियां किसी मायने में बेटो से कम नहीं हैं।
बिहार के सारण जिले में बेटी के पैदा होने पर परिजन खुशी से झूम उठे। नवजात बच्ची व उसकी मां को डोली में बिठाकर घर ले आए।#BiharNews @Live_Hindustan pic.twitter.com/TxOLTL5UjY
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बताया गया है कि नगर पंचायत एकमा बाजार के ब्लॉक रोड निवासी शिवजी प्रसाद के तृतीय पुत्र किराना दुकान व्यवसायी धीरज कुमार गुप्ता की धर्मपत्नी पूजा देवी ने ताजपुर रोड पर संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल नामक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के द्वारा एक पुत्री को सावन के पहले दिन जन्म दिया।

45 साल के लंबे अंतराल के बाद बेटी का जन्म हुआ तो पूरा परिवार झूम उठा। नन्ही बिटिया रानी को अस्पताल से घर लाने के लिए डोली सजाई गई और बैंड-बाजों का इंतजाम किया गया। महिलाएं स्वागत में मंगलगीत गाती रहीं तो अन्य परिजन ढोल-ताशों की धुन पर थिरकते रहे। जिसने भी इस जश्न की हकीकत जानी उनका मन भी प्रफुल्लित हो गया।
इस परिवार में बेटी का आगमन 45 साल बाद हुआ। इससे यह परिवार इतना खुश हुआ कि अस्पताल में नोटों की बारिश कर दी। सभी कर्मचारियों का मुंह मीठा कराया। परिजनों ने गांव में मिठाइयां बांटीं और जब बेटी को अस्पताल से छुट्टी मिली तो उसे डोली में बैठा कर घर लाए।
जन्म के बाद सावनी रखा गया नवजात का नाम!
नवजात की बिटिया के पिता धीरज गुप्ता के बड़े भाई शिक्षक बबलू कुमार गुप्ता ने बताया कि हमारे सभी चार भाईयो में किसी को पुत्री नहीं हुई थी। परिवार में इस लक्ष्मी स्वरुपा बेटी का जन्म सावन के प्रथम दिन अस्पताल में हुआ है। इसलिए हमलोगों ने इसका नाम सावनी रखा है।
बिहार के छपरा जिले में एक परिवार में 45 साल बाद बेटी पैदा हुई तो उसका शानदार स्वागत किया गया. pic.twitter.com/18MCG3kvdd
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बबलू ने आगे बताया कि उनके परिवार में करीब 45 वर्षो के बाद बेटी ने जन्म लिया है। इसके लिए हम सभी ने भगवान से मन्नतें भी मांगी थी, लिहाजा इसके पैदा होने से पूरे परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं है।
बेटी होती है लक्ष्मी का स्वरूप!
मिली जानकारी के अनुसार, ब्लॉक रोड एकमा के रहने वाले धीरज गुप्ता चार भाई बहन हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे की शादी 2019 में इसुआपुर में हुई थी। शादी के बाद एक बेटा पैदा हुआ। जो अभी तीन साल का है। बता दें कि धीरज के चाचा गणेश प्रसाद को भी चार बेटे हैं लेकिन एक भी बेटी नहीं है।

धीरज की मां दुर्गावती देवी भी काफी खुश हैं। दुर्गावती ने बताया कि सावन के पहले शुभारंभ को ही बेटी पैदा हुई, उसी दिन पानी भी जमकर बरसा। इसलिए हमलोग बेटी को लक्ष्मी का अवतार मान रहे हैं।
सोच बदलो, बेटो से कम नहीं होती बेटियां!
बाकई परिवार वालों का बेटी होने पर इस तरह प्रकट की गई खुशी समाज में उनलोगों के लिए मिसाल बन गई है जो आज भी बेटी को बोझ मान उसके पैदा होने पर दु:खी होते हैं। जहां आज भी समाज में कई ऐसे लोग हैं जो गर्भ में बेटी होने की जानकारी होने पर भ्रूण हत्या करवाने से लेकर उसे बोझ समझ पैदा होने के बाद उसे फेंक भी आते हैं।

हालांकि समय तेजी से बदल रहा है व बेटियां हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित कर समाज केअपने प्रति पुरानी सोच को बदलने में कामयाब साबित हो रही हैं।