2 रुपये रिफंड के लिए सरकार से भिड़ गया ये आदमी, अब रेलवे को चुकाने होंगे 2.43 करोड़!

किसी महान शख्स ने कहा है, कि अपना हक़ कभी मत छोड़ो फिर चाहे सामने बाला आपका सगा ही क्यों ना हो। लेकिन जंहा बात सरकार की आ जाती है तो अक्सर लोग यह कहकर टाल-मटोल कर देते है कि कौन झमेले में पढ़े। तो उन लोगो को राजस्थान कोटा के सुजीत स्वामी से मिलना चाहिए, जिन्होंने मात्र 2 रुपए के लिए सरकारी रेलवे से पूरे 5 साल लड़ाई लड़ी और जीते तो 2.98 लाख यूजर्स को उनका हक़ दिलाकर।
अब रेलवे को 2 रुपए के रिफंड के चक्कर में 2.43 करोड़ रुपए लौटाने होंगे। तो आइये जानते है कि क्या है पूरा माजरा? और क्यों झुकना पड़ा रेलवे को?
रिफंड के 35 रूपये से सुरु हुई रेलवे संग लड़ाई!
दरअसल पेशे से इंजीनियर सुजीत स्वामी ने साल 2017 में स्वर्ण मंदिर मेल ट्रेन में कोटा से दिल्ली के लिए 765 रुपये का टिकट बुक किया था। वेटिंग होने के कारण वो यात्रा नहीं कर पाए। जिसके बाद, उन्होंने 765 रुपए की कीमत वाला टिकट कैंसिल करवा दिया था। इसके बाद उन्हें 665 रुपए का रिफंड मिला। यानी 100 रूपये काट कर रेलवे ने पैसे बापिस किये।

सुजीत ने बताया कि रिफंड पालिसी के तहत उनके मात्र 65 रूपये रेलवे को काटने चाहिए थे, लेकिन रेलवे ने 65 के बजाय 100 रुपए की कटौती करके उनसे सेवा कर के रूप में 35 रुपए की अतिरिक्त राशि वसूल की। जबकि उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पहले टिकट रद्द कर दिया था। बस फिर क्या था, सुजीत कुमार का दिमाग जाग गया और पड़ गए सरकारी सिस्टम के पीछे।
RTI लगाकर मांगी सूचना!
इसके बाद सुजीत ने जुलाई 2017 में मामले को लेकर RTI लगाकर सूचना मांगी। जिसके तहत और कितने उपभोक्ता हैं, जिनके सेवा कर के रूप में 35 रुपए की कटौती की गई। इसके जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। रेलवे द्वारा दी गई जानकारी में सामने आया कि करीब 2 लाख 98 हजार उपभोक्ताओं से प्रति यात्री 35 रुपए सेवाकर के रूप लिए गए।

इसके बाद सुजीत स्वामी ने रेलवे और वित्त मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे मंत्री और पीएम मोदी को लेटर लिखा, साथ ही आरटीआई क्वेरी भेजकर 35 रुपये का रिफंड करने की मांग की। साथ ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, जीएसटी परिषद और वित्त मंत्री को टैग करते हुए रिफंड की मांग के लिए बार-बार ट्वीट कर उनका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया।
35 की जगह रेलवे ने बापिस किये 33 रूपये!
लगातार पत्राचार और RTI की बजह से आखिर रेलवे की नींद खुली और मई 2019 को सुजीत के बैंक अकाउंट में IRCTC द्वारा 33 रुपए डाल दिए गए। यानी लड़ाई थी 35 की लेकिन बापिस किये 33 रूपये। जाहिर सी बात है कि सुजीत इससे संतुष्ट नहीं हुए। उनका मानना था कि IRCTC ने उनके 35 रुपए सेवाकर के रूप में काटे थे। वापस 35 के बजाय 33 रुपए ही लौटाए। सुजीत ने 2 रुपए रिफंड पाने के लिए फिर से संघर्ष शुरू किया।
2 रुपये के लिए तीन साल तक लड़ी लड़ाई!
इसके बाद सुजीत ने फिर से एक ओर आरटीआई लगाकर खुद के 2 रुपए के साथ-साथ सभी उपभोक्ताओं को रिफंड लौटाने की मांग की। सुजीत हर दो महीने में आरटीआई के माध्यम से रिफंड की स्थिति की जानकारी लेते थे।

जिसका नतीजा ये रहा कि सुजीत का मामला रेलवे मंत्रालय के वित्त आयुक्त और सचिव भारत सरकार, रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग, आईआरसीटीसी, मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस (रेवेन्यू) डिपार्टमेंट के सचिव और जीएसटी काउंसिल तक पहुँच गया।
आखिरकार रेलवे को बापिस देना पड़ा 2 रुपया!

आखिकार 27 मई को सुजीत को आईआरसीटीसी के एक अधिकारी द्वारा फोन पर बताया गया कि, रेलवे बोर्ड ने सभी यूजर्स (2.98 लाख) को 2.43 करोड़ की राशि 35 रुपये के हिसाब से धनवापसी की मंजूरी दे दी है। धनवापसी जमा करने की प्रक्रिया चल रही है और सभी यात्रियों को धीरे-धीरे उनका धन प्राप्त होगा। साथ ही सुजीत के खाते में बकाया 2 रूपये बापिस करने की सुचना भी रेलवे अधिकारी की तरफ से दी गई।
पीएम केयर्स में दिए 535 रुपये!

30 मई को सुजीत के अकाउंट में रेलवे द्वारा 2 रुपए का रिफंड आया। जिसके बाद सुजीत ने पांच साल चले संघर्ष पूरा होने के बाद धन्यवाद कहने के लिए 535 रुपए पीएम केयर फंड में ट्रांसफर किए।