फिल्म रिव्यू: कंगना रनौत की नई फिल्म ‘थलाइवी’ कैसी है?

किसी पहचान की मोहताज नहीं जयललिता....तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री थी। जनता के दिलों पर हमेशा राज करने वालीं, तमिलनाडु की राजनीति में अलग ही अध्याय लिखने वालीं मजबूत राजनीतिक शख्सियत। कंगना रनौत फिल्म 'थलाइवी'. जय ललिता के जीवन पर आधारित इस फिल्म में कंगना रनोट की मुख्य भूमिका है। जयललिता की जीवनी....कितनी अधूरी कितनी पूरी, हम बताते हैं।
फिल्म थलाइवी कहानी

कहानी फ़्लैश बैक में चलती है। जिसमें जया के हीरोइन बनने से लेकर प्यार-रोमांस, राजनीति की शुरुआत और अंततोगत्वा विधानसभा में मुख्यमंत्री बनकर लौटने तक की कहानी बड़े रोचक ढंग से दिखाई गई है। राजनीति में आने से पहले जयललिता ने फिल्मों में खूब एक्टिंग की थी, उनकी माँ भी एक फिल्मो में एक्टिंग किया करती थी। थलाइवी को लेकर एक बात समझनी काफी जरूरी है। ये जयललिता के राजनीतिक सफर पर बनाई गई फिल्म नहीं है।
ये कोई टिपिकल राजनीति से प्रेरित फिल्म भी दिखाई नहीं पड़ी है। ये सिर्फ और सिर्फ जयललिता के शुरुआती जीवन और उनके राजनीति में आने की कहानी है। जयललिता के फिल्मी सफर पर फोकस जमाता है। कुछ सीन्स बढ़िया लगे हैं, लेकिन काफी कुछ जरूरत से ज्यादा खींचा भी गया है।

फिल्म की शुरुआत विधानसभा में बजट पेश करने से होती है। सत्ता पक्ष बजट पेश करने वाला होता है कि जया उन्हें रोकती है। पक्ष-विपक्ष में गहमा-गहमी बढ़ती है, तभी सभा में ही जया की पिटाई कर देते हैं। जया जाते-जाते शपथ लेती है कि:-
''आज तूने और तेरे आदमियों ने जिस तरह भरी सभा में मेरा अपमान किया है। वैसा ही चीर हरण कौरवों ने द्रौपदी का किया था। वह सत्ता की लड़ाई भी वो जीती थी और यह सत्ता की लड़ाई भी मैं जीतूंगी, क्योंकि महाभारत का दूसरा नाम है- जया। आज मैं शपथ लेती हूं कि इस सभा में सिर्फ मुख्यमंत्री बनकर लौटूंगी।''
पहले हाफ में थलाइवी की पेस काफी धीमी है। वैसे भी जो एक मसालेदार और जबरदस्त डायलॉगबाजी वाली फिल्म की उम्मीद लगाकर बैठा है, उसे शुरुआती एक घंटा काफी बोर कर सकता है। इंटरवल तक कहानी बड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है। इसके बाद जया का राजनीतिक सफर शुरू होते ही कहानी में न सिर्फ तेजी आती है, बल्कि रोचकता भी दोगुनी हो जाती है।

चुनावी प्रचार, जयललिता वाली तकरार जैसे पहलू कहानी को ठीकठाक रफ्तार दे देते हैं। उन्होंने प्यार-रोमांस, नाच गान और भावुकता के हर पहलू को बड़ी बखूबी के साथ दर्शाया गया है, जिसका दर्शक भरपूर आनंद उठा सकते है।
फिल्म थलाइवी कास्ट

अरविंद स्वामी, जिन्होंने फिल्म में MJR (असल में नाम MGR है, लेकिन फिल्म में उन्हें MJR कहा गया है) का किरदार निभाया है। जया की मां की भूमिका में भाग्यश्री है, तो सचिव आरएनवी बने राज अर्जुन का जया के साथ एक अलग ही पहलू नजर आया।
फिल्म थलाइवी रिव्यु

फिल्म देखते समय जो बातें अखरती हैं, वह एक तो साउथ भाषा में बोले गए कुछ डायलॉग हैं, लेकिन कंगना रनौत का काम आला दर्जे का रहा। फिर उन्होंने साबित कर दिया कि मुश्किल किरदारों का आसानी से निभा जाना उनकी फितरत है। हाँ, कहानी को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म में सीन-दर-सीन संगीत कुछ ज्यादा ही डाला गया है, जो कहानी को समझने में बाधा डालता है। थलाइवी का एक्टिंग डिपार्टमेंट आपको जितना पसंद आ सकता है, डायरेक्शन उस लिहाज से निराश करता है।
जय ललिता के राजनीतिक करियर और उनके अच्छे कामों जैसी बारीक बातों को जानने के लिए यह फिल्म जरूर देख सकते हैं। ऐसे में अगर आप कंगना के फैन हैं तो थलाइवी को एक बार देख डालिए। उनकी एक्टिंग दिल खुश कर जाएगी।