एक पैर पर स्कूल जाने बाली बिटिया को मिली ट्राईसाइकिल, जानिये किसने की इतनी बड़ी मदद?

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jamui seema

जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहने वाले फिल्म एक्टर सोनू सूद एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने बिहार की एक दिव्यागं बेटी की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है, जो एक पैर से 1 किलोमीटर पैदल चलकर रोजाना अपने स्कूल जाती है। जब सोनू सूद को इस बारे में पता चला तो वह बच्ची की मदद के लिए आगे आए। 

जमुई की रहनेवाली 10 साल की बच्ची का वीडियो सोशल मीडिया पर देखने के बाद सोनू सूद उसकी मदद लिए आगे आए। उन्होंने तुरंत मदद का ऐलान भी किया। बिहार की बेटी अब एक पैर पर उछलकर स्कूल नहीं जाएगी। अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) जमुई की सीमा को मदद करेंगे। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि:-

'अब यह अपने एक नहीं दोनों पैरों पर कूद कर स्कूल जाएगी। टिकट भेज रहा हूं, चलिए दोनों पैरों पर चलने का समय आ गया।'

Sonu Sood
Sonu Sood

सीमा को मिली ट्राइसाइकिल 


हालांकि सोनू सूद के ऐलान के बाद सीमा के लिए मदद आना शुरू हो गई है। शुरुआत सरकार से हुई है। खबर है कि जिला प्रशासन ने सीमा को ट्राइसाइकिल देने की घोषणा की है, जो उस तक पहुंचा भी दी गई है। प्रशासन स्वयं उनकी मदद के लिए उनके घर पहुंचा। जिला प्रशासन की ओर से डीएम अवनीश कुमार ने सीमा को स्कूल जाने के लिए ट्राईसाइकिल भेंट की। यही नहीं जल्द कृत्रिम पैर लगाने का भी आश्वासन दिया गया। सीमा जिस स्कूल में पढ़ती है, उस स्कूल में 1 महीने के अंदर स्मार्ट क्लास बनाया जाएगा।  

क्या है सीमा की पूरी कहानी? जानिए 

अगर आपके अंदर हौसला है और कुछ कर गुजरने की ललक है तो फिर आप कुछ भी कर सकते है। कहते हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके पास लक्ष्य पूरा करने का जुनून और हौसला होता है। और यह दोनों चीजें बिहार के जमुई की 10 वर्षीय दिव्यांग बच्ची सीमा में कूट-कूट कर भरा है। जिसने एक सड़क हादसे में अपना एक पैर तो खो दिया लेकिन हौसले को बचाए रखा। सीमा की कहानी को जानकर आप भी कहेंगे कि इस बच्ची को सलाम है। 

500 मीटर तक पगडंडियों पर कूदते हुए स्कूल जाती है सीमा!


जमुई जिले के खैरा प्रखंड के फतेहपुर गांव निवासी सीमा सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती है। सीमा बड़ी होकर टीचर बनना चाहती है। इसीलिए एक पैर से एक किलोमीटर तक पगडंडियों पर कूदते हुए स्कूल जाती है, और मन लगाकर पढ़ाई करती है। मज़बूरी में उसे एक पैर से ही सारा काम करना पड़ता है, ताकि बह बड़ी होकर शिक्षक बन सके और अपना व अपने परिवार का नाम रौशन कर सके।

एक हादसे में गंवाना पड़ा एक पैर 

सीमा की उम्र 10 साल है। 2 साल पहले एक हादसे में उसे एक पैर गंवाना पड़ा था। खबर के मुताबिक एक ट्रैक्टर की चपेट में आने से उसके एक पैर में गंभीर चोट लगी थी। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जान बचाने के लिए डॉक्टर ने उसका एक पैर काट दिया था। एक पैर से ही अब वह सारा काम करती है। इस हादसे ने उसके पैर छीने, लेकिन हौसला नहीं। 


आज सीमा अपने गांव में लड़कियों के शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति एक मिसाल कायम कर रही है। वह अपने एक पैर से चलकर खुद स्कूल पहुंचती है और आगे चलकर शिक्षक बनकर लोगों को शिक्षित करना चाहती है।

पिता मजदूरी तो मम्मी ईंट भट्टे पर काम करती है 

सीमा फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ती है। माता-पिता निरक्षर हैं, और बह मजदूरी करते हैं। पिता दूसरे प्रदेश में रहकर ही मजदूरी करते हैं, तो मम्मी ईंट भट्टे में काम करती हैं। हां, ईंट पारती हैं। लेकिन 6 भाई-बहन में एक सीमा किसी पर अब तक बोझ नहीं बनी है। एक पैर होने के बावजूद सीमा में पढ़ने-लिखने का जुनून है। 

पढ़ने लिखने का है जूनून!


सीमा की मां बेबी देवी बताती हैं कि 6 बच्चों में सीमा दूसरे नंबर पर है। उसका एक पैर सड़क दुर्घटना में कटाना पड़ा था। सीमा की मां बताती है कि दुर्घटना के बाद गांव के दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख, उसकी भी इच्छा स्कूल जाने की होने लगी। इसीलिए सीमा ने जिद कर स्कूल में नाम लिखवाया और हर दिन स्कूल जाने लगी।

सुविधा मिले तो इस बच्ची का भला हो जाये! 

सीमा की दादी लक्ष्मी देवी का कहना है कि इस गांव में इस बच्ची के लिए मूलभूत सुविधा कुछ भी नहीं है। सुविधा के अभाव में काफी दूर तक पगडंडियों पर चलकर जाना पड़ता है। अगर सरकार की तरफ से सीमा को कुछ सुविधाएँ मिल जाए तो बह अपने सपनो को साकार कर सकेगी। 


उन्होंने बताया कि उनके पास उतने पैसे भी नहीं हैं की बह अपनी बेटी का कृत्रिम अंग लगा सकें। और किताबे खरीदकर उसे पढ़ने को दे सके। अगर सरकार या कोई अन्य मदद कर दे तो सीमा का भला हो जायेगा। वंही सीमा को देख और भी बच्चियों को पढ़ने-लिखने का हौसला मिलेगा।