"संस्कृत होनी चाहिए राष्ट्रीय भाषा", कंगना रनौत ने हिंदी ट्रोलर को तगड़ा जवाव दे दिया!

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बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ी हुई है कि भारत कि "राष्ट्र भाषा" कौनसी? कोई हिंदी को राष्ट्र भाषा बता रहा है तो कोई हिंदी को ऑफिसियल व राज्य भाषा बताये जा रहा है। और इनसबके बीच कन्नड़ स्टार किच्चा सुदीप का हिंदी को लेकर दिया बयान इंडस्ट्री पर विवाद बन गया है।

उनके इस विवाद पर अजय देवगन ने पलटवार किया तो वहीं मनोज बाजपेयी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने साउथ इंडस्ट्री का सपोर्ट किया। वंही राष्ट्रभाषा को लेकर दिए गए बयानों के बीच अब फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोट ने इस विषय पर बयान दिया है। जो सुर्खियां बटोर रहा है। क्या है पूरा मामला? आइये आपको बताते है। 

संस्कृत होनी चाहिए राष्ट्रीय भाषा!

दरअसल, कंगना रनोट ने अपनी आगामी फिल्म धाकड़ के ट्रेलर लॉन्च के कार्यक्रम में पहुंची थी। जंहा उन्होंने, कहा कि हिंदी को संविधान ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा चुना है और हमें इसे सम्मान करना चाहिए। कंगना ने राय देते हुए कहा कि मेरी माने तो संस्कृत राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है।

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Image Source: Hindustan Times

कंगना रनोट ने आगे कहा कि जो हमारा मौजूदा सिस्टम है, सोसायटी है, इसकी भाषा और संस्कृति में काफी विविधता है और हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व महसूस करें, लेकिन हमारा जैसा देश है, इसे एक यूनिट बनाने के लिए कोई एक धागा चाहिए, ताकि हम इसे चला सकें। 

संस्कृत सबसे पुरानी भाषा है: कंगना 

कंगना ने पूरे विवाद पर बात करते हुए कहा, हर एक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह अपने कल्चर पर गर्व करे। जैसे मैं पहाड़ी हूं तो मुझे अपने कल्चर और भाषा पर गर्व है। हम सभी को अपने सविंधान का सम्मान करना चाहिए और इसने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाया है। 


अगर देखा जाए तो तमिल हिंदी से भी ज्यादा पुरानी है। लेकिन इससे भी पुरानी है संस्कृत। मेरी मानें तो मुझे लगता है संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए। कंगना ने आगे कहा कि कन्नड़, तमिल से लेकर गुजराती और हिंदी सब इसी संस्कृत से आई हैं। संस्कृत को ना बनाकर हिंदी को क्यों राष्ट्रीय भाषा बनाया। 

हमारे देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है!

कंगना ने आगे कहा, इसका जवाब मेरे पास नहीं है। ये उस समय के लिए हुए निर्णय है, लेकिन जब खलिस्तान की मांग होती है और जब वो कहते है कि हम हिंदी को नहीं मानते है। हमारे देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है। ये लोग संविधान का अपमान कर रहे हैं। तमिल लोग अलग नेशन चाहते थे। बंगाल के लोग रिपब्लिक की मांग करते हैं और कहते हैं कि हम हिंदी भाषा को लैंग्वेज नहीं समझते। 

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Image Source: Kangna Ranaut (FB)

तब आप सिर्फ हिंदी को ही नहीं, बल्कि देश की केंद्रीय सरकार को भी नकार रहे होते है। यह कई लेयर्स की चीज है। जब आप इस बारे में बात करते है तो आपको इन सभी लेयर्स का अंदाजा होना चाहिए। तो जब भी आप हिंदी को डिनाई करते है तो आप हमारे संविधान और दिल्ली की सरकार को भी डिनाई कर रहे है।