ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शृंगार-गौरी पूजा का अधिकार, कहकर केस लड़ने वाली 5 महिलाएं!

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के तीन दिन के सर्वे और कुछ फैसलों के बाद भी सुनवाई जारी है। फ़िलहाल हिन्दू पक्ष की तरफ से दावा किया जा रहा है कि मस्जिद के बजुखाने में उन्हें शिवलिंग मिला है, वंही मुस्लिम पक्ष उस शिवलिंग को फुब्बारा कहकर हिन्दू पक्ष का दावा गलत बता रहे है। इसी के साथ जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिवलिंग बाली जगह को सील करने का आदेश दे दिया गया है... फ़िलहाल अगली सुनबाई के लिए तारीखे दे दी गई है।
ये तो हुआ सर्वे और अदालती कार्यबाही की बाते, लेकिन क्या आप जानते है कि ज्ञानवापी मस्जिद में आखिर सर्वे हुआ क्यों? और बह कौन सी 5 महिलाएं है, जिन्होंने श्रंगार गौरी पूजा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया? तो आइये आज हम आपको उन 5 महिलाओ से मिलवाने जा रहे है, जो इस केस में मुख्य याचिकाकर्ता है।
हम 4 महिलाएं रोज दर्शन करने जाती थीं, वहीं हुई दोस्ती!
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे और केस में में 5 महिलाएं सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही हैं। शृंगार-गौरी के नियमित दर्शन का केस लड़ने वाली 5 महिलाएं-राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक हैं। इन्ही महिलाओ ने याचिका दायर करके श्रृंगार गौरी के अंदर पूजा करने की मांग की थी।

इन महिलाओं द्वारा दायर की गई याचिका में अदालत से मांग की गई है कि माँ श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन के लिये हर रोज रास्ता खोला जाये। इसके साथ ही मस्जिद में हिन्दू देवी देवता के दूसरे विग्रह भी हैं उनके दर्शन पूजन की अनुमति भी दी जाये। आपको बता दे, ये रास्ता साल में एक बार सिर्फ चैत्र नवरात्रि के चतुर्थी के दिन खुलता है।
शृंगार-गौरी केस लड़ने वाली 5 महिलाओं में से एक सीता साहू ने बताया कि:-
“बनारस मेरा ससुराल है। चेतगंज इलाके में रहती हूं। पति गोपाल साहू परचून की दुकान चलाते हैं। ससुराल आई तो शृंगार गौरी माता के बारे में जाना। माता पर मेरी श्रद्धा बढ़ती गई। रोज दर्शन करने जाने लगी, लेकिन माता के दर्शन करने नहीं मिलते थे।''

हम लोग दर्शन करने जाते थे। प्रशासन ने रोक लगा दी। सिर्फ एक घंटे के लिए ही गेट खुलता था। देवी जी से जुड़ी सभी चीज मंदिर के अंदर है। मेरी ही तरह वहां तीन और महिलाएं हर रोज माता के दर्शन करने आती थीं। वो भी माता को अपनी इष्ट देवी मानती थीं। इसी के चलते हम सभी के बीच दोस्ती हो गई।
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इसके बाद, हम लोग इस मामले को लेकर हरिशंकर जैन से मिले। हमें दर्शन न करने का दुख था। इसलिए उन्हें बताया। फिर हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन की मदद से हमने याचिका दायर की।
दर्शन करने से रोका गया इसलिए केस किया!

सीता साहू कहती हैं कि सालभर में चैत्र नवरात्रि की पूर्णिमा के दिन मात्र एक घंटे के लिए हमें माता के दर्शन करने मिलते थे। इस पर दूसरे पक्ष के लोग पूजा करने से रोकते थे और ना रुकने पर अभद्रता पर भी उत्तर आते थे। अब ऐसी में हमे पूजा अधिकार हासिल करने के लिए कानून का सहारा लेने का फैसला लिया।
सभी महिलाओं के बारे में जान लेते हैं…
अदालत में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार, राखी सिंह बनारस की रहने वाली नहीं है ये दिल्ली की हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं और वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह बिसेन से जुडी हुई है। राखी सिंह के पति का नाम इंद्रजीत सिंह हैं और लखनऊ के हुसैनगंज का भी एक स्थानीय पता है।

याचिकाकर्ता में दूसरे नंबर पर लक्ष्मी देवी हैं। लक्ष्मी देवी के पति डाक्टर सोहन लाल आर्य है जो बनारस के महमूरगंज निवासी हैं। इनके पति साल 1996 से ही इस तरह का ही एक मुकदमा लड़ रहे हैं। इस पूरे केस में लक्ष्मी देवी ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी EXCLUSIVE
— نعمان انصاری (@numanans402) May 17, 2022
ज्ञानवापी सर्वे को लेकर @asadowaisi की प्रतिक्रिया आई सामने, बताया कल सुप्रीम कोर्ट में क्या होगा? @awasthis के साथ
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तीसरे नंबर पर वादी सीता साहू हैं। सीता साहू बनारस के चेतगंज के उस इलाके में रहती है जहां साहित्यकार जय शंकर प्रसाद का घर हैं उनके पति गोपाल साहू बिजनेस करते हैं। जिनके बयानों की चर्चा हम ऊपर कर चुके है यह बही महिला है।

बनारस के ही राम घाट मोहल्ले की रहने वाली मंजू व्यास इस याचिका में चौथी महिला हैं। उनके पति विक्रम व्यास हैं जो बिजनेस करते थे। मंजू व्यास बताती हैं कि वो समाज सेविका हैं और श्रृंगार गौरी दर्शन की हर दिन पूजा पाठ करने की लालसा बचपन से रही है। आपको बता दे मंजू बनारस के रामधर मोहल्ले में रहती हैं। ये मोहल्ला काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब है।
इस याचिका की पांचवीं महिला रेखा पाठक हैं। काशी के लाट भैरव के महंत दया शंकर त्रिपाठी की बड़ी बेटी हैं। हाउस वाइफ हैं और इनके पति का नाम अतुल कुमार पाठक है। रेखा पाठक बनारस के हनुमान फाटक की रहने वाली हैं बाकी महिलाओं की तरह वो भी दर्शन पूजन के दरमियान भी बाकी महिलाओं से मिली और इस याचिका में शामिल हो गई।
शिवलिंग मिलने के सवाल पर क्या बोली महिलाएं?
शिवलिंग मिलने के सवाल पर सीता ने कहा, हमें पहले से भी विश्वास था कि वहां सारे साक्ष्य मिलेंगे। हालांकि, न्यायालय सबूत मांगती है लेकिन हमें पता है कि अंदर क्या-क्या हैं। शिवलिंग मिलने के एक दूसरे सवाल पर सीता साहू ने कहा, 'देखिए शिवलिंग मिलने के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। क्योंकि सर्वे के दौरान हम टीम के साथ तो थे, लेकिन हमें अंदर नहीं जाने दिया गया।'

मुस्लिम पक्ष के लोगों को आपत्ति थी कि महिलाएं अंदर नहीं जा सकती। इसलिए हम लोग दूर से ही देख रहे थे। वहां मौजूद लोगों के रिएक्शन से पता चला कि वहां शिवलिंग मिला है। बाकी न्यायालय जो फैसला देगा, वह देखा जाएगा।