जब JRD टाटा ने दिलीप कुमार को दिखाई औखाद, तोड़ दिया था सारा स्टारडम का गुमान

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। दुनिया उन्हें ट्रेजडी किंग के नाम से जानती थी। इन्ही ट्रेजडी किंग के साथ एक बार ऐसी ट्रेजडी हो गई कि किस्सा बन गया। किस्सा है जेआरडी टाटा संग दिलीप कुमार की पहली मुलाकात का। आइए जानते हैं…
दिलीप कुमार बीते दिनों अपनी बायोग्राफी को लेकर भी काफी सुर्खियों में रहे थे। दिलीप कुमार की बायोग्राफी में जेआरडी टाटा के साथ उनकी मुलाकात का भी जिक्र है। वैसे तो दिलीप कुमार के कई किस्से मशहूर हैं लेकिन एक किस्सा जेआरडी टाटा से जुड़ा हुआ है।
जब टूटा दिलीप कुमार का स्टारडम का गुमान

दिलीप कुमार को भी अपने ‘दिलीप कुमार’ होने पर गर्व था क्योंकि ये वो दौर था जब दिलीप कुमार सफलता की नई ऊंचाईयां छू रहे थे। लेकिन अपने करियर के पीक पर दिलीप कुमार के साथ एक ऐसा वाक्या हुआ था जिसने उन्हें ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख भी दे डाली थी। दिलीप कुमार ने इसका जिक्र अपनी बायोग्राफी ‘द सब्सटेंस एंड द शैडो’ में किया था।

दरअसल एक बार जब दिलीप प्लेन से कहीं जा रहे थे। इसी प्लेन में बैठे अन्य लोग दिलीप को देखकर उनसे बात करने की कोशिश करने लगे। कोई-कोई तो ऑटोग्राफ लेने के लिए उनकी सीट तक आ पहुंचा। लेकिन उनके बगल की सीट पर बैठे एक शख्स को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनके साइड वाली सीट पर कौन बैठा है?
दिलीप कुमार ने अपनी बायोग्राफी में इस किस्से का जिक्र कुछ इस तरह किया।

‘ये उस वक्त की बात है जब मैं अपने करियर की बुलंदी पर था, तब मैं एक बार एयर इंडिया से सफर कर रहा था। वहीं मेरे बगल वाली सीट पर एक बुजुर्ग शख्स बैठे थे, जो एक दम साधारण पैंट और शर्ट पहने हुए थे। उन्हें देखकर मुझे ऐसा लगा कि वह एक मिडिल क्लास परिवार से संबंध रखते हैं, लेकिन वह काफी पढ़े-लिखे हैं।

वहीं मेरे पास बैठे बाकी यात्री मुझे पहचान गए थे लेकिन मेरे बगल में मौजूद ये शख्स मेरी मौजूदगी से बेखबर थे। वो अखबार पढ़ रहे थे और खिड़की से बाहर देख रहे थे, वहीं जब चाय आई तो उन्होंने एक दम शांति से चाय पी। ऐसे में उनसे बातचीत शुरू करने के लिए मैं मुस्कुराया, तो उन्होंने भी मुझे देख कर स्माइल की और हैलो कहा।
‘बस इसी के बाद से हमारी बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद बात फिल्मी मुद्दे पर आई।

दिलीप कुमार ने उस शख्स से पूछा कि क्या आप फिल्में नहीं देखते। इस पर उस शख्स ने जवाब दिया- बहुत कम, सालभर पहले एक फिल्म देखी थी। इसी बीच दिलीप ने कहा ‘मैं दिलीप कुमार हूं’ तो बगल की सीट पर बैठे उस शख्स ने कहा ‘क्या करते हैं आप फिल्मों में’। दिलीप कुमार ने जवाब दिया ‘मैं एक्टर हूं’।
इस पर उस शख्स ने कहा- अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है। दिलीप कुमार ने आगे लिखा है, ‘वहीं जब फ्लाइट का सफर खत्म हुआ तो मैंने हाथ बढ़ाते हुए उस शख्स से कहा- आपके साथ सफर करके अच्छा लगा, वैसे मेरा नाम दिलीप कुमार है।

इसके बाद उस शख्स ने मुझसे मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया और कहा- धन्यवाद, आपसे मिलकर अच्छा लगा… मैं जेआरडी टाटा हूं।’
टाटा का नाम सुनते ही दिलीप कुमार चौंक गए। उन्होंने इस वाकये का जिक्र अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी किया है। दिलीप कुमार को अंदाजा भी नहीं हुआ कि जिस शख्स से वो आम इंसान समझकर अपना स्टारडम दिखा रहे थे वो कोई और नहीं बल्कि जे आर डी टाटा थे।

उस दिन के मुलाकात के बारे में जिक्र करते हुए दिलीप कुमार ने लिखा कि इस बात को कभी कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कितने बड़े हैं, क्योंकि हमेशा कोई न कोई आपसे बड़ा मौजूद रहेगा। इसलिए हमेशा सरल और विनम्र रहें।