जानिए उस ‘रियल शेरनी’ की असली कहानी, जिनसे प्रभावित है विद्या बालन का रोल!

रील और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है, एक रील शेरनी आपने परदे पर देख ली तो आज एक रियल शेरनी से यंहा मिल लीजिये। 2 नवंबर 2012, शेरनी T1 जिसे अवनी भी कहा जाता था, उसे महाराष्ट्र के यवतमल जिले में गोली मार दी गई। ऐसा कहा जाता है कि इसकी बजह से
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जानिए उस ‘रियल शेरनी’ की असली कहानी, जिनसे प्रभावित है विद्या बालन का रोल!

रील और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है, एक रील शेरनी आपने परदे पर देख ली तो आज एक रियल शेरनी से यंहा मिल लीजिये। 2 नवंबर 2012, शेरनी T1 जिसे अवनी भी कहा जाता था, उसे महाराष्ट्र के यवतमल जिले में गोली मार दी गई। ऐसा कहा जाता है कि इसकी बजह से कई लोगो को अपनी जिंदगी से हाँथ धोना पड़ा था।

इसी तरह एक और शेरनी है, जिसका नाम है- T12, मगर ये पांधरकावड़ा की शेरनी है। हाल ही में रिलीज हुई विद्या बालन की फिल्म शेरनी का उनका फारेस्ट ऑफिसर का किरदार बड़ा फेमस हुआ, कुछ लोगो का मानना है कि उनका ये किरदार मशहूर फारेस्ट ऑफिसर केएम अभरना से प्रभाबित है।

ये बही फारेस्ट अफसर है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जंगल-जानवरो के उत्थान में गुजार दी।

जानिए उस ‘रियल शेरनी’ की असली कहानी, जिनसे प्रभावित है विद्या बालन का रोल!

मीडिया खबरों के अनुसार, केएम अभरना अवनी केस की इंचार्ज थीं। वह पांधरकावड़ा में डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर तैनात थीं। इसी दौरान वहां के लोगों के बीच शेरनी को लेकर डर और फिर तनाव की स्थिति पैदा हो गई।

फिल्म में जिस तरह विद्या बालन ने रील लाइफ में उस बक्त जंगल और गांव बालो को संभाला ठीक उसी तरह रियल लाइफ में केएम अभरना ने उस परिस्थिति को संभाला था। उन्होंने, शेरनी का शिकार हो रहे गांव बालो को सजग किया, कैमरा ट्रैक लगाया, जागरुकता अभियान और कई तरह से उन्होंने गांव बालो को शेरनी के चंगुल से सुरक्षित बचाने का प्रयास किया था।

जानिए उस ‘रियल शेरनी’ की असली कहानी, जिनसे प्रभावित है विद्या बालन का रोल!

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बह अपनी कहानी फिल्म मेकर्स के पास लेकर नहीं गई, बह कहती है कि विद्या बालन की फ़िल्म वास्तविक घटना से भटक गई और इसमें ढेर सारी चीजें मनगढ़ंत हैं।

उनका कहना है कि जिस तरह T12 की घटना को दिखाया गया है, उसमें बहुत अंतर है. कुछ फैक्ट को वैसे ही वास्तविकता के आधार पर जरूर रखा गया है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से T1 (अवनी) ने मेरी ज्वाइनिंग के बाद लोगों का शिकार करना शुरू किया।

लेकिन सचाई ये है कि मेरी जॉइनिंग से पहले ही शेरनी ने 5 गांव वालों को शिकार बना लिया था। जिसके बाद प्रॉपर अभियान चले, लोगो को जागरूक किया गया।

आपको बता दे, इस केस से पहले बह काजिरंगा नेशनल पार्क में तैनात थीं। बंहा उन्होंने गेंडों के मुद्दों पर काम किया, इलाके में प्लास्टिक बैन किया अबैध मछली मारने जैसे कामो पर रोक लगाई। जिससे जानवरो को पर्यावरणीय नुकसान ना उठाना पड़े, उनके इन प्रयासों को जमकर सराहा गया।

बाद में उन्होंने असिस्टेंट कंजर्वेटर फॉरेस्ट अफसर के तौर पर काम किया और कम्युनिटी बेस्ड रिसर्च में योगदान दीं। फ़िलहाल बह अभी बू रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर महाराष्ट्र में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत है। और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही है।