नमाज पढ़ रहे लोगों के सामने लगे 'जय श्री राम' के नारे, भड़कीं स्वरा भास्कर बोलीं- 'हिंदू होने पर हूं शर्मिंदा'

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सोशल मीडिया पर अगर किसी अभिनेत्री को सबसे ज्यादा ट्रोल किया जाता है तो वो हैं स्वरा भास्कर। बह कुछ भी पोस्ट करती हैं तो उसमें ट्रोलर्स की बाढ़ आ जाती है। हाल फ़िलहाल में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जब स्वरा ने कहा, 'उन्हें हिंदू होने पर शर्म आती है' उनका बस इतना कहना और ट्रोलर्स चढ़ गए खर्चा-पानी लेकर। क्या है पूरा मामला? आइये आपको विस्तार से समझाते है। 

क्या है मामला?

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शुक्रवार को गुरुग्राम में जब मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग नमाज अदा कर रहे थे, तभी भीड़ वहां पहुंच गई और नमाज पढ़ रहे लोगों के सामने 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगी। इससे इलाके में तनाव व्‍याप्‍त हो गया। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब शहर के सेक्‍टर 47 में भी इसी तरह की घटना हो चुकी है, जहां सरकारी जमीन पर खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। 

स्वरा बोली- 'हिंदू होने पर शर्म आती है'


वंही अब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के जय श्रीराम के नारे लगाने पर स्वरा भास्कर भड़कीं हैं। उन्होंने घटना का वीडियो क्लिप ट्वीट कर कहा है कि हिन्दू होने पर वो शर्मिंदा हैं। बता दें कि ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी स्वरा लगभग मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए अपनी राय रखती हैं। चाहे किसान आंदोलन हो, या सीएए स्वरा काफी मुखर रहीं हैं।

ट्रोलर्स के निशान पर आई स्वरा 

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ऐसा नहीं कि स्वरा ने पहली बार हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर इस तरह की बात कही हो। स्वरा अक्सर अपने बयानों की वजह से ट्रोल होती रहती हैं। अब एक बार फिर 'हिंदू होने पर शर्म आती है' बाले बयान पर स्वरा ट्रोल हो गई। और यूजर्स उन पर जमकर भड़ास निकालने लग गए। 

एक यूजर ने लिखा- दीदी इस ट्वीट का कितना मिला? एक अन्य ने लिखा- तुम हिंदू हो हमें तो इस बात से शर्म आती है। कई लोगों ने उनको इस ट्वीट के लिए हिन्दू विरोधी कहते हुए निशाना साधा है। कई लोगों ने तो उनको हिंदू धर्म छोड़ देने तक की बात कह दी है।

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आपको बता दे, इससे पहले स्वरा तब चर्चा में आई थीं जब उन्होंने लिखा था, ‘हम हिंदुत्व के आतंक के साथ ठीक नहीं हो सकते और हम तालिबान के आतंकी हमले से टूट गए हैं और पूरी तरह से सदमें में हैं। हम तालिबान के आतंक से शांत नहीं हो सकते और हम सभी हिंदुत्व के आतंक के बारे में नाराज होते हैं। हमारे मानवीय और नैतिक मूल्य पीड़िता या उत्पीड़क की पहचान पर आधारित नहीं होने चाहिए।'